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सूर्य और शनि युति का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव और इसके उपाय

सूर्य और शनि युति का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव और इसके उपाय

सूर्य और शनि युति का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव और इसके उपाय

सूर्य और शनि युति का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव और इसके उपाय (Effect of Sun and Saturn conjunction on all the houses of the horoscope and its remedies)

ज्योतिष में सूर्य और शनि का संबंध बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। सूर्य आत्मा, शक्ति, समृद्धि और नेतृत्व का प्रतीक है, जबकि शनि कर्मफल, अनुशासन और न्याय का कारक है। हालांकि, दोनों ग्रह स्वभाव से विरोधी माने जाते हैं। सूर्य का स्वभाव तेजस्वी और आक्रामक है, वहीं शनि धीमा, स्थिर और संयमी है। इस प्रकार, जब यह दोनों ग्रह एक साथ किसी भी भाव में आते हैं, तो जातक के जीवन पर इसका गहरा और मिश्रित प्रभाव पड़ता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि सूर्य और शनि की युति का कुंडली के विभिन्न भावों पर क्या प्रभाव होता है और इसके उपाय क्या हो सकते हैं।

सूर्य और शनि युति का कुंडली के सभी भावों पर प्रभाव और इसके उपाय

पहला भाव (लग्न) (First house)

पहला भाव व्यक्ति की पहचान, व्यक्तित्व और शारीरिक बनावट से जुड़ा होता है। सूर्य और शनि का लग्न भाव में युति करना व्यक्ति के आत्मविश्वास और व्यक्तिगत विकास पर गहरा प्रभाव डालता है। यह युति व्यक्ति को आंतरिक संघर्ष का सामना कराती है। एक ओर जहां सूर्य से आत्मविश्वास बढ़ता है, वहीं शनि इस आत्मविश्वास को कमजोर करता है। इसके कारण व्यक्ति को निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है और उसके व्यक्तित्व में द्वंद्व पैदा हो सकता है। व्यक्ति को अक्सर मानसिक तनाव, निराशा और आत्म-संदेह का सामना करना पड़ सकता है।

उपाय:

  1. प्रतिदिन सुबह सूर्य को तांबे के पात्र में जल अर्पित करें।
  2. शनिवार को शनि के मंत्रों का जाप करें और जरूरतमंदों को काले तिल और तेल का दान करें।

दूसरा भाव (second house)

दूसरा भाव धन, परिवार और वाणी का होता है। इस भाव में सूर्य-शनि युति से जातक के पारिवारिक संबंधों में कड़वाहट आ सकती है। व्यक्ति का अपने परिवार से मतभेद हो सकता है। धन का आगमन तो होगा, परंतु उसकी स्थिरता नहीं रहेगी। इसके साथ ही, जातक को गले से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह युति वित्तीय स्थिरता को चुनौतीपूर्ण बना सकती है, क्योंकि शनि धन के प्रवाह को नियंत्रित करता है।

उपाय:

  1. शुक्रवार को लक्ष्मी जी की पूजा करें और सफेद मिठाई का दान करें।
  2. हर शनिवार को काले तिल और उड़द का दान करें।

तीसरा भाव (third house)

तीसरा भाव साहस, छोटे भाई-बहन और संचार से संबंधित होता है। इस भाव में सूर्य और शनि की युति जातक को साहसी बनाती है, लेकिन इसके साथ ही भाई-बहन के साथ संबंधों में तनाव आ सकता है। इस युति से व्यक्ति की सामाजिक स्थिति में सुधार हो सकता है और उसे राजनीति या समाज में सम्मान प्राप्त हो सकता है। संचार में भी रुकावटें आ सकती हैं और संवाद में कठिनाई हो सकती है।

उपाय:

  1. भाईबहनों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखें और विवाद से बचें।
  2. मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें और गरीबों को भोजन कराएं।
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चौथा भाव (fourth house)

चतुर्थ भाव माता, घर, संपत्ति और मनोबल से जुड़ा होता है। सूर्य और शनि का इस भाव में युति करना जातक के पारिवारिक जीवन में अशांति ला सकता है। माता से मतभेद हो सकते हैं और पारिवारिक सुख में कमी हो सकती है। घर में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। मानसिक शांति का अभाव रहेगा और व्यक्ति अपने घर या संपत्ति से संतुष्टि महसूस नहीं करेगा। साथ ही, माता के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

उपाय:

  1. प्रतिदिन सूर्य और चंद्रमा के मंत्रों का जाप करें।
  2. शनिवार को शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें।

पांचवां भाव (fifth house)

पंचम भाव शिक्षा, संतान और रचनात्मकता से जुड़ा होता है। इस भाव में सूर्य और शनि की युति से जातक को शिक्षा और संतान से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति को शिक्षा में रुकावट आ सकती है और संतान को लेकर चिंता बनी रहती है। यह युति जातक को रचनात्मक रूप से अवरुद्ध कर सकती है, जिससे उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। शेयर बाजार या जोखिम भरे निवेश में नुकसान की संभावना होती है।

उपाय:

  1. प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें।
  2. बुधवार को कन्याओं को हरे वस्त्र दान करें।
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छठा भाव (sixth house)

छठा भाव शत्रु, रोग और ऋण से संबंधित होता है। इस भाव में सूर्य और शनि की युति जातक को संघर्षों का सामना कराती है, लेकिन अंततः जीत उनकी होती है। यह युति जातक को कानूनी विवादों और शत्रुओं से मुक्ति दिला सकती है। हालांकि, व्यक्ति के स्वभाव में कठोरता आ सकती है और उसका स्वभाव दबंग हो सकता है। स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे तनाव, अनिद्रा और मानसिक असंतुलन उत्पन्न हो सकते हैं।

