कब है गजानन संकष्टी चतुर्थी 2024?
सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गजानन संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करके उनके आशीर्वाद से सुख-समृद्धि और बुद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से भक्तों के सभी दुःख दूर होते हैं और उन्हें हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
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चतुर्थी के दिन गणेश पूजा का विधिपूर्वक पालन करें-
1.सुबह जल्दी उठें: सर्वप्रथम स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सूर्य को अर्घ्य दें।
2.चौकी सजाएं: एक चौकी को सजाएं और उस पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
3.जल से अभिषेक: भगवान गणेश की प्रतिमा पर जल से अभिषेक करें।
4.फूल और तिलक: उन्हें पीले फूलों की माला अर्पित करें और कुमकुम का तिलक लगाएं।
5.भोग अर्पित करें: घर पर बनी मिठाई, मोदक आदि का भोग लगाएं।
6.दुर्वा घास अर्पित करें: भगवान गणेश को दुर्वा घास जरूर अर्पित करें।
7.मंत्र जाप और पाठ: गणपति के वैदिक मंत्रों का जाप करें और गणपति चालीसा का पाठ करें।
8.आरती और क्षमा प्रार्थना: पूजा के अंत में आरती करें और पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगें।
पूजा में तुलसी का इस्तेमाल न करें और तामसिक चीजों से दूर रहें। इस विधि से गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख–समृद्धि आती है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 24 जुलाई , 2024 को 07ः 30 से चतुर्थी तिथि समाप्त – 25 जुलाई, 2024 को 04ः 39 पर।
हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा अत्यंत कल्याणकारी मानी गई है। किसी भी शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा की जाती है, इसलिए उन्हें प्रथम पूज्य कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में शुभता का आगमन होता है।