क्या है ब्रह्मा, विष्णु, महेश योग कुण्डली में बने त्रियोग का जाने अद्भुत रहस्य

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति का जन्म तिथि, वार, करण, राशि एवं योगों के द्वारा होता है। जब कोई शिशु जन्मलेता है तो उसके कुण्डली में कई योगों का निर्माण होता है और शिशु को उन्ही योगो द्वारा परिणाम देखने को मिलता है। उन्हीं में शुभ योग है ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश योग। जिसे त्रियोग भी कहा जाता है। कुण्डली में यह योग कब बनता है तथा इस योग का क्या प्रभाव होगा इसकी सम्पूर्ण जानकारी प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य के. एम. सिम्हा जी द्वारा समझते हैं-

ब्रह्मा योग

क्या है ब्रह्मा, विष्णु, महेश योग कुण्डली में बने त्रियोग का जाने अद्भुत रहस्य 1

जब किसी जातक की कुण्डली में पंचमेश, देवगुरु बृहस्पति एवं न्यायधीश शनि, उच्च राशि स्वराशि अथवा मित्र राशि में उपस्थिति हो तो ब्रह्मा योग का निर्माण होता है अथवा लग्न से केंद्र या त्रिकोण मे निम्न कुण्डली में बुध, गुरू अपनी मित्र राशि एवं शनि स्वराशि में है जिसके फलवस्वरुप ब्रहम योग का निर्माण हो रहा है। इस योग के प्रभाव से जातक समाज एवं राजनीति के क्षेत्र में उच्च पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति करता है तथा समाज में एक लोकप्रिय व्यक्ति होने के साथ-साथ प्रभावशाली भी होता है। जातक द्वारा कही गई बातों को लोग मान-सम्मान देते हैं। कुशाग्र बुद्धिवाले एवं विचारों से गम्भीर होते हैं। आपने बुद्धि विवेक के बल पर सभी परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होते हैं। धन अर्जित करने में भी सक्षम होते हैं। इनके कुशाग्र बुद्धि की प्रशंसा पूरे समाज में होता है। ब्रह्म योग में जन्में जातकों का स्वभाव ब्रह्म जी के समान होता है अर्थात जातक में सृजन करना, नये कार्यों को खोजना, निर्माण करना आदि गुण विद्यमान होता है।

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विष्णु योग

क्या है ब्रह्मा, विष्णु, महेश योग कुण्डली में बने त्रियोग का जाने अद्भुत रहस्य 2

जब किसी जातक की कुण्डली में शुक्र, बुध एवं भाग्येश त्रिकोण अथवा केन्द्रभाव में उच्च, मित्र या स्वराशि में विराजमान हो तो विष्णु योग का निर्माण होता हैं। कुण्डली में बना विष्णु योग एक प्रकार का राजयोग है। यदि किसी जातक की कुंडली में विष्णु योग का निर्माण होता है तो वह राजा के समान जीवन व्यतीत करता है। इस योग के प्रभाव से जातक दयालु एवं परोपकारी स्वभाव का होगा तथा दूसरों की सहायता के लिए सदैव आगे रहेगा।इस योग के प्रभाव से जातक अत्यन्त भाग्यशाली होता है। स्वभाव से दयालु। किसी भी जातक को दुःख में नहीं देख पाते हैं इसलिए पूरे मन से उनकी रहायता करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं।

महेश योग

जब लग्नेश, सूर्य और चन्द्रमा उच्च, स्वराशि या मित्र राशि के होकर केन्द्रभाव अथवा त्रिकोण भाव में विराजमान हो तो महेश योग का निर्माण होता है। इस योग के प्रभाव से जातक सन्यासी एवं समाजसेवी होता है। कुशाग्र बुद्धिवाला एवं विद्वान होता है। कथा, सत्संग आदि धार्मिक कार्यों में अधिक रुचि रहती हैं। क्रोध आने पर भी अपने क्रोध पर नियंत्रण बनाये रखता है अर्थात किसी के समक्ष अपने क्रोध को जाहिर नहीं होने देता है।यदि किसी जातक की कुण्डली में महेश योग का निर्माण होता है तो वह जातक राजा के समान जीवन व्यतीत करता है तथा सभी भौतिक सुविधाओं के बावजूद सदैव अपने आप में प्रसन्न रहता है। ऐसे जातक कितने भी व्यस्त क्यों नहीं पूजा-पाठ के कार्यों के लिए सदैव आगे रहते हैं अर्थात धार्मिक क्षेत्र में अधिक रुझान रहता है।

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कुण्डली में बने ये योग जातकों को प्रभावशाली एवं बुद्धिमान बनाते हैं। यदि किसी जातक की कुण्डली में इन योगों का निर्माण हो रहा हो तो जातक भाग्यशाली तथा सभी सुख-सुविधाओं से सम्पन्न होते हैं। अपने बुद्धि विवेक द्वारा परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम होते हैं समाज में मान,पद-प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं।