कुण्डली के दशम भाव में स्थित शुक्र जातक के स्वभाव में तथा उनके आचरण एवं व्यवहार में कुशलता लाता है और जातक के व्यक्तित्व को सुन्दर व आकर्षक बनाता है। दशम भावस्थ शुक्र जातक को उच्च प्रशासनिक पद प्रतिष्ठा प्रदान करता है। ऐसे जातक प्रबन्धक या शासक बनते हैं दशम भावस्थ शुक्र जातक जातिका को अभिनेता या संगीतज्ञ आदि कलाओं में निपूर्ण बनाता है।
हीरे मोती का व्यवसाय
यदि दशम भाव में शुक्र अपनी उच्च राशि में स्थित हो तो मनुष्य लोकप्रियता देने वाला जनप्रिय कार्य करता है। कुण्डली में शुक्र अपने उच्च नवांश में हो तो हीरे-मोती का व्यवसाय करता है यदि षड्वर्ग शुक्र दशम में हो तो मनुष्य सोने का व्यापार करता है।
शुक्र का दशम भाव में प्रभाव
कुण्डली का दशम भाव व्यवसाय, पिता, मान-सम्मान, कर्म प्रशासन अधिकार कीर्ति व नेतृत्व इन सभी बातों की जानकारी प्राप्त होती है। दशम भाव में शुक्र के स्थित होने से उसकी सप्तम दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ती है। शुक्र की चतुर्थ भाव पर दृष्टि होने से माता का उत्तम सुख मिलता है एवं माता का स्नेह बढ़ता है उत्तम भवन का सुख भी प्राप्त होता है।
क्या होगा जब दशम भाव में शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में हो तो
ऐसी स्थिति में जातक को स्त्रियों के प्रयोग की वस्तुओं के व्यापार से अधिक लाभ व धन प्राप्त होता है तथा जातक समाज में एक प्रसिद्धि हासिल करता है।
मेष लग्न में दशम भाव में शुक्र का फल
मेष लग्न के लिए शुक्र द्वितीयेश और सप्तमेश होकर दशम भाव में मकर राशिगत होता है। ऐसा जातक बड़ा व्यापार बनता है या फिर ऐसा जातक प्रशासनिक सेवा अधिकारी बनता है। दशम भाव का शुक्र चतुर्थ भाव पर दृष्टि निक्षेप करता है।
इसलिए जातक को संगीत,गायन, विद्या, ललित कला, चित्रकला, अभिनय आदि में गहरी रुचि होती है। जातक की जिस दिशा मे शिक्षा होती है उसी से सम्बन्धित व्यवसाय या व्यापार से वह सफलता प्राप्त करता है वह हास्य-विनोद प्रिय होने के साथ-साथ कार्य कुशल भी होता है। जातक अपना अधिकार और वर्चस्व चाहने वाला होता है तथा उसके लिए प्रयासरत भी रहता है। कुण्डली का द्वितीय भाव मुखाकृति से सम्बन्धित होता है। अतः द्वितीयेश होकर शुक्र यदि दशमस्थ हो तो जातक या जातिका देखने में आकर्षक लगते हैं ऐसे जातक किसी कार्पोंरेट संस्था में अधिकारी के पद पर कार्य करते है।
वृष लग्न के लिए दशम भाव का फल
वृष लग्न के लिए शुक्र लग्नेश और षष्ठेश होकर दशम भाव में कुंभ राशिगत होता है। ऐसा जातक श्रेष्ठ नौकरी करता है। क्योंकि षष्ठेश शुक्र यदि दशम भावगत हो तो जातक नौकरी द्वारा जीवनयापन करता है और प्रायः प्रशासन अथवा प्रबन्धन से उसका व्यवसाय सम्बन्धित होता है। जातक अपने कार्य कौशल और विलक्षण प्रशासनिक योग्यता के लिए बहुप्रसंक्षित होता है। यहां पर शुक्र के साथ शनि या बृहस्पति स्थित हो अथवा तीनों ग्रह एक साथ दशम भाव में हो तो भारतीय प्रशासनिक सेवा में भी सफल होता है।
मिथुन लग्न में शुक्र का फल दशम भाव में
मिथुुन लग्न के लिए शुक्र पंचमेश और द्वादेश होकर दशम भाव में अपनी उच्च राशि मीन में स्थित होता है तथा मालव्य महापुरुष राजयोग की संरचना करता है। मीन राशिगत दशम भावस्य शुक्र होने से जातक के वैवाहिक सुख में अवरोध उत्पन्न होता है प्रायः उसके दो विवाह होने है यह द्विभार्या योग भी होता है। ऐसा जातक इंजीनियर, इंश्योरेंश विभाग में कार्य करने वाला अधिकारी, बैंक कर्मी या बैंक मैनेजर या शिक्षक होता है। ऐसा जातक समाज में प्रतिष्ठित होता है और उसकी संताने योग्य तथा सुन्दर होती है। वह समाज में पर्याप्त प्रतिष्ठित आदर और सम्मान प्राप्त करता है।
