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जाने क्यों है विशेष नए वर्ष में आने वाली पहली पौष पूर्णिमा ?

Kartika Purnima 2024: Celebrating the Full Moon of Auspicious Beginnings

Kartika Purnima 2024: Celebrating the Full Moon of Auspicious Beginnings

हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। पौष पूर्णिमा को शाकंभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपने पूर्ण आकार में दिखाई देता है। ऐसी मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान करने से पाप का नाश होता है। जिस दिन चन्द्रमा पूर्ण आकार में होता है। उस दिन को पूर्णिमा कहा जाता है। पौष पूर्णिमा को पूरे भारत में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। हिन्दू मंदिरो मे अनुष्ठान भी आयोजित किए जाते है। प्रत्येक माह की पूर्णिमा पर कोई न कोई त्यौहार अवश्य होता है परन्तु पौष और माघ माह की पूर्णिमा का अत्यधिक महत्व है।

पौष पूर्णिमा का महत्वः-

पौष पूर्णिमा का दिन बहुत ही शुभ होता है, जो मोक्ष की प्राप्ति चाहते है उनके लिए यह दिन उत्तम है। इस माह के बाद माघ का प्रारम्भ हो जाता है। माघ माह में किए जाने वाले स्नान का प्रारम्भ भी पौष पूर्णिमा से ही होता है। सूर्य एवं चन्द्रमा का संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है। इस दिन सूर्य एवं चन्द्रमा दोनो के पूजन से उपासक की सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

शांकभरी जयंतीः-

पौष पूर्णिमा के दिन ही शांकभरी जयंती मनाई जाती है। जैन धर्मावलंबियो (धर्म अनुयायी) के पुष्यभिषेक यात्रा की शुरुआत भी इसी दिन होती है। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासी इस छेरता का पर्व मनाते है। इस दिन माँ दुर्गा ने शांकभरी रुप धारण किया था।

पौष पूर्णिमा पर होने वाले आयोजनः-

इस दिन विभिन्न तीर्थ स्थलों पर धार्मिक आयोजन होते है पौष पूर्णिमा से तीर्थराज प्रयाग मे माघ मेले की शुरुआत होती है। माघ माह के स्नान का संकल्प पौष पूर्णिमा पर कर लेना चाहिए।

पौष पूर्णिमा 2023 का व्रत और पूजा विधिः-

☸पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सभी श्रद्धालु पूजा करने वाले एक साथ पवित्र जल मे स्नान करते है। इस दिन भगवान सूर्यदेव की आराधना करना बेहद शुभ माना जाता है।
☸ पौष पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करने से पहले उपवास का संकल्प है।
☸ पवित्र नदी, कुंड मे डुबकी लगाने से पहले वरुण देव को प्रणाम करें।
☸ मंत्रो का जाप करते हुए भगवान सूर्यदेव को पवित्र जल अर्पित करें।
☸ उसके बाद भगवान कृष्ण की पूजा करें और उन्हें पवित्र भोग या नैवेद्य अर्पित करें।
☸किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन खिलाएं एवं दान करें।
☸ लड्डू, गुड़, ऊनी वस्त्र और कंबल जैसी वस्तुओ को धर्मार्थ वस्तुओ के रुप मे शामिल करें।

पौष पूर्णिमा 2023 के दौरान अनुष्ठानः-

☸ पौष पूर्णिमा 2023 के लिए स्नान सबसे प्रमुख अनुष्ठान है। उपासक बहुत जल्दी उठ जाते है और सूर्योदय के समय पवित्र नदियो मे स्नान करते है। वे उगते सूरज को अर्घ देते है और कुछ अन्य धार्मिक अभ्यास भी करते है।
☸ स्नान करने के पश्चात श्रद्धालु जल से शिवलिंग की पूजा करते है और कुछ समय वही साधना मे लीन रहते है।
☸ भक्त इस दिन सत्यनारायण का व्रत भी रखते है तथा पूरी भक्ति भाव से भगवान विष्णु जी की पूजा करते है। साथ ही व्रत भी रहते है।
☸ भगवान को अर्पित करने के लिए विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है और अंत मे आरती की जाती है। उसके बाद सभी में प्रसाद वितरण किया जाता है।
☸ पौष पूर्णिमा के दिन पूरे भारत में भगवान कृष्ण के मंदिरो मे विशेष ‘पुष्यभिषेक’ यात्रा मनाई जाती है। इस दिन रामायण और भगवत गीता का अखण्ड पाठ भी आयोजित किया जाता है।
☸ पौष पूर्णिमा के दिन दान करना बहुत शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया गया दान आसानी से फल देता है।
☸ अन्न दान के तहत जरुरतमंदो को मंदिरो एवं आश्रमो मे भोजन खिलाया जाता है।

