Navratri 2024 Kalash Sthapana: जानें कलश स्थापना से लेकर विसर्जन तक के महत्वपूर्ण नियम और ज्योतिषीय उपाय

Navratri 2024 Kalash Sthapana: जानें कलश स्थापना से लेकर विसर्जन तक के महत्वपूर्ण नियम और ज्योतिषीय उपाय

हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व है। यह पर्व मां दुर्गा की आराधना और उनके नौ रूपों की पूजा को समर्पित होता है। 2024 में शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से प्रारंभ होगी और 11 अक्टूबर को विजयदशमी के दिन इसका समापन होगा। इस दौरान, घर-घर में मां दुर्गा की पूजा, व्रत और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण और शुभ अनुष्ठान है कलश स्थापना (Navratri 2024 Kalash Sthapana), जो धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। सही तरीके से की गई कलश स्थापना से न केवल घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है, बल्कि समृद्धि और उन्नति के नए द्वार भी खुलते हैं।

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कलश स्थापना (Navratri 2024 Kalash Sthapana) का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्त्व

कलश को हिंदू धर्म में शुभता, पवित्रता और संपन्नता का प्रतीक माना गया है। कलश की स्थापना (Navratri 2024 Kalash Sthapana) करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मां दुर्गा की कृपा से परिवार पर कोई संकट नहीं आता। इस धार्मिक कार्य में ज्योतिषीय नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है। नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना का सीधा संबंध माँ दुर्गा के आह्वान से होता है, जिससे भक्तों के जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति का आगमन होता है।

ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि कलश की स्थापना (Navratri 2024 Kalash Sthapana) को विधिवत् करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कलश में जल, अक्षत (चावल), सिक्का, सुपारी और आम के पत्ते रखने का धार्मिक महत्त्व होता है। इसके ऊपर एक नारियल रखा जाता है जो कलश को पूर्णता प्रदान करता है। कलश की स्थापना के समय विशेष मंत्रों का जाप और पूजा का विधान भी आवश्यक होता है।

कलश स्थापना (Navratri 2024 Kalash Sthapana) का शुभ मुहूर्त और प्रक्रिया 

शारदीय नवरात्रि 2024 की शुरुआत 3 अक्टूबर को हो रही है और इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5.50 बजे से लेकर सुबह 6.55 बजे तक रहेगा। शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है।

घर की सफाई करें

नवरात्रि के साथसाथ यह समय भारतीय नववर्ष का भी आरंभ होता है। इसलिए नवरात्रि की शुरुआत से पहले प्रातःकाल उठकर घर की साफ-सफाई करना बहुत जरूरी होता है। घर के हर कोने को अच्छी तरह से पानी से धोएं और घर से वह सामान हटा दें, जिसका उपयोग लंबे समय से नहीं हुआ है।

सफाई के बाद, घर के मुख्य द्वार पर आम, अशोक या फूलों की बंधनवार (तोरण) लगाएं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके। यदि आपने पिछले वर्ष मिट्टी की मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की थी, तो उसे कलश स्थापना से पहले विसर्जित कर दें।

मंदिर की सफाई करें

कलश स्थापना (Navratri 2024 Kalash Sthapana) से पहले मंदिर की साफ-सफाई करना बेहद जरूरी है। इसमें सबसे पहले सभी देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। मंदिर के हर कोने को अच्छी तरह से साफ करें, ताकि पूजा का स्थान पवित्र और शुभ बना रहे। मंदिर की सफाई करते समय ध्यान रखें कि पूजा का वातावरण पवित्र बना रहे।

स्वास्तिक का निर्माण करें

घर के मुख्य दरवाजे की सफाई करने के बाद, वहां स्वास्तिक का निशान बनाएं। स्वास्तिक का निशान वास्तु शास्त्र में बहुत शुभ माना जाता है और यह घर में सुख-समृद्धि लाने का प्रतीक है। स्वास्तिक का निर्माण करते समय ध्यान दें कि यह सही तरीके से बनाया जाए, ताकि देवी दुर्गा का आह्वान सफलतापूर्वक किया जा सके।

