Palmistry: कर्म और भविष्य की जीवित पुस्तक
हमारा हाथ एक अद्भुत जन्मपत्रिका है, जो ब्रह्मा द्वारा रचित होती है। यह न केवल हमारी शारीरिक संरचना का हिस्सा है, बल्कि हमारे जीवन की पूरी दिशा को दर्शाने वाला एक सूक्ष्म मानचित्र है। हस्त रेखाएं (Palmistry) कभी नष्ट नहीं होतीं और जीवनभर हमें सही मार्ग पर चलने का संकेत देती रहती हैं। इनकी शक्ति इतनी प्रबल है कि वे ग्रहों के समान हमें अमोध फल प्रदान करती हैं।
नारद जी और हस्त रेखा (Palmistry) का पहला उल्लेख
प्राचीन काल की कथाओं में सबसे पहले नारद जी ने पर्वतराज हिमालय और माता मैना की पुत्री गिरीजा (माता पार्वती) का हाथ देखा था। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि गिरीजा का विवाह एक ऐसे व्यक्ति से होगा, जो तीनों लोकों का स्वामी होते हुए भी बैरागी होगा। यह कथा दर्शाती है कि हस्तरेखा (Palmistry) का महत्व पौराणिक काल से ही चला आ रहा है।
हस्त रेखा (Palmistry) का प्राचीन काल से महत्व
हस्तरेखा विज्ञान (Palmistry) का प्रचलन भारत में पौराणिक काल से है, लेकिन इसका प्रमाण वैदिक काल से भी मिलता है। अथर्ववेद (पेज न. 52.8) में लिखा है, “कृत दक्षिण-हस्ते जयो में सत्य आहितः,” जिसका अर्थ है कि हमारा दाहिना हाथ (पुरुषार्थ) वर्तमान का सूचक है और बायां हाथ हमारे भूतकाल की विजय का संकेत देता है।
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हाथ के प्रकार और उनके लक्षण
मनुष्य के हाथ की बनावट और आकार से उसके चरित्र और जीवन की दिशा का अनुमान लगाया जा सकता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के हाथों का वर्णन किया गया है:
प्रारंभिक हाथ
इस प्रकार के हाथों की रेखाएं अविकसित होती हैं और इन्हें पुष्ट या निकृष्ट हाथ कहा जाता है। यह सरल और बिना किसी विशेष विशेषता के होते हैं।
वर्गीकार हाथ (चतुष्कोण हाथ)
इस प्रकार के हाथ समकोणीय और व्यवसायिक होते हैं। इन्हें प्रेक्टिकल और व्यावहारिक व्यक्तियों का हाथ माना जाता है।
चकसाकार हाथ
ऐसे हाथ उद्यमी और कर्मठ लोगों के होते हैं। इन हाथों की रेखाएं स्पष्ट होती हैं और ये व्यक्ति अत्यंत कार्यशील होते हैं।
कलात्मक हाथ
कलाकारों और रचनात्मक व्यक्तियों के हाथों को नुकीला, आर्टिस्टिक, और पाईटेड कहा जाता है। यह हाथ सुंदरता और कला के प्रति उनके झुकाव को दर्शाते हैं।
दार्शनिक हाथ
गठीली अंगुलियों वाले हाथ को फिलोसोफिक या विचारशील हाथ कहा जाता है। ऐसे हाथ विचारक व्यक्तियों का प्रतीक होते हैं, जो जीवन के गहरे अर्थों की खोज में रहते हैं।
आदर्श हाथ
वैदिक और साइकिक हाथ को आदर्शवादी हाथ कहा जाता है। ये हाथ व्यक्ति की उच्च मानसिक क्षमता और आध्यात्मिकता का सूचक होते हैं।
कोणिक हाथ
इस प्रकार के हाथ को कोडिक हाथ कहा जाता है, जिनमें गहरे और तीक्ष्ण रेखाएं होती हैं। ये हाथ व्यक्ति की विश्लेषणात्मक और संगठित सोच को प्रकट करते हैं।
मिश्रित हाथ
मिला-जुला हाथ वह है जिसमें विभिन्न प्रकार की रेखाओं का मिश्रण होता है। इसे डपगमक भ्ंदक भी कहा जाता है, जो इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति विभिन्न प्रकार के गुणों और विशेषताओं से युक्त है।
हस्त रेखा(Palmistry) : कर्म और भाग्य का दर्पण
संत तुलसीदास ने भी श्री रामचरितमानस में लिखा है, “तुलसी रेखा कर्म की, भेट सके न राम।” इसका अर्थ यह है कि मनुष्य के हाथ की रेखाएं उसके कर्मों का दर्पण होती हैं। इसलिए, हस्त रेखाएं हमें हमारे जीवन के कर्मों के आधार पर भविष्य की दिशा दिखाती हैं।
हस्त रेखा विज्ञान एक गूढ़ और गहन अध्ययन का विषय है, जिसमें हमारे कर्म और भाग्य का सूक्ष्म विश्लेषण निहित है। यह हमें हमारे जीवन के हर पहलू का मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिससे हम सही निर्णय लेकर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।