Vikat Sankashti Chaturthi (विकट संकष्टी चतुर्थी) by Astrologer K.M. Sinha
विकट संकष्टी चतुर्थी की बात करें तो यह चतुर्थी तिथि अन्य सभी पड़ने वाले संकष्टी चतुर्थीयों में से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से सभी भक्तों की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह व्रत बुद्धि, विवेक और बल के देवता भगवान गणेश जी को समर्पित होता है। हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार वैशाख माह का पहला चतुर्थी व्रत ही विकट संकष्टी चतुर्थी के रूप में रखा जाता है।
विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व
माह में पड़ने वाली दो संकष्टी चतुर्थीयों में से विकट संकष्टी चतुर्थी अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। इस दिन की पूजा-अर्चना करने से जातक के जीवन में आने वाली विघ्न और बाधाएँ दूर हो जाती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान गणेश जी की उपासना करने से सभी भक्तों को सुख -समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विष्णु पुराण में वर्णित इस दिन की कथा के अनुसार बिना कथा सुने इस दिन का व्रत पूर्ण नही माना जाता है। इस कथा को सुनने मात्र से ही भगवान गणेश जी जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।
आइए जानें ज्योतिषाचार्य के.एम.सिन्हा द्वारा विकट संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा
विकट संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथाओं के अनुसार एक है एक बार भगवान गणेश जी माता पार्वती और शिव जी के साथ नदी के किनारे पर बैठे थें तभी, उनका मन चैसर खेलने को हुआ, परन्तु खेलने के दौरान उनकी निगरानी करने वाला कोई भी नही था। उसी समय शिव जी ने निगरानी करने के लिए अपने शक्ति से एक बालक को वहाँ उपस्थित कर दिया और उस बालक से स्वयं को विजेता घोषित करने का आदेश भी दिया।
इस तरह से माता पार्वती और शिव जी ने खेल खेलना प्रारम्भ किया। उस खेल में पार्वती माता तीन बार विजयी हुईं परन्तु उस बालक ने हमेशा शिव जी को ही विजेता घोषित किया।
उसके बाद माता पार्वती ने क्रोधित होकर उस बालक को लंगड़े होने का श्राप दे दिया श्राप देते ही वह बालक माता पार्वती से क्षमा माँगने लगा,माता ने कहा श्राप से मुक्ति तो नही मिल सकती परन्तु मैं तुम्हंे इस श्राप से मुक्त होने का उपाय बता सकती हूँ उन्होंने कहा कि विकट संकष्टी चतुर्थी वाले दिन यहाँ पूजा करने के लिए कन्याएँ आती हैं। तुम इस व्रत का विधिपूर्वक पूजन करो इससे तुम्हें श्राप से हमेशा के लिए मुक्ति मिल जायेगी।
माँ पार्वती के कहेनुसार उस बालक नें कन्याओं से व्रत की विधि पूछी तब उन कन्याओं ने कहा कि तुम्हें इस पाप से मुक्ति पाने के लिए 21 दिनों तक व्रत रखना पड़ेगा। कन्याओं के कहेनुसार पूजन करके उस बालक ने विधिपूर्वक पूजा-पाठ किया। उस बालक के पूजन से गणेश भगवान अत्यधिक प्रसन्न हुए, प्रसन्न होकर गणेश जी ने उस बालक से उसकी इच्छा पूछी तो उस बालक ने माँ पार्वती और शिव जी के पास जाने की इच्छा जाहिर की, गणेश जी ने तथास्तु कहते हुए उस बालक को कैलाश भेज दिया जहाँ उसकी मुलाकात केवल शिव जी से हुई क्योकि माँ पार्वती नाराज होकर कैलाश छोड़कर चली गई थीं।
शिव जी ने भी माँ पार्वती के लिये रखा था विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत
उस बालक को वहाँ देख शिव जी ने उससे सवाल किया कि तुम यहाँ कैस आ गये तब उस बालक ने अपनी पूरी कहानी शिव जी को बताई साथ-साथ विकट संकष्टी व्रत विधि और व्रत के महत्वों को भी बताया यह सब सुनने के बाद भगवान शिव जी ने भी माँ पार्वती को मनाने तथा उनका क्रोध शांत करने के लिए विकट संकष्टी के व्रत और पूजन का विधि पूर्वक पालन किया जिससे प्रसन्न होकर माँ पार्वती अपना क्रोध त्यागकर वापस कैलाश आ गई ।
इस तरह से इस व्रत की मान्यता धीरे-धीरे प्रचलित होती गई। कहा जाता है कि इस व्रत का पालन जो कोई भी श्रद्धा से करता है उसकी सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं साथ ही घर में आयी हुई विपदायें और कष्ट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं।
विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
☸ विकट संकष्टी चतुर्थी तिथि के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
☸ उसके बाद पूजा स्थल को अच्छे से साफ-सुथरा करके एक चौकी बिछाकर उस पर एक स्वच्छ लाल वस्त्र बिछायें।
☸ उस आसन पर भगवान गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें उसके बाद भगवान गणेश जी का ध्यान करें।
☸ गंगाजल से गणेश जी का अभिषेक करें और फल, फूल, चंदन, रोली,भोग, अक्षत, दीप, धूप और दुर्वा गणेश जी की प्रतिमा पर अर्पित करें।
☸ उसके बाद गणपति जी के मंत्र तथा अथर्वशीर्ष का पाठ करके अंत में आरती करें, आरती करके पूजा संपन्न करें।
विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन करें कुछ विशेष उपाय
☸ विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएँ और ओम श्री ओम ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः की 11 माला का जाप करें ऐसा करने से जातक के धन-सम्पत्ति से सम्बन्धित चल रही समस्या दूर होेेते हैं।
☸ यदि व्यापार में आपके शत्रु बाधा डाल रहे हैं तो आयी हुई बाधाओं को दूर करने के लिए विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन तंत्रोक्त मंत्र ओम श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा का 108 बार जाप करें साथ ही भगवान गणेश जी को मोदक का भोग लगायें व्यापार में तरक्की होगी।
☸ अपना स्वास्थ्य बेहतर बनाने और बुद्धि के विकास के लिए विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी को सिंदूर चढ़ाएं उसके बाद गणपति स्त्रोत का पाठ करें, विधिपूर्वक पूजा करने के पश्चात् गणेश जी को अर्पित किये गये सिंदूर से संतान का तिलक करें।
☸ मान्यता के अनुसार विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी के पंचरत्न स्त्रोत का पाठ अवश्य करें इस स्त्रोत का नित्य पाठ करने से स्वयं का एक भवन बनाने की इच्छा रखने वालों की कामना अवश्य पूरी होंगी।
विकट संकष्टी शुभ मुहूर्त
विकट संकष्टी चतुर्थी का पर्व 27 अप्रैल 2024 को शनिवार के दिन मनाया जायेगा।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भः- 27 अप्रैल 2024, प्रातः 08ः17 मिनट से,
चतुर्थी तिथि समाप्तः- 28 अप्रैल 2024, प्रातः 08ः21 मिनट पर।