किचन की सफाई करें

पूरे घर की सफाई के साथ-साथ रसोईघर (किचन) की साफ-सफाई भी बहुत जरूरी होती है क्योंकि मां दुर्गा को भोजन का भोग लगाने से पहले, रसोईघर का हर कोना पवित्र होना चाहिए। साफ-सुथरी किचन में भोजन तैयार करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।

कलश स्थापना (Navratri 2024 Kalash Sthapana) की विधि:

कलश को अच्छी तरह से धोकर उसमें स्वच्छ जल भरें। फिर उसमें गंगाजल, सुपारी, सिक्का, अक्षत, दूर्वा और पुष्प डालें।

कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर एक पवित्र नारियल रखें। नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर मौली (कलावा) से बाँधें।

कलश पर रोली से स्वस्तिक का चिन्ह बनाएं। यह समृद्धि और शुभता का प्रतीक होता है।

स्थापना के बाद ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’मंत्र का जाप करें। इससे मां दुर्गा का आह्वान होता है और उनकी कृपा प्राप्त होती है।

अखंड ज्योति का प्रज्वलन

नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति प्रज्वलित करना भी एक प्रमुख अनुष्ठान है। इस ज्योति को नौ दिनों तक बिना बुझाए जलाना शुभ माना जाता है। ज्योति की देखभाल करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह मां दुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक होती है। अखंड ज्योति प्रज्वलित करने से घर में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

कलश विसर्जन के विशेष नियम

नवरात्रि के नौ दिनों के बाद कलश का विसर्जन करना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। जिस प्रकार कलश की स्थापना के नियम होते हैं, उसी प्रकार इसका विसर्जन भी कुछ विशेष नियमों के तहत किया जाता है। नवमी तिथि या दशमी के दिन, कलश का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के समय इन बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है:

नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद: 

नवरात्रि के समापन पर कन्या पूजन के बाद कलश का विसर्जन करना चाहिए। कन्याओं को भोजन कराकर उपहार देना भी आवश्यक होता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

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विसर्जन के दौरान मंत्रों का जाप: 

कलश उठाने और विसर्जन करते समय ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ मंत्र का जाप करें। यह मंत्र मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

नारियल का प्रसाद वितरण: 

कलश पर रखा नारियल को कन्या पूजन के दौरान तोड़कर प्रसाद के रूप में वितरित करें। इसे घर के सभी सदस्यों को भी दें, जिससे पूजा का पूरा फल प्राप्त हो सके।

अक्षत का उपयोग: 

कलश के नीचे रखे अक्षत (चावल) को पूरे घर में छिड़कें। यह समृद्धि और शुभता का प्रतीक होता है और इससे घर में किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता।

चुनरी और जल का उपयोग: 

कलश की चुन्नी को किसी बहन या माता को दे दें और कलश के जल को पूरे घर में आम के पत्तों की सहायता से छिड़कें। बचा हुआ जल किसी पौधे में डाल दें। यह घर में समृद्धि का आशीर्वाद लाने में मदद करता है।

सिक्का और अन्य वस्तुएं: 

कलश में रखा सिक्का अपने माथे से लगाएं और उसे अपने धन स्थान (तिजोरी) में रखें। यह धन-संपत्ति में वृद्धि और घर में सौहार्द बनाए रखने का प्रतीक होता है।

विशेष ज्योतिषीय उपाय

शारदीय नवरात्रि के दौरान कुछ ज्योतिषीय उपायों का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि और आर्थिक उन्नति की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

कन्याओं को भोजन कराएं और सामर्थ्य अनुसार उपहार दें।

नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

माँ दुर्गा के प्रत्येक रूप को नौ दिनों तक विधिपूर्वक पूजें और उन्हें मनोवांछित भोग अर्पित करें।

नवरात्रि का पर्व सिर्फ धार्मिक आस्था का नहीं बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक भी होता है। कलश स्थापना और विसर्जन से जुड़े इन नियमों और उपायों का पालन कर आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आह्वान कर सकते हैं।

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