केतु की महादशा का फल

 

केतु की महादशा 7 साल की और अंतर्दशा 11 महीने से 15 माह तक की होती है। केतु की महादशा बुध व शुक्र के बीच मे आती है। यानि की पहले बुध की महादशा होती है, फिर केतु के सात साल और बाद में शुक्र के बीस साल चलती है।

केतु की दशा में क्या करना चाहिए:-

अशुभ केतुु ग्रह के असर को कम करने के उपाय इस प्रकार से हैः-
☸ केतु की दशा में जातक को कम्बल, लोेहे के बने हथियार, तिल, भूरे रंग की वस्तु दान करनी चाहिए।
☸ केतु की दशा में केतु से सम्बन्धित रत्न का दान भी करना शुभ माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गाय की बछिया भी दान की जा सकती है।

केतु को कैसे खुश करें:-

अगर जातक की कुण्डली मे केतु अच्छा फल नही दे रहा है तो जातक को रोजाना गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। तथा गणेश जी के द्वादश नाम के स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए। ऐसा करने से भी केतु शांत होते है

केतु की अंतर्दशा में क्या होता है:-

केतु की महादशा में केतु की अंतर्दशा 4 महीने 27 दिन की होती है। यदि केतु केन्द्र त्रिकोण या आय स्थान में शुभावस्था में होकर लग्नेश, भाग्येश व कर्मेश से युक्ति करता है तो केतु की महादशा में केतु की अंतर्दशा प्रारम्भ मे शुभ फल प्रदान करता है। इस अन्तर्दशा में जातक को धन का सीमित लाभ, भूमि, प्रगति व यश आदि के लाभ मिलता है। अशुभ केतु की अंतर्दशा में जातक परिश्रम करने लगता है और तभी उसे अपने परिवार की जीविकोपार्जन के साधन नही जुटा पाता है और यदि उसकी नौकरी चली गयी है तो जल्दी से उसे नौकरी भी नही मिलती है तथा यदि जातक व्यवसाय करता है तो उसे व्यवसाय में हानि ही मिलती है। जातक को एक के बाद एक कष्ट उठाने ही पड़ते है। तथा उसके शत्रु भी बढ़ जाते है और अपने ही मित्रों से विरोध भी हो जाता है।

केतु ग्रह के खराब होने के लक्षण:-

केतु ग्रह के खराब होने के निम्न लक्षण है जो इस प्रकार हैः-
☸चर्म रोग की आशंका।
☸ जोड़ो मे दर्द।
☸ शरीर की नसों में कमजोरी।
☸ सुनने की क्षमता पर असर पड़ना।
☸ बार-बार खांसी की समस्या होना।
☸ बुरी आदतें लग जाना।
☸ संतान प्राप्ति में रुकावट आ जाना।
☸ रीढ़ की हड्डी मे किसी न किसी तरह की समस्या होना

केतु दोष निवारण मंत्र:-

यदि जातक की कुण्डली में केतु दोष है तो उसको दूर करने या उसकी शांति के लिए ओम स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। आप इस मंत्र का जाप 18 बार या 11 बार कर सकते है। केतु के देवता भगवान गणेश जी है।

नोट- यहाँ पर हमने केवल केतु की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ-अशुभ फलो की संभावना मात्र व्यक्त की है किसी भी उपाय को अपनाने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से अपनी कुण्डली का विश्लेषण अवश्य करें।

 

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