लक्ष्मी पंचमी का पावन पर्व चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार इस पर्व की पूजा के कल्पादि तिथि में की जाती है। कल्प की शुरूआत होने के कारण इस दिन को कल्पादि तिथि के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में लक्ष्मी पंचमी के इस त्योहार को श्री पंचमी या श्री व्रत के रूप में भी जाना जाता है और मुख्य रूप से यह पर्व सुख-समृद्धि की देवी माँ लक्ष्मी जी को समर्पित होता है।
Lakshmi Panchami by Astrologer K.M. Sinha (लक्ष्मी पंचमी )-
लक्ष्मी पंचमी का महत्व
हिन्दू धर्म में लक्ष्मी पंचमी का अत्यधिक महत्व माना जाता है। यह पावन पर्व हिन्दू धर्म के अनुसार नव वर्ष के प्रथम सप्ताह के दौरान आता है। पंचमी तिथि का यह दिन पूरी तरह से माँ लक्ष्मी जी को समर्पित है। इस दिन लक्ष्मी जी का पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। कुछ लोग इस दिन उपवास रखकर अपने घर के साथ-साथ अपने कार्यस्थल पर भी पूजा-अर्चना करते हैं।
इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से घर में आयी हुई दरिद्रता दूर हो जाती है इसलिए इस दिन सभी भक्त अपनी-अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए श्रद्धा से माँ लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करके उनकी पूजा-अर्चना कर विशेष फल तथा धन और सम्पदा की प्राप्ति करते हैं।
आइए जानें ज्योतिषाचार्य के.एम.सिन्हा द्वारा लक्ष्मी पंचमी की पूजा विधि
☸ लक्ष्मी पंचमी की पूजा विधि के अनुसार इस दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
☸ पूजा स्थल को अच्छे से साफ-सुथरा करके सर्वप्रथम माँ लक्ष्मी के स्त्रोत और मंत्रों का जाप करते हुए माँ लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें।
☸ माँ लक्ष्मी जी की मूर्ति को पंचामृत से पूरी तरह शुद्ध करके उनके समक्ष चंदन, केले का पत्ता, फूल की माला, लाल धागा, सुपाड़ी, नारियल और दूर्वा चढ़ायें।
☸ तत्पश्चात माँ लक्ष्मी की आरती करें और आरती समाप्त हो जाने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करायें साथ ही दक्षिणा भी दें।
☸ इस व्रत के दौरान अन्न ग्रहण न करें।
☸ व्रत के दौरान आप केवल फल, दूध और मीठे वस्तुओं का ही सेवन करें तथा नमक वाली वस्तुओं को खाने से दूर रहें।
☸ उसके बाद कनकधारा स्त्रोत और श्री सुक्तम के स्त्रोतों का पाठ अवश्य करें।
लक्ष्मी पंचमी शुभ मुहूर्त
पंचमी तिथि प्रारम्भः- 12 अप्रैल 2024 को दोपहर 01ः11 मिनट से,
पंचमी तिथि समाप्तः- 13 अप्रैल 2024 को दोपहर 12ः04 मिनट पर।