विनायक चतुर्थी 2025: पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व
विनायक चतुर्थी
विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि, और शुभता के देवता माना जाता है। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन की बाधाओं का नाश होता है और समृद्धि प्राप्त होती है। खासकर 2025 में, यह पर्व 3 जनवरी को मनाया जाएगा जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक शुभ होगा।
विनायक चतुर्थी 2025 का मुहूर्त
विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 3 जनवरी 2025 को है। पूजा का सर्वोत्तम समय निम्नलिखित होगा:
11:23 ए एम से 01:28 पी एम
गणेश पूजा के लिए सबसे शुभ समय मध्याह्न काल माना जाता है, जब भगवान गणेश का पूजन विशेष फलदायक होता है। इस समय पूजा करने से इच्छाओं की पूर्ति होती है और जीवन में शांति व समृद्धि आती है।
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा विधिपूर्वक करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं पूजा की संपूर्ण विधि:
- प्रातः स्नान और स्वच्छता:
पूजा के लिए सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और वहां रंगोली या फूलों से सजावट करें। - गणेश प्रतिमा की स्थापना:
भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। प्रतिमा को साफ पानी से स्नान कराएं और फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें। - आसन पर विराजित करें:
गणेश जी को एक स्वच्छ आसन पर विराजमान करें। आसन पर लाल या पीले वस्त्र रखें क्योंकि ये रंग शुभ माने जाते हैं। - दीप जलाना:
गणेश जी के सामने दीप जलाएं और धूप अर्पित करें। दीपक का प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और धूप से वातावरण शुद्ध होता है। - पुष्प और जल अर्पण:
भगवान गणेश को ताजे फूल, विशेष रूप से लाल रंग के पुष्प अर्पित करें। इसके बाद, उन्हें जल और अक्षत (साबूत चावल) अर्पित करें। - मंत्रोच्चारण:
गणेश जी के मंत्रों का उच्चारण करें। जैसे –
“ॐ गं गणपतये नमः”
इस मंत्र का 108 बार जाप करना बहुत शुभ होता है। - मोदक और प्रसाद:
गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं क्योंकि यह उनका प्रिय भोजन है। इसके अलावा, फल, नारियल और अन्य मिठाइयां भी अर्पित करें। - आरती:
गणेश जी की आरती करें। आरती में परिवार के सभी सदस्य शामिल हो सकते हैं। आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरण करें। - व्रत और कथा सुनना:
इस दिन व्रत करने का विशेष महत्व होता है। दिनभर निराहार या फलाहार व्रत रख सकते हैं। शाम को भगवान गणेश की कथा सुनने से विशेष पुण्य मिलता है।
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विनायक चतुर्थी व्रत के लाभ
- इस व्रत को रखने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- भगवान गणेश की कृपा से व्यापार में उन्नति और समृद्धि प्राप्त होती है।
- विद्यार्थी के लिए यह व्रत विशेष फलदायक होता है क्योंकि इससे बुद्धि और विद्या में वृद्धि होती है।
- जिन लोगों की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, वे इस व्रत से ग्रहों के अशुभ प्रभावों को दूर कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी/विनायक चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में भगवान गणेश के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि को आता है, आमतौर पर अगस्त या सितंबर में। श्रद्धालु इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर दस दिनों तक पूजा करते हैं।
यह उत्सव विशेष रूप से महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लोग “गणपति बप्पा मोरिया” के मंत्रों का जाप करते हैं। दसवें दिन, भक्त संगीत और भजन के साथ गणेश जी की शोभायात्रा निकालते हैं और मूर्तियों को जल में विसर्जित करते हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश हर साल कैलाश पर्वत से अपने भक्तों की इच्छाएं पूरी करने के लिए आते हैं और दसवें दिन लौट जाते हैं।
गणेश जी के जन्म की कथा अनुसार, उन्हें माता पार्वती ने मिट्टी से बनाया था। भगवान शिव के साथ टकराव में उनका सिर कट गया, जिसे बाद में एक मृत व्यक्ति के सिर से जोड़ा गया। इस प्रकार, भगवान गणेश का अस्तित्व और नामकरण हुआ, जैसे वक्रतुंड और गजानंद।
उपसंहार
विनायक चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक अद्भुत अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और विघ्नों का नाश होता है। 2025 में 3 जनवरी को आने वाली यह चतुर्थी विशेष शुभ मानी जा रही है।