कालसर्प योग का नाम हम सब ने कभी न कभी जरुर ही सुना होगा। ज्योतिष मे इस योग की खूब चर्चा होती है जिसका कारण सिर्फ संघर्ष है। कालसर्प के योग के परिणाम को समझने से पहले हमे यह अवश्य पता होना चाहिए कि आखिर यह क्या होता है और कुण्डली मे कैसे बनता है। सरल भाषा में समझा जाए तो जब कभी भी जन्मकुण्डली मे सारे ग्रह राहु और केतु के बीच मे आते है तो वह कालसर्प योग का निर्माण करते है। नीचे दिए गए चार्ट से आप बेहतर समझ सकते है –
जैसा की आप ऊपर दिए गए चार्ट को देख रहे है। इसमें सारे ग्रह राहु और केतु के बीच मे ही आ रहे है और यह कालसर्प योग का निर्माण कर रहा है। लग्न और घर कोई भी हेा सकता है किंतु वह राहु और केतु के बीच मे ही होना चाहिए। यदि कोई एक ग्रह राहु केतु की पकड़ से बाहर है तो उस स्थिति मे वह आंशिक कालसर्प कहलाया जाएगा। चलिए इसे भी हम चार्ट की मदद से समझते है –
इस लग्न कुण्डली में सूर्य के अलावा बाकी सभी ग्रह राहु केतु के बीच के घरो मे आ रहे है तो ऐसे मे यह आंशिक कालसर्प योग कहलाया जाएगा। आपके मन मे यह सवाल अवश्य होगा कि आखिर क्या होता है इस योग से तो आपको बता दिया जाए कि यह योग बहुत ही खतरनाक और घातक भी बन सकता है। ऐसे जातको को हमेशा अपने जीवन में असफलता की प्राप्त होती है और तो और इनके प्रत्येक काम के कुछ ना कुछ अड़चने लगी रहती है। राहु का प्रभाव अधिक हो तो जातक को हमेशा भ्रमित ही रखता है। जातक के जीवन मे संघर्ष बढ जाता है और खुशी के पल उसे नसीब नही हो पाते है।
उपाय
यदि आपकी कुण्डली मे कालसर्प योग है और आप इनमे से कुछ भी अपने जीवन में महसूस कर रहे है तो आपको दिए गए उपाय कर लेने चाहिए। जिससे आपके जीवन में खुशियो की बहार आए।
1. कालसर्प दोष की शांति।
2. राहु के बीज मंत्रो का जाप रोजाना 108 बार करें।
3. पीपल के पेड़ पर हर शनिवार को जल चढ़ाएं।
4. शिव जी की आराधना करे।