महाशिवरात्रि 2025: शुभ मुहूर्त, जलाभिषेक विधि और शिवलिंग पूजा के नियम
महाशिवरात्रि 2025 को 26 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। यदि आप महाशिवरात्रि पर विधिपूर्वक पूजा करना चाहते हैं, तो इस लेख में बताए गए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और जलाभिषेक के नियमों का पालन करें।
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Toggleमहाशिवरात्रि 2025 पर भद्रा का प्रभाव और पूजा का सही समय
ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा के अनुसार, 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:03 मिनट से रात 10:17 मिनट तक भद्रा का प्रभाव रहेगा। हालांकि, भद्रा पाताल लोक में होगी, जिससे इसका प्रभाव अशुभ नहीं माना जाएगा। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा पूरे दिन किसी भी समय कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि 2025 की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि पर पूजा करने के दो विशेष शुभ मुहूर्त बताए गए हैं:
- पहला मुहूर्त: शाम 06:19 मिनट से रात 09:26 मिनट तक।
- दूसरा मुहूर्त: रात 09:26 मिनट से सुबह 12:34 मिनट तक।
इन समयों में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
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महाशिवरात्रि 2025 पर जलाभिषेक की विधि और शुभ समय
भगवान शिव का जलाभिषेक करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है, लेकिन इसके लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
जलाभिषेक करने के नियम:
- जलाभिषेक के लिए गंगाजल, शुद्ध जल या गौदुग्ध का प्रयोग करें।
- जल की धारा धीमी और समान रूप से पतली होनी चाहिए।
- जल अर्पित करते समय पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठकर पूजा करें।
महाशिवरात्रि 2025 के लिए जलाभिषेक के शुभ मुहूर्त:
- प्रातः काल: सुबह 6:47 मिनट से 9:42 मिनट तक।
- मध्यान्ह काल: सुबह 11:06 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक।
- संध्या काल: दोपहर 3:25 मिनट से शाम 6:08 मिनट तक।
- रात्रि काल: रात 8:54 मिनट से 12:01 मिनट तक।
इन शुभ समयों में जलाभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम और परिक्रमा विधि
- शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं ओर से करें।
- परिक्रमा आधी ही करनी चाहिए, पूरी परिक्रमा करना वर्जित होता है।
- शिवलिंग की जलहरी को पार नहीं करना चाहिए, इसे अशुभ माना जाता है।
महाशिवरात्रि 2025 से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर
1. महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक कैसे करें?
गंगाजल, शुद्ध जल या दूध से जलाभिषेक करें और जल की धारा धीमी रखें।
2. शिवलिंग की परिक्रमा किस दिशा में करनी चाहिए?
शिवलिंग की परिक्रमा बाईं ओर से आधी करनी चाहिए।
3. जलाभिषेक के लिए शुभ समय कब है?
जलाभिषेक के लिए सुबह, दोपहर, संध्या और रात्रि के चार विशेष मुहूर्त बताए गए हैं।
4. शिवलिंग की जलहरी को पार करना क्यों वर्जित है?
यह अशुभ माना जाता है क्योंकि जलहरी से प्रवाहित जल पूजा का हिस्सा होता है।
5. महाशिवरात्रि पर व्रत रखने का क्या महत्व है?
व्रत रखने से मन की शुद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
महाशिवरात्रि 2025 भगवान शिव की कृपा पाने का सर्वोत्तम अवसर है। यदि आप इस दिन विधि-विधान से पूजा, जलाभिषेक और व्रत का पालन करते हैं, तो भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे। इस दिन पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
यह ब्लॉग महाशिवरात्रि 2025 की पूजा से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करता है। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे अपने दोस्तों और परिवारजनों के साथ जरूर साझा करें।