जानकी जयंती का महत्व और पौराणिक पृष्ठभूमि

जानकी जयंती 21 फरवरी 2025: एक विस्तृत विवेचन

जानकी जयंती का महत्व और पौराणिक पृष्ठभूमि

जानकी जयंती देवी सीता के जन्म का उत्सव है, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा में नारी शक्ति, पवित्रता, त्याग और धैर्य का सर्वोच्च उदाहरण मानी जाती हैं। देवी सीता को ‘भूमिपुत्री’ और ‘जानकी’ भी कहा जाता है क्योंकि उनका जन्म भूमि से हुआ था। यह पर्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह पवित्र तिथि 21 फरवरी को पड़ रही है।

देवी सीता, रामायण के महाकाव्य की केंद्रीय पात्र, राजा जनक की पुत्री थीं। पौराणिक कथा के अनुसार, राजा जनक ने यज्ञ के दौरान हल चलाते समय भूमि से एक कन्या को प्राप्त किया था, जिसे उन्होंने अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। देवी सीता का जीवन न केवल उनके समर्पण और निष्ठा के लिए जाना जाता है, बल्कि यह नारी शक्ति का एक अमर प्रतीक भी है।

जानकी जयंती: पूजा की विधि और व्रत की महत्ता

जानकी जयंती पर व्रत और पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिन जीवन में पवित्रता, धैर्य और परिवारिक सामंजस्य को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन किए गए अनुष्ठान का फल दांपत्य जीवन को सुखमय बनाता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

पूजा की तैयारी

  1. स्नान और शुद्धिकरण
    सूर्योदय से पहले पवित्र नदी, कुंड या घर पर स्नान करें। पूजा के लिए स्वच्छ कपड़े पहनें।
  2. पूजा स्थान की सजावट
    घर के पूजा स्थान को फूलों और आम के पत्तों से सजाएं। देवी सीता की प्रतिमा या चित्र को एक स्वच्छ और शुभ स्थान पर स्थापित करें।
  3. पूजा सामग्री
    पूजा के लिए रोली, चंदन, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीपक, मिठाई, फल और पंचामृत तैयार रखें।

पूजा विधि

  1. दीप प्रज्वलन और कलश स्थापना
    पूजा स्थान पर दीप प्रज्वलित करें और शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करें।
  2. मंत्र जाप और अर्चना
    देवी सीता की पूजा में निम्न मंत्र का 108 बार जाप करें:

जानकीवल्लभायै नमः।

  1. रामायण का पाठ
    जानकी जयंती पर रामायण का पाठ करना विशेष फलदायक होता है। यदि समय कम हो तो सुंदरकांड या सीता विवाह का पाठ करें।
  2. आरती और भोग
    पूजा के अंत में देवी सीता की आरती करें और उन्हें पंचामृत, फल और मिठाई अर्पित करें। प्रसाद को परिवार और भक्तों में बांटें।

जानकी जयंती और व्रत का ज्योतिषीय महत्व

ग्रहों की अनुकूलता

जानकी जयंती के दिन माघ शुक्ल अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र का योग बन रहा है, जो बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से विवाहिक सुख, संतान प्राप्ति, और पारिवारिक समृद्धि के योग मजबूत होते हैं।

कुंडली में लाभ

  • शुभ ग्रहों का प्रभाव
    इस दिन व्रत करने से कुंडली में शुक्र और चंद्रमा के शुभ प्रभाव बढ़ते हैं, जो दांपत्य जीवन और मानसिक शांति के लिए लाभकारी होते हैं।
  • पारिवारिक बाधाओं का समाधान
    यदि किसी की कुंडली में विवाह या संतान प्राप्ति में बाधा है, तो जानकी जयंती पर विशेष पूजा से यह दोष समाप्त हो सकता है।

अभी जॉइन करें हमारा WhatsApp चैनल और पाएं समाधान, बिल्कुल मुफ्त!

कर्म द्वादशी: 10 जनवरी 2025 – कर्मों की गणना का पवित्र दिन 1

Join WhatsApp Channel

 

हमारे ऐप को डाउनलोड करें और तुरंत पाएं समाधान!

Download the KUNDALI EXPERT App

कर्म द्वादशी: 10 जनवरी 2025 – कर्मों की गणना का पवित्र दिन 2कर्म द्वादशी: 10 जनवरी 2025 – कर्मों की गणना का पवित्र दिन 3

हमारी वेबसाइट पर विजिट करें और अधिक जानकारी पाएं

संपर्क करें: 9818318303

जानकी जयंती के विशेष लाभ

  1. दांपत्य जीवन में सामंजस्य
    इस दिन देवी सीता की पूजा करने से विवाहित जीवन में प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
  2. संतान सुख की प्राप्ति
    जानकी जयंती पर व्रत और पूजा संतान प्राप्ति के इच्छुक दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायक होती है।
  3. धैर्य और पवित्रता का आशीर्वाद
    देवी सीता के गुणों को आत्मसात करने से जीवन में पवित्रता, धैर्य और निष्ठा का विकास होता है।
  4. आध्यात्मिक उन्नति
    रामायण का पाठ और देवी सीता की पूजा से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

जानकी जयंती का सांस्कृतिक महत्व

जानकी जयंती का महत्व और पौराणिक पृष्ठभूमि
जानकी जयंती का महत्व और पौराणिक पृष्ठभूमि

यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में महिलाओं के योगदान और सम्मान का प्रतीक भी है। जानकी जयंती हमें यह सिखाती है कि किस प्रकार नारी अपनी पवित्रता, धैर्य और साहस से समाज को प्रेरणा दे सकती है।

शुभ मुहूर्त

जानकी जयंती शुक्रवार, फरवरी 21, 2025 को
अष्टमी तिथि प्रारंभ: फरवरी 20, 2025 को प्रातः 09:58 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त: फरवरी 21, 2025 को प्रातः 11:57 बजे

समापन

जानकी जयंती 21 फरवरी 2025 को, एक ऐसा दिन है जब हम देवी सीता के जीवन से प्रेरणा लेते हुए उनके गुणों को आत्मसात करने का प्रयास करें। यह पर्व हमें न केवल पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को सुदृढ़ करने की शिक्षा देता है, बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध और उन्नत करता है।

जय माता सीता!”

 

20 Views
× How can I help you?