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शुक्र की महादशा का फल

7 अगस्त कर्क राशि में शुक्र का राशि परिवर्तन

शुक्र नैसर्गिक शुभ ग्रह होकर भी काम और सुख का कारक माना जाता है। यदि जातक की कुण्डली में शुक्र कारक होकर उच्च राशि मूल त्रिकोण राशि, स्वराशि या मित्र राशि का होकर केन्द्र अथवा त्रिकोण में स्थित हो तो अपनी दशा में सदैव सुख एवं ऐश्वर्य प्रदान करता है। शुक्र की महादशा में शुक्र की ही अंतर्दशा तीन वर्ष चार महीने की होती है। यदि उच्च मित्र व स्वराशि में हो शुभ ग्रहों द्वारा युत व दृष्ट हो एवं शुक्र भी शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो एवं उच्च मित्र या स्वराशि में स्थित हो तो शुक्र की महादशा में शुक्र की ही अंतर्दशा हो तो जातक को अपना शुभ फल प्रदान करता है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र को प्रेम का कारक ग्रह माना जाता है। इसके साथ ही यह ग्रह भौतिक सुख का भी प्रतिनिधित्व करता है। किसी भी जातक के जीवन में प्रेम की बहार शुक्र के कारण ही आती है। युवकों के लिए यह दशा मिले-जुले फल प्रदान करती है। यदि जातक चन्द्र को छोड़कर अन्य ग्रहों से प्रभावित हो तो उच्च शिक्षा प्राप्त कर वकील या जज बन जाता है अथवा स्वतन्त्र कारोबार करता है और धन व मान अर्जित करता है तथा नये-नये लोगों से उसकी मित्रता होेती है तथा आर्थिक स्थिति सुदृढ़ बनती है। इस दशा में जातक सुन्दर भवनों का निर्माण करता है।

शुक्र की महादशा में शुक्र की अंतर्दशाः-

शुक्र की दशा अवधि 20 वर्ष तक चलती है। यह एक लाभकारी और कोमल ग्रह है। शुक्र प्यार, जुनून, सौंदर्य, विवाह, कला, संगीत, रचनात्मकता, विलासिता, धन, मीड़िया और सुगंध से जुड़ा हुआ है। यह अनिवार्य रुप से इंद्रियों का ग्रह है। शुक्र का अंतर्दशा धन लाभ और समृद्धि की ओर ले जाता है। जातक धार्मिक कृत्यों को अधिक महत्व नही देता है। शुक्र की दशा में जातक के आय के कई स्त्रोत प्राप्त होते है। तो वह व्यय भी खुले हाथों से करता है। शुक्र समाज में बेहतर नाम व प्रसिद्धि भी देता है। शुक्र की अंतर्दशा हमेशा नये रिश्ते भी लाते है और यह आपके विवाहित जीवन की और भी मजबूत करते है। शुक्र अर्थात उत्तमोत्तम पदार्थ है जिसे हम लक्जरी कहते है।

आइये हम जाने की शुक्र कौन-कौन सी क्रियाओं और वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करते है।

💠 हर प्रकार की विलासिता पूर्ण वस्तुओं के कारक शुक्र है।
💠 शुक्र अर्थात स्त्री ! स्त्रियों के स्थिर कारक शुक्र है।
💠 शुक्र अर्थात वाहन ! सायंकाल से लेकर बाइक और कार से लेकर जेट विमान तक हर प्रकार के वाहन के कारक शुक्र है।
💠 शुक्र अर्थात हीरा ! शुक्र अर्थात श्रृंगार !
💠 शुक्र अर्थात संगीत ! हर प्रकार का संगीत और वाद्ययंत्रों के कारक केवल और केवल शुक्र है। इसके अतिरिक्त भी शुक्र के कई कारकत्व है

शुक्र के कुप्रभाव से बचने के उपायः

💠 शुक्र का व्रत करने से शुक्र मजबूत होता है और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। शुक्र का व्रत करने से सुख, सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है। शुक्र के दोष को दूर करने लिए शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनकर ओम द्रां द्री द्रौ सः शुक्राय नमः मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप 11,21 या 5 माला का हो सकता है।
💠 यदि किसी जातक का शुक्र ग्रह कमजोर है तो उसे मजबूत बनाने के लिए दान करें। दान में आप सफेद रंग की किसी भी वस्तु को ले सकते है जैसेः- सफेद वस्त्र, चावल, घी, चीनी आदि का दान अवश्य करें।
💠 शुक्र के कुप्रभाव से बचने के लिए जातक को हीरा भी धारण करना चाहिए।
💠 यदि आप की कुण्डली में शुक्र कमजोर है तो आप अपने साथ रह रही महिलाओं का सम्मान अवश्य करें। साथ ही अपने आस-पास सफाई अवश्य रखें।

शुक्र ग्रह के खराब होने के लक्षणः-

💠 अगर जातक के जीवन में आर्थिक परेशानियां आने लगे तो यह समझ लेना चाहिए की जातक की कुण्डली मे शुक्र ग्रह कमजोर स्थान पर बैठे हुए है।
💠 घर में दरिद्रता आने पर भी कुण्डली में शुक्र ग्रह कमजोर होने की निशानी है।
💠 जब व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आने लगे तो समझ लेना चाहिए कि जातक की कुण्डली में शुक्र ग्रह कमजोर है।
💠 यदि वैवाहिक जीवन में तनाव आने लगे या फिर व्यक्ति को जीवन में स्त्री सुख मिलना बंद हो जाए तो यह शुक्र के खाराब होने के लक्षण है।

शुक्र ग्रह के शुभ होने के क्या संकेत हैः-

💠 जब  व्यक्ति को जीवन में भौतिक सुख-सुविधाएं अचानक से प्राप्त होंने लगे तो यह शुक्र ग्रह के शुभ होने के संकेत है।
💠 जब व्यक्ति को किसी कार्य में अचानक सफलता मिलने लगे तो यह शुक्र के शुभ फल के संकेत है।
💠 जब व्यक्ति को अचानक से मान-सम्मान प्राप्त होने लगे तो यह कुण्डली मे शुक्र ग्रह के मजबूत होने का संकेत होता है।

शुक्र ग्रह का महत्वः-

ज्योतिष के मुताबिक शुक्र ग्रह का कुण्डली मे लग्न भाव में होना जातक को रुप रंग, शौहरत कला प्रतिभा, रोमांस भौतिक सुख आदि देता है। वैदिक ज्योतिष मे शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से व्यक्ति शारीरिक, भौतिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति करता है। कुण्डली में शुक्र ग्रह को भाग्य का कारक भी माना जाता है। जबकि सप्ताह में इसका दिन शुक्रवार व कारक मां लक्ष्मी मानी गई है। शुक्र का मानव जीवन पर अत्यधिक प्रभाव माना गया है। शुक्र ही वह ग्रह है जो यह बताता है कि किस व्यक्ति के जीवन में कितना सुख, प्रेम व सम्पन्नता आएगी।

नोट- यहाँ पर हमने केवल शुक्र की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ-अशुभ फलो की संभावना मात्र व्यक्त की है किसी भी उपाय को अपनाने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से अपनी कुण्डली का विश्लेषण अवश्य करें।

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