कर्क लग्न के लिए दशम भाव में शुक्र का फल
जातक का जन्म लग्न में हुआ है तो कर्क लग्न के लिए शुक्र चतुर्थेश और लाभेश होकर दशम भाव में मेष राशिगत होता है। ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन प्रायः सुखमय नही होता और अन्य किसी से प्रेम संबंध होने की संभावना होती है। ऐसे जातक नौकरी में उच्च पद पर कार्यरत होते हैं तथा उन्हें सभी प्रकार की सुख-सुविधायें और विलासिता उपलब्ध होती है। वह अपने बाड वल पर विश्वास रखते हैं और अपने बल पर धन और यश अर्जित करते हैं परन्तु उसका वैवाहिक जीवन सुखमय नही होता यदि दशमेश मंगल अवांछित स्थिति में हो तो पापकांत हो या अस्त अथवा पाप दृष्ट हो तो नौकरी और संतान को लेकर अनेक प्रकार की चिंताएं समस्याएं उत्पन्न होती है।
सिंह लग्न के लिए दशम भाव में शुक्र का फल
सिंह लग्न केे लिए शुक्र तृतीयेश और दशमेश होकर दशम भाव में स्वराशिता होता है तथा मालव्य महापुरुष राजयोग की संरचना शुक्र की यह श्रेष्ठ स्थिति है जो जातक/जातिका का अत्यन्त उच्च पद पर प्रतिष्ठित, प्रशंसित और स्थापित करती है। ऐसा जातक प्रथम श्रेणी का अधिकारी होता है, ऐसा जातक साहसी, निर्भीक, पराक्रमी, वैभवशाली, निड़र होता है तथा आदर्शवादी हेाता है। ऐसे जातक को सुगमता से समझौता करने हेतु विवश किया जाता है। उसे जो सही लगता वह वही करता है।
कन्या लग्न के लिए दशम भाव में शुक्र का फल
कन्या लग्न के लिए द्वितीयेश और नवमेश शुक्र दशम भाव में शुभ फल प्रदान करने वाला सिद्ध होता है। ऐसा जातक भाग्यशाली होता है और प्रायः सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत करते हैं। यहां शुक्र द्वितीयेश होकर दशम भाव होता है। अतः जातक पर्याप्त शिक्षा प्राप्त करने में सफल होता है और प्रायः जिस विषय में शिक्षा प्राप्त करने में सफल होता है। उसी से सम्बन्धित कार्य भी करते है।
यहां शुक्र केन्द्र त्रिकोण राजयोग की संरचना करता है तथा यदि दशमेश बुध नवम भावगत हो तो धर्म कर्मा धिपति हो तो ऐसा जातक प्रायः बड़ा व्यवसायी होता है दक्ष होता है। दशमेश और नवमेश के मध्य विनियम परिवर्तन योग होने पर जातक स्वषाडबल द्वारा अपार धन यश कि कीर्ति सम्पत्ति, संपदा, प्रतिष्ठा अर्जित करता है।
तुला लग्न के लिए दशम भाव में शुक्र का फल
तुला लग्न के लिए लग्नेश और अष्ट मेष शुक्र दशम भाव में कर्क राशिगत होता है तथा जातक को समृद्धशाली और धनवान बनाता है। यहां पर शुक्र चन्द्रमा की राशि कर्क में होने के कारण प्लास्टिक, पालीस्टर, पालीथिन, फाइबर, दूध, जल, एयर कंडीशनर, कैमिकल्स, कास्मेटिक्स, ग्लास आदि से सम्बन्धित कार्य भी करना है लग्नेश शुक्र का दशम भाव में स्थित होना स्वयं में ही कुलभूषण अधिराज योग है। ऐसा जातक अपने कुल का दीपक होता है और नवीन व्यापार का सूत्रपात करता है। अष्टमेश शुक्र के दशम भाव में स्थिति होने के कारण ऐसा जातक प्रशासनिक या प्रबंधन से सम्बन्धित नौकरी में सफलता प्राप्त करता है।
वृश्चिक लग्न के लिए दशम भाव में शुक्र का फल
