धूमावती जयंती क्यों निगल लिया मां ने शिव जी को जाने पूरा रहस्य 2023 | Dhumavati Jayanti Benefit |

धूमावती जयंती का पर्व बहुत उत्साह एवं धूम-धाम के साथ मनाया जाता है, इस जयंती को धूमावती महाविद्या के रुप में भी जाना जाता है। यह दस देवियों का समूह है। यह जयंती माता धूमावती के जन्म उपलक्ष्य में मनाया जाता है जो माता दुर्गा का विकराल रुप है। देवी को अलौकिक शक्तियों के रुप में वर्णित किया गया है उनकी पूजा भी शत्रुओं के विनाश के लिए की जाती है।

धूमावती जयंती पर किये जाने वाले अनुष्ठान

☸पूजा करने के लिए एक स्थिर स्थान का चयन करें और उसको सजाएं।
☸उसके पश्चात पूजा, धूप, अगरबत्ती एवं फूलों से माता की आराधना करें।
☸आज के दिन भक्त सूर्य उदय से पहले ही उठ जाते है और पूरे दिन अनुष्ठान से जुड़े काम करते हैं।
☸आज के दिन माता को काले कपड़े में बंधा हुआ तिल समर्पित किया जाता है क्योंकि ऐसी धार्मिक मान्यता है कि तिल अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
☸इस दिन विशेष रुप से प्रसाद तैयार किया जाता है और पूजा के दौरान देवी के मंत्रों का जाप किया जाता हैं। क्योंकि मंत्र उच्चारण से देवी शीघ्र प्रसन्न होती है और दुःखों को समाप्त करके जीवन में खुशियां भर देती है। मंत्र करने के पश्चात आरती किया जाता है और परिवार के सदस्यों एवं पूजा स्थल पर मौजूद भक्तों में प्रसाद वितरण किया जाता है।
☸धूमावती जयंती के दिन रात्रि में धूम-धाम से माता के जुलूस का आयोजन किया जाता है परन्तुु इस जुलूस में केवल पुरुष ही शामिल होते है।
☸वैवाहिक जातकों को धूमावती की पूजा नही करनी चाहिए क्योंकि इस पूजा से एकांत की इच्छा जागृत होती है। सांसारिक सुख में मोह भंग होता है।
☸भौतिक धन-सम्पत्ति के प्राप्ति के लिए भक्त पूरी निष्ठा एवं भक्ति भाव से धूमावती देवी की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन विशेष प्रकार के उत्साह के साथ तैयार रहते हैं और जुलूस में शामिल होकर आनन्दित रहते हैं।

पौराणिक कथा

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव जी की पत्नी पार्वती ने उनसे भूख लगने पर कुछ भोजन की मांग की तब शिवजी ने उनसे कहां कि वो कुछ खाने का प्रबंध करते हैं लेकिन जब शिव जी कुछ देर तक भोजन की व्यवस्था नही कर पाते हैं तब पार्वती जी भूख एवं प्यास से बेचैन होकर शिव जी को निगल जाती हैं। उसके पश्चात भगवान शिव जी के गले में विष होने के वजह से पार्वती जी के शरीर से धुंआ निकलने लगता है और विष के प्रभाव से माता अत्यधिक भयंकर दिखने लगी। उसके बाद शिव जी ने उनसे कहा की तुम्हारे इस रुप को धूमावती के नाम से जाना जायेगा। भगवान शिव जी के अभिशाप की वजह से उन्हें एक विधवा के रुप में पूजा जाता हैं। क्योंकि उन्होंने अपने ही पति शिव को निगल लिया था। धूमावती रुप में माता ने एक हाथ में तलवार धारण किया  हैं तथा उनका रुप विकराल है।

अन्य कथा अनुसार 2023

एक अन्य कथा के अनुसार जब शिव जी की पत्नी सती को ज्ञात हुआ कि उनके पिता ने एक बड़े यज्ञ का आयोजन करवाया परन्तु उस यज्ञ में उन्होंने शिव जी को आमंत्रित नही किया है तो वह स्वयं अपने पिता के घर बिना आमंत्रण के ही चली गई। शिव जी ने रोकने का प्रयत्न किया परन्तु वह नही मानी। जब वह वहां पहुंची तो उन्होंने देखा कि उनके पिता उन पर ध्यान नही दे रहे हैं। जिसके कारण उन्हें अपमानित महसूस हुआ और क्रोध में आकर उन्होंने उस अग्नि कुण्ड में कूद कर आत्महत्या कर लिया। उसके कुछ क्षण बाद ही देवी की उत्पत्ति हुई जिसे धूमावती के नाम से जाना जाता है।

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धूमावती जयंती का महत्व

माता को एक रथ की सवारी करते हुए उस पर लगे ध्वजा में कौवे वा के प्रतीक को दिखाते हुए एक बदसूरत बुजुर्ग विधवा महिला के रुप में प्रदर्शित किया गया है, जिसके बाल सफेद होते है और वह सफेद साड़ी में दिखाई देती है। उनकी स्थिति भले ही भयावह लगती है परन्तु वो सदैव राक्षसों एवं पापियों का विनाश करने के लिए एवं धरती को इन पापियों से मुक्त कराने के लिए अवतरित होती हैं जो कि इस बात का प्रतीक है सच्चाई में विश्वास और सदाचार हर दुखों को समाप्त कर देता है।

प्राचीन काल में ऋषि दुर्वासा और संत परशुराम ने धूम केतु की पूजा-अर्चना करके विशेष शक्तियों को प्राप्त किया था। आज केे दिन देवी को बुरी आत्माओं से सुरक्षा करने वाली शक्ति के रुप में पूजा जाता है। उन्हें दुनिया की परेशानियों का समाधान करने वाली देवी के रुप में काल्ह प्रिया के नाम से भी पुकारा जाता है। कई मान्यताओं के अनुसार यदि धूमावती जयंती के दिन देवी की एक झलक प्राप्त हो जायें तो उपासकों को माता का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।

धूमावती जयंती की तिथि 

धूमावती जयंती ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 मई दिन रविवार को मनाई जायेगी।

धूमावती देवी की पूजा विधि 2023

☸सर्वप्रथम पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें एवं गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें।
☸मां पार्वती के स्वरुप धूमावती को जल, फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि अर्पित करें।
☸अब माँ को मिठाई या अपनी श्रद्धा के अनुसार भोग लगा दें।
☸अब घी का दीपक और धूप जलाएं।
☸मां धूमावती स्त्रोत और कथा का पाठ कर लें।
☸अंत में विधिवत तरीके से मां की आरती कर लें।