शिव जी के पावन माह में श्रावण शिवरात्रि 15 जुलाई दिन शनिवार को मनाई जायेगी। इस शिवरात्रि पर दो शुभ योग बन रहे हैं जिसके कारण यह शिवरात्रि बेहद खास है। लगभग 30 साल बाद इस बार शिवरात्रि पर शनि देव की विशेष कृपा होगी। इसका कारण है कि शनि अपनी ही राशि में गोचर कर रहे है। शनि प्रदोष का संयोग होने से यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है।
शिवरात्रि पर, जब शनि अपने ही राशि में गोचर कर रहे हैं,तो यह व्रत करने से संतान की कामना पूरी होती है। इसके साथ ही, धुव्र योग और वृद्धि योग भी इस व्रत को और शोभायमान कर रहे हैं। धुव्र योग में कार्य सिद्धि होती है और वृद्धि योग पुण्य को बढ़ाता है। इस बार, 15 जुलाई को शनिवार के दिन शिवरात्रि है।
चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ लगभग 8ः32 बजे होगा और जलाभिषेक 16 जुलाई को रात 10ः08 पर समाप्त होगा। श्रवण मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि रात्रि 8ः32 तक रहेगी। इस समय, वृद्धि और धुव्र योग होंगे, मृगशिरा नक्षत्र और मिथुन राशि में चंद्रमा विराजित रहेंगे। इस प्रकार, शिवरात्रि के समय रात्रि 8ः32 बजे तक जल चढ़ाएं।