वृश्चिक लग्न के लिए दशम भावगत शुक्र सप्तमेश और द्वादेश होकर सिंह राशि में स्थित होता है तथा जातक को प्रायः व्यापार कराता है। यदि जातक नौकरी करता है तो किसी उच्च पद पर प्रतिक्रित होता है। सप्तम भाव व्यापार का होता है तथा शुक्र व्यापार से सम्बन्धित सप्तम भाव का स्वामी होकर जब दशम भावगत होता है तो जातक के लिए व्यापार का प्रबल मार्ग प्रशस्त करता है। ऐसा जातक प्रायः आटो मोबाइल्स व्यापार जैसे कार्य करता है या फिर शुक्र जिन वस्तुओं को कारक है उन वस्तुओं का व्यापार करता है। व्यापार करने के लिए शुक्र की यह उत्तम स्थिति है ऐसे जातक अपनी पत्नियां पर बहुत विश्वास करते है।
धनु लग्न के लिए दशम भाव में शुक्र का फल
धनु लग्न के लिए दशम भाव में शुक्र को फल जातक को भूमि, मकान, वाहन व माता का पूर्ण सुख नही मिलता है। व्यवसायिक जीवन अच्छा होता है, व्यय बढ़ता है और विदेश में स्थान प्राप्त होता है। माता से सम्बन्ध बिगड़ जाता है। ऐसे जातक कई प्रकार का कार्य-व्यवसाय करते है। मुर्गी पालन, दूध, डेयरी, घी आदि का निर्माण कार्य भी कर सकते है परन्तु उसमें अनेक प्रकार की बाधाओं के साथ संघर्ष करने हेतु विवश होना पड़ता है। धनु लग्न के लिए दशम भाव का शुक्र कन्या राशि में स्थित होता है तो जातक अपने बाहुबल से धन अर्जित करता है।
मकर लग्न के लिए दशम भाव में शुक्र का फल
मकर लग्न के लिए शुक्र दशमेश और पंचमेश होने के कारण योगकारक होता है तथा जातक को अपने व्यवसाय में अत्यन्त उच्च पद पर प्रति स्थित होता है। नौकरी परेशा वाले जातकों के पदोन्नति होने की भी संभावनाएं होती है। वरिष्ठ अधिकारी आपकी ईमानदारी और आपके प्रयासों की सराहना करेंगे शुक्र का दशम भाव में गोचर होेने से आपके सम्पत्ति में वृद्धि होती है और वाहन खरीदने के योग भी बनते है। मकर लग्न के जातक के लिए दशम भाव में शुक्र का स्वराशि तुला में स्थित होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। दशम भाव में तुला राशिगत शुक्र होने से जातक विशाल प्लास्टिक उद्योग का स्वामित्व भी प्राप्त करता है या किसी बड़ी ग्लास फैक्ट्री का अधिपति होता है।
कुंभ लग्न में दशम भाव में शुक्र का फल
कुंभ लग्न के लिए शुक्र चतुर्थेश और नवमेश होकर दशम भाव में वृश्चिक राशिगत होता है। ऐसे जातक नौकरी में उच्च प्रशासनिक पद पर कार्यरत होते हैं उन्हें नौकरी में प्रचुर सम्मान और सफलता प्राप्त होती है। ऐसे जातक नौकरी के सन्दर्भ में अत्यन्त भाग्यशाली होते है तथा प्रायः भारतीय प्रशासनिक सेवा में भी सफल होते है यदि दशमेश मंगल भी नवम भाव में स्थित हो और दशम या नवम भाव में चन्द्रमा या कर्म नियंत्रक ग्रह का प्रभाव हो तो जातक भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होता है।
मीन लग्न के लिए दशम भाव में शुक्र का फल
मीन लग्न के लिए शुक्र तृतीयेश और अष्टमेश होकर दशम भाव होता है तो जातक नौकरी करके जीवन-यापन करता है। ऐसा जातक व्यापार नही करता है परन्तु नौकरी में उत्त्म पद परप प्रतिष्ठित होता है। वह किसी महत्वपूर्ण विभाग में अधिकारी होता है तथा कर्तव्य परायण होता है। ऐसा जातक अपने कार्य को बड़ी गंभीरता से लेता है तथा उसे सम्पूर्णता की सीमा तक पूरा प्रयास करता है। धनु राशि में दशम भाव शुक्र वाला किसी जातक छोटे पद अधिकारी होता है। ऐसा जातक पराक्रमी और साहसी होता है तथा निर्भय होकर कार्य करता है।
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