शारदीय नवरात्रि में माता रानी को प्रसन्न करने वाले मंत्रों का जाप करें
शारदीय नवरात्रि, जो कि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, विशेष रूप से माता दुर्गा की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व भक्तों के लिए न केवल आध्यात्मिक अनुभव का समय होता है, बल्कि यह उनकी आस्था और भक्ति को बढ़ाने का भी एक अवसर है। इस दौरान भक्त माता रानी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप करते हैं।
नवरात्रि का यह पर्व पूरे देश में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष, शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर से आरंभ होकर 12 अक्टूबर तक चलेगा। इस विशेष समय में भक्त माता रानी को प्रसन्न करने के लिए भक्ति, उपवास और साधना करते हैं। माता रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए मंत्रों का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
मंत्रों का महत्व
नवरात्रि के दौरान जाप किए जाने वाले मंत्रों का एक विशेष महत्व होता है। ये मंत्र देवी दुर्गा की दिव्य ऊर्जा को आमंत्रित करते हैं और भक्तों के जीवन में सकारात्मकता, सुरक्षा और समृद्धि लाने का कार्य करते हैं। मंत्रों का उच्चारण न केवल भक्तों के लिए शांति और संतोष का अनुभव कराता है, बल्कि यह उनके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।
माता रानी के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए, विशेष मंत्रों का चयन किया जाता है। ये मंत्र न केवल भक्ति का प्रतीक होते हैं, बल्कि भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति भी प्रदान करते हैं।
विशेष मंत्रों की सूची
नवरात्रि के प्रत्येक दिन माता रानी के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है। यहां हम उन मंत्रों का उल्लेख कर रहे हैं जिन्हें आप अपनी साधना में शामिल कर सकते हैं:
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माँ शैलपुत्री पूजा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:”
इस मंत्र का जाप माँ शैलपुत्री के प्रति श्रद्धा प्रकट करता है, जो कि नवरात्रि के पहले दिन की पूजा की जाती है।
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द्वितीय ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:”
यह मंत्र ब्रह्मचारिणी माता की आराधना के लिए है, जो साधना और तप की प्रतीक हैं।
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तृतीय चंद्रघंटा पूजा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:”
इस मंत्र का जाप चंद्रघंटा माता की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जो शक्ति और साहस की देवी हैं।
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चतुर्थ कूष्माण्डा मातापूजा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
कूष्माण्डा माता की पूजा के लिए यह मंत्र, सुख और समृद्धि का स्रोत है।
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पंचम स्कंदमाता मातापूजा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
यह मंत्र स्कंदमाता की कृपा प्राप्त करने के लिए है, जो कि पुत्रों और संतानों की देवी मानी जाती हैं।
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षष्ठम कात्यायनी मातापूजा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायानी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:”
कात्यायनी माता की पूजा से सफलता और समर्पण की भावना को जागृत किया जा सकता है।
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सप्तम कालरात्रि मातापूजा मंत्र
“ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:”
इस मंत्र का जाप शक्ति और सुरक्षा के लिए किया जाता है, जो माता कालरात्रि की आराधना में सहायक होता है।
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अष्टम महागौरी मातापूजा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:”
महागौरी माता का मंत्र मानसिक शांति और आनंद को प्राप्त करने में मदद करता है।
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नवमी सिद्धिदात्री मातापूजा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
इस मंत्र का जाप नवमी को सिद्धियों की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
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माता दुर्गा को प्रसन्न करने के मंत्र
नवरात्रि के दौरान, माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है:
“ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे”
“ओम दम दुर्गायै नमः”
“ओम ह्रीं श्रीं क्लीं सर्व पूज्ये देवी महालक्ष्मी नमः”
“ओम श्री दुर्गाय नमः”
“या देवी सर्व भूतेषु मां दुर्गा”
“सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके”
इन मंत्रों का नियमित जाप करने से भक्तों के जीवन में नकारात्मकता का प्रभाव कम होता है और उनके जीवन में खुशहाली और सुख का वास होता है।
शारदीय नवरात्रि का यह पर्व हमें माता रानी की कृपा प्राप्त करने और उनके दिव्य स्वरूपों की पूजा करने का अवसर प्रदान करता है। भक्तों को चाहिए कि वे इस पर्व का भरपूर लाभ उठाएं और ध्यान, साधना और मंत्रों के जाप के माध्यम से अपनी आस्था और भक्ति को प्रकट करें। माता रानी की कृपा से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहेगी।