भाई दूज
यह पंच दिवसीय दिवाली के उत्सव का आखिरी दिन होता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन को ‘भाई दूज’ के नाम से जाना जाता है। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है भाई दूज भाई बहन का पवित्र त्योहार है इस दिन बहने अपने भाईयों को टीका करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती है कुछ लोग इस खुशी के दिन को यम की बहन, यमुना द्वारा तिलक लगाकर यम का स्वागत करने के लिए जानतें हैं, जबकि अन्य लोग इसे नरकासुर की हार के बाद सुभद्रा के घर में कृष्ण के प्रवेश के रूप में देखते हैं। सुभद्रा ने भी भगवान कृष्ण के माथे पर तिलक लगाकर उनका स्वागत किया था।
भाई दूज पर पूजा कैसे करें?
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं।
तिलक लगाते समय भाई का मुख उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
इस दिन रोली की जगह अष्टगंध से भाई को तिलक करना चाहिए।
टीका लगाने के बाद भाई की आरती उतारती हैं।
बहनों को शाम को दक्षिण मुखी दीप जलाना चाहिए।
इसे भाई के लिए शुभ माना जाता है।
इस दिन कमल की पूजा और नदी स्नान, विशेष रूप से यमुना स्नान का भी विधान है।
“यम द्वितीया” की परंपरा
इस पर्व पर यह प्रथा है कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर यमुना जी ने यमराज को अपने घर पर टीका किया और भोजन कराया था। इस पूजा के बाद यमराज को सुख की प्राप्ति हुई थी, जिससे यह परंपरा चली आ रही है। इसीलिए इस दिन को “यम द्वितीया” के नाम से भी जाना जाता है।
भाई दूज का पर्व 15 नंवबर, 2023 बुधवार के दिन मनाया जाएगा.
भाई दूज अपराह्न समय – दोपहर 01:10 से दोपहर 03:19
अवधि – 02 घण्टे 09 मिनट्स
द्वितीया तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 14, 2023 को दोपहर 02:36
द्वितीया तिथि समाप्त – नवम्बर 15, 2023 को दोपहर 01:47