उपाय:

  1. नियमित रूप से सूर्य को जल चढ़ाएं औरआदित्य हृदय स्तोत्रका पाठ करें।
  2. हर शनिवार शनि मंदिर में तेल का दीपक जलाएं।

सातवां भाव (seventh house)

सप्तम भाव विवाह, साझेदारी और व्यापार से जुड़ा होता है। सूर्य और शनि की युति सप्तम भाव में वैवाहिक जीवन में चुनौतियाँ लाती है। व्यक्ति का जीवनसाथी के साथ तालमेल ठीक नहीं रहता और संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है। व्यापार में साझेदारी में विवाद होने की संभावना रहती है। इस युति के दौरान विवाह में देरी हो सकती है और व्यक्ति को सही जीवनसाथी ढूंढने में कठिनाई हो सकती है।

उपाय:

  1. शुक्रवार को मां लक्ष्मी का पूजन करें और विवाहित महिलाओं को वस्त्र दान करें।
  2. विवाह में देरी के लिए नवरात्रि में कन्याओं को भोजन कराएं।

आठवां भाव (eighth house)

आठवां भाव मृत्यु, पुनर्जन्म और रहस्य से जुड़ा होता है। सूर्य और शनि की युति अष्टम भाव में जातक के जीवन में अनिश्चितता और अवसाद ला सकती है। व्यक्ति को जीवन में बार-बार बदलाव और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। करियर में उतार-चढ़ाव की संभावना रहती है और अचानक अप्रत्याशित घटनाएं हो सकती हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, विशेष रूप से हड्डियों और जोड़ों से जुड़ी हो सकती हैं।

उपाय:

  1. मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  2. गरीबों और जरूरतमंदों को नियमित रूप से भोजन और कपड़ों का दान करें।

नौवां भाव (ninth house)

नवम भाव धर्म, भाग्य और यात्रा से जुड़ा होता है। इस भाव में सूर्य और शनि की युति जातक को आध्यात्मिक रूप से प्रभावित करती है। व्यक्ति को धार्मिक कार्यों में भाग लेने और तीर्थ यात्रा करने के अवसर मिलते हैं, लेकिन इसे लेकर संघर्ष भी हो सकता है। भाग्य का साथ कभी मिलता है तो कभी छूट जाता है, जिससे जातक को निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता होती है।

उपाय:

  1. प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
  2. धार्मिक यात्राओं पर जाएं और गुरुवार को जरूरतमंदों को पीली वस्तुएं दान करें।
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दसवां भाव (tenth house)

दशम भाव करियर और पेशेवर जीवन से संबंधित होता है। इस भाव में सूर्य और शनि की युति जातक के करियर में अनिश्चितता पैदा कर सकती है। करियर में उतार-चढ़ाव और भ्रम की स्थिति बनी रह सकती है। नई नौकरी शुरू करने के समय यह युति अशुभ प्रभाव डाल सकती है। हालाँकि, समय के साथ मेहनत के बल पर सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। यह युति व्यक्ति को नेतृत्व के क्षेत्र में सफलता दिला सकती है।

उपाय:

  1. प्रतिदिनआदित्य हृदय स्तोत्रका पाठ करें।
  2. शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें और गरीबों को काले कपड़े दान करें।

ग्यारहवां भाव (eleventh house)

एकादश भाव लाभ, मित्र और सामाजिक संबंधों से जुड़ा होता है। इस भाव में सूर्य-शनि की युति जातक के सामाजिक संबंधों को प्रभावित करती है। व्यक्ति को मित्रों से दूरी बनानी पड़ सकती है और उन्हें समाज में अलग-थलग महसूस हो सकता है। हालाँकि, आर्थिक दृष्टिकोण से इस युति से लाभ हो सकता है, लेकिन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

उपाय:

  1. शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा करें और चावल का दान करें।
  2. नियमित रूप से सूर्य और शनि के मंत्रों का जाप करें।

बारहवां भाव (twelfth house)

द्वादश भाव व्यय, विदेशी यात्रा और मानसिक शांति से जुड़ा होता है। सूर्य और शनि की युति इस भाव में जातक को मानसिक तनाव और आर्थिक नुकसान का सामना करवा सकती है। व्यक्ति को अवसाद, निराशा और असफलता का अनुभव हो सकता है। विदेशी यात्राओं और व्यावसायिक मामलों में रुकावटें आ सकती हैं। जीवन में संतुलन और मानसिक शांति प्राप्त करना कठिन हो सकता है।

उपाय (remedy):

  1. रोज़ ध्यान करें और योग का अभ्यास करें।
  2. नियमित रूप से सूर्य को जल चढ़ाएं और शनिवार को गरीबों को तेल और तिल का दान करें।

सूर्य और शनि (Sun and Saturn) की युति ज्योतिष में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह युति जातक के जीवन में चुनौतियाँ ला सकती है, लेकिन सही उपायों और सतत प्रयासों से इनसे उभरने का मार्ग भी प्रदान करती है। अगर जातक नियमित रूप से सूर्य और शनि की उपासना करे और धार्मिक कार्यों में संलग्न रहे, तो यह युति भी जीवन में सकारात्मक परिणाम दे सकती है।

यदि आप अपने राशिफल की विस्तृत जानकारी या सूर्य और शनि के प्रभावों के बारे में जानना चाहते हैं, तो ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा से परामर्श कर सकते हैं। उन्हें दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषियों में से एक माना जाता है और उनकी कुंडली विशेषज्ञता के लिए वे प्रसिद्ध हैं।

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