पितृशाप हमारे पूर्वजो के द्वारा किए गए कुछ ऐसे पाप होते है जो की हमे जाने अनजाने भुगतने पड़ते है। यह शाप/पाप पिछले 7 पीढी के हो सकते है जिसके बारे मे हमे बिलकुल भी पता नही चल पाता है लेकिन कुण्डली मे कुछ योग होते है जिससे हमे यह पता लगा सकते है। यह सवाल आपके मन मे जरुर होगा कि आखिर क्या प्रभाव होता है इस शाप का ? यदि किसी जातक की कुण्डली मे पितृशाप हो तो जातक को तरक्की मिलने मे बहुत मुश्किलो का सामना करना पड़ता है और उसके हर कार्य मे बाधा उत्पन्न होती है। पितृशाप कुण्डली के पंचम भाव से देखा जाता है। इस योग मे सूर्य और राहु मुख्य भूमिका निभाते है।
कुण्डली मे कुछ ग्रहो की निम्नलिखित युति होने से यह शाप माना जाता है-
1. यदि तुला राशि का सूर्य पंचम भाव मे स्थित हो और नवांश कुण्डली मे वह मकर/कुंभ राशि मे हो या पंचम भाव मे पाप ग्रह हो तो पितृशाप माना जाता है।
2. यदि सिंह राशि पांचवे भाव मे हो और नवम भाव मे सूर्य और राहु उपस्थित हो तो पितृशाप बनता है।
3. यदि गुरु सिंह राशि मे हो और सूर्य और पंचमेश एक साथ हो। पंचम भाव या लग्न मे पाप ग्रह उपस्थित हो तो पितृशाप माना जाता हैै।
4. यदि लग्नेश कमजोर होकर पंचम भाव मे हो और पंचमेश का सम्बन्ध सूर्य से हो रहा हो तो वह पितृशाप माना जाएगा।
5. यदि दशम भाव का मालिक मंगल हो और वह पंचमेश से युति कर रहा हो और लग्न मे पापी ग्रह हो तो पितृशाप माना जाएगा।
6. यदि दशम भाव का मालिक पंचम भाव मे हो या पंचम भाव का मालिक दशम भाव मे हो तो इससे पितृशाप का निर्माण होता है।
7. यदि दशम भाव का मालिक 6, 8 या 12 वें घर मे हो और गुरु पाप ग्रहो से पीडित हो तो भी पितृशाप का निर्माण होता है।
उपायः- हमने यह समझा की पितृशाप क्या होता है और किन-किन युतियों की वजह से बनता है। यदि इनमे से कोई भी युति आपकी कुण्डली मे बन रही है तो आपको उपाय करने चाहिए जिससे की आप इनके दुष प्रभावों से बच सकें।
1. पितृशाप शांति पूजा करवाएँ।
2. कन्यादान या गौदान करे।
3. पितृ मंत्र का जाप 21 हजार बार करवाँए।
मंत्रः- ऊँ देवताभयः पितृभ्यक्ष महायोगिभ्य एव च । नमः स्वाहार्ये स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।
इस मंत्र का जाप या तो किसी पंडित की सहायता लेकर उनसे करवा सकते है और यदि आप इस मंत्र का जाप खुद करना चाहते है तो निम्नलिखित बिन्दुओ का पालन करें –
1. प्रातः स्नान करने के पश्चात् साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
2. किसी आसन के ऊपर बैठ जाएं और रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करना शुरु करे दें।
3. आप यह संकल्प ले सकते हैं कि आप रोजाना 2/4 माला का जप करेंगे।
4. इस प्रक्रिया को रोज करें और जब आपका 21 हजार बार हो जाए तो आप इसे बंद कर सकते है।
कैसे करे पितृशाप शांति पूजा ?
1. पितृशाप शांति पूजा एक बहुत ही लंबी प्रक्रिया है जिसे पंडितो के सहयोग से ही किया जा सकता है और एक आम आदमी इसे करने मे सक्षम नही है।
2. पितृशाप शांति प्रक्रिया मे बहुत से देवी-देवताओ, इष्ट देव की पूजा, कुल देवी की पूजा और पित्रों की पूजा शामिल होती है।
3. पित्रों के मंत्रो का जप 11/21/41 हजार बार किया जाता है जिसे पंडितो का समूह मिलकर करता है।
4. उसके पश्चात् एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया जाता है।
कैेसे करें गौदान ?
1. कलयुग मे गौदान से बड़ा और कोई दान नही माना गया है। गौ के दान से जातक के पाप नष्ट होते है और उन्हें जीवन मे तरक्की मिलती है।
2. गौदान के लिए सबसे पहले आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि गाय उसी व्यक्ति को दान मे दी जाए जो उसका पालन-पोषण अच्छे से कर सके।
3. संकल्प लेकर एक निश्चित तिथि तय करें और उस तिथि से एक रात पहले उस गाय के साथ कुछ समय बैठे और यदि संभव हो तो पूरी रात उसी के साथ व्यतीत करें।
4. अगली सुबह उसे स्नान कराएं और उसके माथे पर कुमकुम का तिलक लागएं और हाथ जोड़कर नमन करें।
5. इसके पश्चात् आप उस गाय का दान कर सकते है।