सावन का महीना और भगवान शिव की आराधना
सावन का महीना हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस माह में भगवान शिव की भक्ति पूरी श्रद्धा से करने से व्यक्ति को सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। इस दौरान भक्तजन बोल बम और हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए कांवड़ यात्रा निकालते हैं। भक्त अपनी सुविधा के अनुसार जल और दूध से भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव का जलाभिषेक करने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। उनके कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और भौतिक सुखों की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा जातक को ग्रह दोषों से भी छुटकारा मिल जाता है।
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दक्षेश्वर महादेव मंदिर की महिमा
सावन माह में मंदिरों में भगवान की पूजा करने का विशेष महत्व है और ऐसा ही एक पावन स्थल है दक्षेश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार के कनखल में स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का नाम माता सती के पिता, दक्ष प्रजापति, के नाम पर रखा गया है। मंदिर का निर्माण 1810 में रानी धनकौर द्वारा करवाया गया था। मंदिर परिसर में मां गंगा का भी मंदिर है।
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दक्षेश्वर महादेव मंदिर की मान्यता
दक्षेश्वर महादेव मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है और जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री सती से हुआ था, लेकिन राजा दक्ष इस विवाह से प्रसन्न नहीं थे। इसी कारण भगवान शिव और राजा दक्ष के बीच सदैव मतभेद बने रहे। एक बार राजा दक्ष ने कनखल में एक बड़ा यज्ञ आयोजित किया था, जिसमें तीनों लोकों के सभी लोगों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था। इस यज्ञ की कथा और उससे जुड़ी घटनाएं दक्षेश्वर महादेव मंदिर की महिमा को और भी बढ़ा देती हैं।
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निष्कर्ष
दक्षेश्वर महादेव मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह पितृ दोष से मुक्ति और जीवन में शांति प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। सावन माह में इस मंदिर की यात्रा और भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।