Jivitputrika Vrat 2024: संतान की लंबी आयु के लिए मां रखेंगी निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत
मां अपने बेटे की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत रखेंगी। इस विशेष व्रत में माताएं संतान की सुरक्षा और कल्याण की प्रार्थना करती हैं। निर्जला व्रत का मतलब है कि इस दौरान अन्न और जल का सेवन नहीं किया जाता, जिससे यह व्रत कठिनाइयों में भी संतान के प्रति मां के अटूट प्रेम और समर्पण को दर्शाता है। इस व्रत को निभाकर माताएं अपने बच्चों के लिए दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
Jivitputrika Vrat 2024: संतान की लंबी आयु के लिए मां रखेंगी निर्जला
जीवित्पुत्रिका व्रत 2024: जिउतिया या जितिया व्रत
जैसा कि हम जानते हैं, जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे जिउतिया या जितिया व्रत भी कहा जाता है, विशेषकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह व्रत माताओं द्वारा संतान की लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना के लिए रखा जाता है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है, जिसका मतलब है कि इसमें अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता, और इसलिए इसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है।
पंचांग के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, जितिया व्रत 25 सितंबर 2024 (बुधवार) को रखा जाएगा, और इसके अगले दिन, यानी 26 सितंबर 2024 को व्रत का पारण किया जाएगा।
जीवित्पुत्रिका व्रत में जीमूतवाहन की पूजा
जीमूतवाहन एक गंधर्व राजकुमार थे, जिन्होंने सारा राजपाट छोड़कर वन में रहने का निर्णय लिया। एक दिन, जब वे वन में थे, उनकी मुलाकात एक वृद्ध महिला से हुई, जिसका संबंध नागवंश से था। उस महिला की आंखों में आंसू थे, और वह बहुत रो रही थी। जीमूतवाहन ने उनसे रोने का कारण पूछा। वृद्ध महिला ने बताया कि पक्षीराज गरुड़ को नागों ने वचन दिया है कि हर रोज उसे एक नाग का आहार मिलेगा। आज उसके बेटे, शंखचूड़, की बारी है।
Jivitputrika Vrat 2024: संतान की लंबी आयु के लिए मां रखेंगी निर्जला
जीमूतवाहन ने वृद्ध महिला से कहा, “आपके बेटे को कुछ नहीं होगा। आज मैं गरुड़ के पास जाऊंगा और उसकी आहार नहीं बनने दूंगा।” यह कहकर, जीमूतवाहन गरुड़ के पास चले गए। लाल कपड़े में लिपटे जीमूतवाहन को गरुड़ ने पंजे में दबोच लिया और उड़ गए। दर्द से जीमूतवाहन की कराहें निकलने लगीं।
गरुड़ ने उनकी आवाज सुनी और एक शिखर पर रुक गए। तब जीमूतवाहन ने गरुड़ को सारी बातें बताईं। उनकी दया भावना और साहस देखकर गरुड़ बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने जीमूतवाहन को जीवनदान दिया और वचन दिया कि अब से वह किसी भी नाग को अपना आहार नहीं बनाएंगे।
इस प्रकार, जीमूतवाहन के प्रयासों के कारण नागवंश की रक्षा हुई। मान्यता है कि इसके बाद से ही जीवित्पुत्रिका व्रत में जीमूतवाहन की पूजा की जाने लगी। ऐसा माना जाता है कि जिस प्रकार जीमूतवाहन ने वृद्ध महिला के पुत्र की रक्षा की, उसी प्रकार वे सभी माताओं के संतानों की रक्षा करेंगे और उनकी गोद कभी सूनी नहीं होने देंगे।
Jivitputrika Vrat 2024: संतान की लंबी आयु के लिए मां रखेंगी निर्जला
संतान की लंबी आयु के लिए मां रखेंगी निर्जला जीवित्पुत्रिका व्रत
जीवित्पुत्रिका व्रत के संबंध में यह मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान को कभी किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता। इसके साथ ही, संतान को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होता है।
महाभारत में एक महत्वपूर्ण घटना का वर्णन मिलता है, जिसमें अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पांच संतानों को मार डाला। इसके बाद, अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर कारावास में डाल दिया और उसकी दिव्यमणि छीन ली। अश्वत्थामा ने इस कृत्य के प्रति क्रोधित होकर बदले की भावना से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को गर्भ में ही नष्ट कर दिया।
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Jivitputrika Vrat 2024: संतान की लंबी आयु के लिए मां रखेंगी निर्जला
लेकिन श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे अजन्मे संतान को फिर से जीवित कर दिया। इसी कारण उस संतान का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। इस प्रकार के मृत्यु के बाद पुनः जीवित होने के कारण जीवित्पुत्रिका व्रत को संतान के लिए एक सुरक्षा कवच के समान माना जाता है। यह व्रत माताओं की प्रार्थनाओं और आस्था का प्रतीक है, जो उनकी संतानों की रक्षा और कल्याण के लिए किया जाता है।
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