बात करें यदि हम छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती की तो पूरे देश में छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम बहुत ही गर्व से लिया जाता है। उन्होंने अपने राष्ट्र के मुगलों से बचाने के लिए हर संभव प्रयास किये तथा ऐसे कई कदम उठायें थे जिसके वजह से इतिहास के पन्नों में शिवाजी का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया गया है। छत्रपति शिवाजी नें 16 वीं शताब्दी में डक्कन के राज्यों को एक स्वतंत्र मराठा राज्य बनाया था। कहा जाता है कि उन्होंने ही सबसे पहले हिन्दू साम्राज्य की स्थापना की थी। छत्रपति शिवाजी को उनकी वीरता रणनीति और कुशल नेतृत्व के चलते ही छत्रपति की उपाधि दी गई थी। छत्रपति शिवाजी की इस तिथि को शिव जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है।
बाल गंगाधर तिलक नें शुरूआत की शिवाजी जयन्ती की परम्परा
बाल गंगाधर तिलक जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानी ने छत्रपति शिवाजी महाराज जयन्ती को धूमधाम से मनाने की परम्परा की शुरूआत की थी। दरअसल बाल गंगाधर तिलक तथा अन्य विद्वानों ने शिवाजी की जन्म तिथि का पता लगाने की कोशिश की थी और उस पर अपने-अपने विचार रखे थें। उसके बाद तिलक ने अपनी पत्रिका केसरी के साल 1990 ई0 में 14 अप्रैल के संस्करण में विस्तार से जानकारी दी और तिलक नें यह भी कहा की शिवाजी के जन्मतिथि की कोई सही जानकारी है। उसके बाद कुछ लेखों को मानते हुए ही शिवाजी का जन्म 28 मार्च 1630 मानी गई और इसी के आधार पर शिवाजी की जयन्ती प्रतिवर्ष मनाई जाती है।
क्यों इतने प्रसिद्ध है छत्रपति शिवाजी
छत्रपति शिवाजी महाराज जी का नाम देशी देवी शिवई के नाम पर ही रखा गया था। शिवाजी महाराज को उनके साहस और युद्ध कौशल के लिए जाना जाता है। आपको बता दें वह अपनी सेना के माध्यम से ही गुरिल्ला लड़ने की तकनीक पेश करने वाले पहले व्यक्ति थे। इन्होंने मायाल, कोंकण और मराठा को एक रथ लाने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शिवाजी ने अपनी सामान्य भाषा फारसी को छोड़कर मराठी, संस्कृत तथा क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को भी काफी ज्यादा बढ़ा दिया था।