सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है, खासकर भगवान शिव की उपासना के लिए। इस महीने में आने वाले सभी सोमवार शिवभक्तों के लिए खास महत्व रखते हैं। इस साल सावन का आखिरी सोमवार 19 अगस्त को पड़ रहा है, और खास बात यह है कि इसी दिन रक्षाबंधन का पावन पर्व भी मनाया जाएगा। ऐसे में कई लोग इस बात को लेकर उलझन में हैं कि क्या उन्हें सावन के आखिरी सोमवार का व्रत रखना चाहिए या नहीं। आइए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र इस बारे में क्या कहता है।
सावन के आखिरी सोमवार का व्रत: संकल्प की पूर्णता
ज्योतिषाचार्यों की राय के अनुसार, अगर आपने सावन के सभी सोमवारों का व्रत रखा है, तो आपको आखिरी सोमवार का व्रत भी जरूर रखना चाहिए। ऐसा न करने पर आपका व्रत अधूरा रह सकता है, जिससे आपको व्रत का पूरा फल नहीं मिल पाएगा। इसलिए, चाहे इस दिन रक्षाबंधन हो या कोई अन्य पर्व, सावन का आखिरी सोमवार का व्रत अवश्य रखना चाहिए। यह आपकी धार्मिक आस्था और संकल्प की पूर्णता का प्रतीक है।
Download the KUNDALI EXPERT App
शुभ योगों का संयोग
19 अगस्त को ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार कई शुभ योग बन रहे हैं। इनमें रवि योग, सवार्थ सिद्धि योग और शोभन योग शामिल हैं। इन शुभ योगों में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इन योगों में की गई पूजा और व्रत से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
पूजा और रक्षाबंधन के लिए शुभ मुहूर्त
इस साल सावन के आखिरी सोमवार को शिव पूजा और अभिषेक का शुभ मुहूर्त सुबह 5:33 बजे से 8:10 बजे तक है। वहीं, रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ समय दोपहर 1:30 बजे से शाम 7 बजे तक है। इस दौरान चर, लाभ और अमृत के चौघड़िया के शुभ मुहूर्त भी रहेंगे, जो इस पावन पर्व को और भी विशेष बनाते हैं।
Download the KUNDALI EXPERT App
सावन के आखिरी सोमवार का महत्व
सावन का आखिरी सोमवार विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह शिवभक्तों के लिए व्रत का समापन करता है। इस दिन व्रत रखने से आपकी तपस्या और भक्ति की पूर्णता होती है। साथ ही, इस दिन रक्षाबंधन भी मनाया जा रहा है, जिससे यह दिन और भी पवित्र और यादगार बन जाता है।
19 अगस्त को आने वाला सावन का आखिरी सोमवार और रक्षाबंधन का पर्व एक दुर्लभ और पवित्र संयोग है। इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना के साथ-साथ भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का उत्सव मनाना विशेष फलदायी होगा। ज्योतिष शास्त्र की सलाह मानते हुए, आप इस दिन को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाएं, ताकि आपको भगवान शिव की कृपा और भाई-बहन के रिश्ते में और भी मजबूती मिले।