अंक तीन पर है भगवान शिव का आधिपत्य मिलते हैं अद्भुत फल

अंक तीन अत्यधिक शुभ होता है वैसे तो अपवाद में लोग ये कहते हैं कि अंक तीन शुभ नही होता परन्तु सच्चाई यह है की इस अंक के स्वामी ग्रह गुरु है। गुरु ग्रह के देवता भगवान विष्णु है यही कारण कि भगवान शिव अंक तीन को बहुत शुभ मानते हैं और उनकी पूजा में तीन अंक का बड़ा महत्व है। अंक तीन से भगवान शिव का गहरा नाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाया जाता है। शिव जी को चढ़ाएं जाने वाले बेलपत्र की संख्या तीन है जो अत्यन्त शुभ मानी जाती है क्योंकि तीन पत्ते त्रिदेव व त्रिलोक के प्रतीक होते हैं।

अंक तीन का शास्त्रो में महत्व

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शास्त्रों में पूरे दिन को चार प्रहर में बांटा गया हैं चार प्रहर में से भगवान शिव को तीसरा प्रहर यानि संध्या का समय बहुत प्रिय है इसे प्रदोष काल भी कहा जाता है। इस समय भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी होती है। सभी देवी-देवताओं में से महादेव ही हैं जिनके तीन नेत्र है जो दर्शातें है कि शिव का तीसरा अंक से कितना गहरा नाता है। भगवान शिव का प्रिय शस्त्र त्रिशूल है जो शिव जी के तीन से सम्बन्ध को दर्शाता है क्योंकि त्रिशूल ही मात्र एक ऐसा शस्त्र है जिसमें तीन शूल है। भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने से शत्रु, बाधा और भय दूर होता है।

भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा से हथेली में होते हैं त्रिशूल के निशान

हर व्यक्ति के हथेली में कुछ टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं होती हैं। इन्ही रेखाओ मे से कुछ ऐसे निशान बन जाते हैं जो बताते हैं कि व्यक्ति कितना भाग्यशाली है जो बहुत कम लोगों की हथेली में पायी जाती है। कहते हैं कि जिनकी हथेली में ऐसी रेखाएं होती है उन्हें अपने पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों के कारण भगवान शिव और विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्ति कम परिश्रम और प्रयास से ही सफलता की ऊचाईयों को छूते हैं और धन एवं सुख पाते हैं।

भगवान शिव का प्रतीक चिन्ह त्रिशूल माना जाता है। समुंद्र शास्त्र के अनुसार हथेली में जिस रेखा से मिलकर त्रिशूल चिन्ह बनता है उस रेखा को फल कई गुना बढ़ जाता है। अगर त्रिशूल चिन्ह भाग्य रेखा पर बना हो तो व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। हृदय रेखा के सिर पर गुरु पर्वत के पास त्रिशूल चिन्ह व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा और गुणवान बनाता है ऐसे व्यक्ति धनवान और भाग्यवान होते हैं।

सूर्य रेखा पर त्रिशूल का चिन्ह व्यक्ति को सरकारी क्षेत्र में लाभ और उच्च पद प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक होता है लेकिन त्रिशूल के साथ कई अन्य रेखाएं बनी होती है तो इसका परिणाम ठीक विपरीत होता है।

भगवान शिव के तीन नेत्र है। इसी प्रकार तीन अंक भगवान शिव का अतिप्रिय होता है। यह सिद्ध हुआ है।

उसी प्रकार कमल पुष्प को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का प्रतीक चिन्ह माना जाता है हथेली में कमल का निशान भाग्य रेखा, शनि पर्वत, गुढ़ पर्वत जीवन रेखा, शुक्र पर्वत पर होना बड़ा ही शुभ होता है। ऐसे व्यक्ति गरीब घर में भी पैदा हो तो अपनी योग्यता और परिश्रम से खूब धन अर्जित करते हैं और मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। भगवान विष्णु ने मछली का अवतार लिया था जिसे मत्स्य अवतार कहा जाता है। हथेली में मछली की आकृति का होना बड़ा ही शुभ माना जाता है। जीवन रेखा या भाग्य रेखा पर मछली का होना बताता है कि व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होगा। जीवन रेखा पर इस आकृति का होना दीर्घायु का भी सूचक है।

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