☸नवरात्रि के दिन माँ के नौ स्वरुपों की विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए और हर पल माँ का ध्यान अवश्य करें तथा सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
☸अपनी सभी मनोकामना पूर्ति हेतु आप नवरात्रि में व्रत अवश्य रखें ऐसा करने से आपके जीवन में माँ का आशीर्वाद बना रहेगा।
☸नवरात्रि में पूरे नौ दिन आप अवश्य ही ब्रह्म मुहूर्त में उठे और स्नान आदि कर के माँ का ध्यान एवं पूजन अवश्य करें।
☸नवरात्रि के समय हमेशा हल्के रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें यदि हो सके तो काले एवं गहरे नीले रंग के वस्त्रो के प्रयोग से बचें।
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☸नवरात्रि के नौ दिनों में माँ के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा अवश्य करें, प्रत्येक दिन माँ को अलग-अलग प्रकार के भोग एवं फूल अवश्य ही चढ़ाएं शास्त्रो में प्रत्येक स्वरुप के लिए एक खास रंग निर्धारित किया गया है।
☸नवरात्रि को हम गुड़ी पड़वा के नाम से भी जानते है। नवरात्रि में पूरे नौ दिन देवी माँ के अलग-अलग स्वरुपों की आराधना की जाती है।
☸नवरात्रि के प्रथम दिन साफ-सफाई करके पूरें घर में गंगाजल का छिड़काव अवश्य करें। इसके बाद आप अपने घर एवं मंदिर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक अवश्य बनाएं।
☸नवरात्रि में माँ दुर्गा अपने भक्तों के घर में प्रवेश करती हैं। इसलिए माँ के आगमन से पहले ही पूरे घर की साफ-सफाई अवश्य कर लें क्योंकि घर में गंदगी होती है या जो घर अव्यवस्थित होता है वहां माता रानी नहीं आती है।
☸नवरात्रि का मतलब होता है नौ दिन, नौ रुप, नौ रंग इसका मतलब यह है कि माँ के हर एक स्वरुप का एक अलग रंग है इस लिए नवरात्रि में नौ रंगों का विशेष महत्व है।
☸नवरात्रि में नौ दिनों तक दाढ़ी-मूंछ बनवाना बाल या नाखून काटना अशुभ माना जाता है। इसलिए नवरात्रि शुरु होने से पहले ही ये सारे जरुरी कार्य अवश्य कर लें।
☸यदि आप नवरात्रि में नौ दिन का व्रत नहीं रख पा रहे है तो आपको अपनी शक्ति व सुविधा के अनुसार सप्तरात्र, पंचरात, त्रिरात्र अथवा एक रात्र, युग्मरात्र व्रत करना चाहिए।
☸प्रतिपदा से सप्तमी तिथि तक व्रत करने को सप्तरात्र व्रत कहा जाता है। पंचमी का एक मुक्त यानि एक बार भोजन करें, षष्ठी को नक्तव्रत यानि रात्रि में भोजन, सप्तमी को आयाचित यानि बिना मांगे, अष्टमी को उपवास और नवमी का पारण करने से पंचरात्र व्रत पूर्ण होता है।
☸त्रिरात्र व्रत सप्तमी, अष्टमी व नवमी को एक बार भोजन करने से पूरा होता है। एक रात्र व्रत प्रतिपदा से नवमी के बीच किसी एक तिथि को व्रत रखने से तथा युग्मरात्र व्रत आरम्भ और अंतिम दिन व्रत रखने से होता है यानि प्रतिपदा एवं नवमी।
☸यदि आप नौ दिन व्रत नहीं कर पाएं तो इनमें से कोई भी व्रत आप संकल्प पूर्वक करें तो निश्चित ही मनोकामना की पूर्ति व सिद्धि प्राप्त होगी।
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