गणेश चतुर्थी सभी देवों में प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने का सर्वोत्तम त्योहार है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
गणेश चतुर्थी का महत्व:
मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से गणेश जी की उत्पत्ति की थी। इस त्योहार को नई शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है और गणेश जी को बुद्धि एवं ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है। हिन्दू शास्त्रों में गणेश चतुर्थी पूजा को समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
गणेश चतुर्थी का त्योहार 10 दिवसीय होता है जो इस साल 7 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक रहेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार इसका समापन अनंत चतुर्दशी पर्व के साथ होगा। गणेश चतुर्थी को चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए लेकिन पूर्वी भारत में इस तिथि को चौथ चांद पर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसमें उदित होते हुए भगवान चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
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गणेश विसर्जन
गणेश चतुर्थी के दिन घर में स्थापित की गई गणपति बप्पा की प्रतिमा को अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जित किया जाता है।
गणेश जी के विशेष अनुदान
भगवान गणेश को उनकी बुद्धि और ज्ञान के साथ कुछ विशेष अनुदान मिले हैं जो उन्हें हिन्दू देवताओं में से एक बनाते हैं।
उन्हें एकदंत क्यों कहा जाता है?
आप सभी को उनके हाथी के सिर के पीछे का इतिहास पता है, लेकिन क्या आप उनके एक दांत के पीछे का इतिहास जानते हैं? ब्रह्मववर्त पुराण के अनुसार, महान ऋषि परशुराम एक बार कैलाश पर्वत पर शिव जी के दर्शन करने गए थे। तब गणेश जी ने परशुराम जी को शिव जी से मिलने नहीं दिया जिससे परशुराम जी नाराज होकर अपनी कुल्हाड़ी से गणेश जी पर प्रहार किया। तब गणेश जी ने उनके प्रहार को अपने एक दांत पर ले लिया, उस प्रहार में उनका एक दांत टूट गया, इस कारण उन्हें एकदंत कहा गया।
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