गर्भपात से बचाता है ये सूत्र, महाभारत की कथा में मिलता है वर्णन जाने इसकी विधि नियम

गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा के लिए गर्भरक्षक श्री वासुदेव सूत्र की आराधना की जाती है तथा इसका उपयोग भी किया जाता है। यह एक ज्योतिष उपयोग है जिससे शिशु की रक्षा होती है और गर्भपात का खतरा भी नही रहता है। मां बनने वाली महिला के साथ-साथ पूरा परिवार यह चाहता है कि नन्हें मेहमान का जन्म स्वस्थ और सुरक्षित हो इसके लिए गर्भवती महिला के खान-पान व्यायाम रहन-सहन और चिकित्सीय उपचार आदि का पूरा ध्यान रखा जाता है। क्योंकि जरा भी भूल-चूक होने पर गर्भपात होने का खतरा रहता है। ज्योतिष में गर्भपात को रोकने के लिए गर्भ रक्षक श्री वासुदेव सूत्र के उपयोग को कारगर माना गया है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे की रक्षा होती है और उस पर कोई आंच नही आती इस सूत्र को लेकर कहा जाता है कि अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा भी गर्भरक्षक श्री वासुदेव सूत्र से हुई थी।

गर्भ सूत्र को लेकर महाभारत युद्ध की एक घटना है जिसके अनुसार महाभारत युद्ध में दुर्योधन के सभी भाई मारे जा चुके थे और अंत में भीम ने दुर्योधन को मार दिया। वहीं दूसरी ओर गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के भीतर पाण्डवो से बदला लेने की आग धधक रही थी। उस समय अर्जुन की पुत्रवधू और अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा गर्भवती थी पाण्डवों से बदला लेने और उसके आने वाले वंश का नाश करने के लिए अश्वत्थामा ने उत्तरा के गर्भ पर अमोघ ब्रह्मस्त्र चलाया तभी श्री कृष्ण के कानो में उत्तरा की आवाज सुनाई पड़ी और श्री कृष्ण ने तुरन्त ही अपने माया कवच से उत्तरा के गर्भ को ढक दिया। इस तरह भगवान वासुदेव उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु के रक्षक कवच बने और अश्वत्थामा द्वारा चलाया गया अमोघ ब्रह्मस्त्र निष्फल हो गया।

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गर्भ रक्षक श्री वासुदेव सूत्र और कैसे करें इसका उपयोग

☸ गर्भरक्षक श्री वासुदेव सूत्र कच्चे धागे से बनाया जाता है और इसे मंत्र से अभियंत्रित करने के बाद गर्भवती महिला को धारण करना चाहिए धार्मिक मान्यता है कि इससे गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा होती है और गर्भपात नही होता है।

☸ गर्भरक्षक सूत्र बनाने के लिए पहले गर्भवती महिला को स्नानादि के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए इसके बाद श्री कृष्ण गणेश और नवग्रह की शांति पूजा करें।

☸ इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ जायें घर की कोई अन्य महिला जो कि शुद्ध हो वह कच्चा सूत केसरिया धागा या रेशम के धागे से गर्भवती महिला के सिर से पैर तक 7 बार माप ले और धागे को सात तह कर लें।

☸ अब गर्भरक्षक श्री वासुदेव मंत्र ओम अंतः स्थः सर्वभूतानामात्मा योगेश्वरों हरी। स्वमामयावृणोद गर्भ वैराग्या। करु तत्वें स्वाहा का 21 बार जाप करते हुए धागे में गांठ लगाएं इस तरह से धागे में 21 गाठें लग जाने के बाद पूजा पाठ करें।

☸ गर्भवती महिला भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करते हुए गर्भ रक्षा की प्रार्थना करें और इस धागे को अपने गले बाएं हाथ के मूल या फिर कमर में पहनें।

☸ गर्भरक्षक श्री वासुदेव सूत्र को बनाने, पूजा-पाठ करने और अनियंत्रित करने के लिए आप किसी पुरोहित या ज्योतिष से सलाह ले सकते हैं।

☸ इस तरह विधि-विधान से गर्भरक्षक की वासुदेव सूत्र को धारण करने से गर्भ की रक्षा होती है।

गर्भरक्षक सूत्र को धारण करने पर इन नियमों का पालन करें

☸ गर्भरक्षक सूत्र को शिशु के जन्म के सवा महीने तक पहने रहें और इसके बाद इसे जल में प्रवाहित कर दें।

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☸ प्रसव के सवा महीने बाद नया सूत्र बनवाकर बच्चे के गले में पहना सकते हैं।

☸ गर्भरक्षक सूत्र को धारण करने पर गर्भवती महिला को किसी सूतक या पातक वाले घर में जाने से बचना चाहिए यानि जिस घर में किसी की मृत्यु हुई हो या शिशु का जन्म हुआ हो ऐसे पर घर न जायें। गर्भरक्षक सूत्र धारण करने वाली महिला को मांसाहार भोजन भी नही करना चाहिए।