हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि को एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी इस व्रत का बड़ा महत्व माना जाता है। फाल्गुन मास में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत का उल्लेख स्कन्द पुराण में मिलता है। मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस पावन पर्व के दिन जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करता है उस व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इस एकादशी का व्रत जो कोई भी व्यक्ति रखता है वह सदैव विजयी रहता है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में कई सारे राजा-महाराजा इसी व्रत के माध्यम से ही निश्चित हार को भी जीत में बदलने के लिए सक्षम हो गये थे। इस व्रत को रखने से जातक को पुण्य की प्राप्ति होती है साथ ही इस व्यक्ति के पूर्व जन्म से लेकर इस जन्म तक के पापों से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है।
विजया एकादशी पूजा विधि
☸ एकादशी तिथि के दिन प्रातः काल शुभ मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें।
☸ उसके बाद एक वेदी बनाकर कलश में पंचपल्लव रखकर भगवान श्री विष्णु जी की मूर्ति की स्थापना करें।
☸ उसके बाद विष्णु जी को धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी का पत्ता श्री विष्णु जी को अर्पित कर विधिपूर्वक पूजा अर्चना करें।
☸ यदि संभव हो तो बिना अन्न जल ग्रहण किये व्रत करें अन्यथा फलाहार व्रत कर सकते हैं।
☸ चावल न बनायें झूठ न बोलें, हिंसा और नशा न करें, मन, वचन और कर्म को शुद्ध रखें, जरूरतमंदों को भोजन करायें।
☸ उपवास के साथ श्री विष्णु जी की कथा अवश्य सुनें और रात्रि में श्री विष्णु जी के नाम का ही भजन-कीर्तन करते हुए रात भर जगराता करें।
☸ उसके अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर ही व्रत का पारण करें।
विजया एकादशी शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी का व्रत 06 और 07 मार्च बुध और गुरूवार 2024 को मनाया जायेगा।
एकादशी तिथि प्रारम्भः- 06 मार्च 2024 सुबह 06ः30 मिनट से।
एकादशी तिथि समाप्तः- 07 मार्च 2024 सुबह 04ः13 मिनट तक।