पौष पूर्णिमा की कथाएंः-

पौराणिक कथाः– एक समय की बात है जब पृथ्वी पर दुर्गम नामक राक्षस ने आंतक फैला रखा था। जिसके कारण बारिश बंद हो गई और यह परिस्थिति सौ वर्षो तक रही फलस्वरुप अन्न-जल की कमी हो गई। भयंकर सूखा पड़ा जिससे लोगो की मौत होने लगी। पृथ्वी पर जीवन का अंत होने लगा। दुर्गम राक्षस ने ब्रह्म जी के सभी चारों वेद भी चुरा लिए थे। तब मां शांकभरी देवी के रुप में अवतरित हुई और माता के सौ नेत्र थे पृथ्वी की दुर्दशा देख कर उनके आसू निकलने लगे और इस प्रकार पूरी धरती पर फिर से जल का प्रवाह हो गया। इसके बाद मां शांकभरी ने उस दुर्गम राक्षस का अंत कर दिया।

एक और अन्य कथाः-

एक अन्य कथा के अनुसार देवी शांकभरी ने 100 वर्षों तक तपस्या की थी तथा महीने के अंत मे एक बार शाकाहारी भोजन किया करती थी। उनके इस तपस्या के फल से निर्जीव स्थान पर भी जहां पर 100 वर्ष तक पानी भी नही था, वहां पर पेड़-पौधे अपने आप उग आयें। दूर-दूर से साधू-संत माता का चमत्कार देखने के लिए वहां आ पहुंचे और उन्हे शाकाहारी भोजन दिया गया। चूंकि माता केवल शाकाहारी भोजन ग्रहण करती थी इसलिए माता का नाम शांकभरी माता पड़ा।

निम्न मंत्र से करे माता की आराधनाः-

पौष पूर्णिमा पर भगवान सूर्य के मंत्र निम्नलिखित है।
1. ओम धृणिं सूर्य आदित्यः
2. ओम हृीं हीं सूर्याय सहस्त्रकिरणराय मनोवांछित फलम देहि देहि स्वाहा ।।
3. ओम ऐहि सूर्य सहस्त्राशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहावार्घय दिवाकर
4. ओम हृीं धृणिः सूर्य आदित्यः क्ली ओम ।
5. ओम हृीं हीं सूर्याय नमः ।
6. ओम सूर्याय नमः ।
7. ओम घृणि सूर्याय नमः ।

पौष पूर्णिमा 2023 पर चंद्र दर्शन पूजा के मंत्र

पौष पूर्णिमा पर चन्द्रमा को अर्घ देते समय निम्न मंत्र का जाप करें। ओम क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात ।।

पौष पूर्णिमा 2023 पर शांकभरी माता का मंत्र

नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना ।
मुष्टिशिलीमुखापूर्ण कमलं कमलालया ।।
पौष पूर्णिमा पर शांकभरी माता का मंत्र जपना बहुत ही शुभ होता है। जो भी उपासक इस दिन शांकभरी माता का व्रत करते है। उन्हें इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने से घर मे धन-धान्य की कमी नही होती है।

पौष पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्तः-

पौष पूर्णिमा व्रत का आरम्भ 6 जनवरी2023 को रात्रि 02ः14 से

पूर्णिमा तिथि का समापन 7 जनवरी 2023 को प्रातः 4ः47 तक रहेगा।

 

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