Site icon Kundali Expert

Bhadra: भद्रा का अशुभ समय और प्रभाव

Bhadra: भद्रा का अशुभ समय और प्रभाव

Bhadra: भद्रा का अशुभ समय और प्रभाव

Bhadra: भद्रा का अशुभ समय और प्रभाव

भारतीय ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में ‘भद्रा’ का एक विशेष स्थान है। यह समय का वह अंश है जिसे अशुभ और मंगल कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। भद्रा के समय में शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश और अन्य धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते। आइए जानते हैं भद्रा के उत्पत्ति, स्वरूप और इसके अशुभ प्रभावों के बारे में विस्तार से।

भद्रा कौन है?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा सूर्य देव की पुत्री और यमराज एवं शनि देव की बहन हैं। भद्रा का स्वभाव शनि देव के समान उग्र और कठोर है। भद्रा को एक विकराल और भयंकर रूप वाली देवी के रूप में दर्शाया गया है, जिनके बाल लंबे, रंग काला और दांत बड़े-बड़े होते हैं। जन्म के समय से ही उन्होंने यज्ञों में विघ्न और मंगल कार्यों में बाधा उत्पन्न करना शुरू कर दिया था। उनकी इस उग्रता के कारण सूर्य देव ने उन्हें कालगणना (पंचांग) के प्रमुख अंग विष्टी करण में स्थान दिलवाया।

Download the KUNDALI EXPERT App

भद्रा का अशुभ समय और प्रभाव

भद्रा का समय तीन लोकों में विभाजित होता है—स्वर्ग लोक, पाताल लोक और पृथ्वी लोक। जब भद्रा पृथ्वी लोक में निवास करती है, तब इसे सबसे अधिक अशुभ माना जाता है। इस समय में किए गए सभी शुभ कार्यों में विघ्न आने की संभावना होती है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा के दौरान किए गए कार्यों का परिणाम विपरीत हो सकता है। भद्रा का अशुभ प्रभाव तब और भी बढ़ जाता है जब वह दिन के समय की बजाय रात में सक्रिय होती है।

Download the KUNDALI EXPERT App

भद्रा का स्वरूप और विभिन्न प्रकार

भद्रा का स्वरूप अत्यंत विकराल होता है। उनके रूप को देखकर ही उनके दुष्ट स्वभाव का पता चलता है। भद्रा का निवास पंचांग के विष्टी करण में होता है, जहां वह दिन और रात के भिन्न-भिन्न समय में रहती हैं।

मुख:जब भद्रा मुख में होती है, तब किए गए कार्यों का नाश हो जाता है।

कंठ:भद्रा कंठ में होने पर धन का नाश होता है।

ह्रदय:भद्रा ह्रदय में होने पर प्राण का नाश होता है।

पुच्छ:भद्रा पुच्छ में आने पर कार्य सिद्ध होते हैं और विजय प्राप्त होती है।

Download the KUNDALI EXPERT App

भद्रा के बारह नाम

भद्रा के बारह नाम हैं—धन्या, दधिमुखी, कुलपुत्रिका, भैरवी, महाकाली, असुराणा, महामारी, विष्टि, खरानना, कालरात्रि, महारुद्र और क्षयंकरी। किसी भी शुभ कार्य को भद्रा के समय में करना वर्जित माना जाता है। हालांकि, यदि कार्य को टाला नहीं जा सकता, तो उपवास रखना और भगवान की आराधना करना उचित माना गया है।

रक्षाबंधन 2024 और भद्रा का समय

रक्षा बंधन के लिए अपराह्न का मुहूर्त: 13:43 से 16:20 

अवधि: 2 घंटे 37 मिनट

रक्षा बंधन के लिए प्रदोष काल का मुहूर्त: 18:56 से 21:08 

अवधि: 2 घंटे 11 मिनट

भद्रा समाप्ति समय: 13:30 

भद्रा पूंछ: 09:51 से 10:53 

भद्रा मुख: 10:53 से 12:37 

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 19 अगस्त 2024 को 03:04 बजे 

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 19 अगस्त 2024 को 23:55 बजे

भद्रा का समय भारतीय ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह समय अशुभ माना जाता है और इस दौरान कोई भी मंगल कार्य नहीं किए जाते। भद्रा के प्रभाव को समझना और इससे बचने के उपाय करना अत्यंत आवश्यक है। इस रक्षाबंधन पर भद्रा के समय से बचकर आप शुभ मुहूर्त में अपने भाई को राखी बांधें और भगवान से उनकी लंबी उम्र और खुशियों की कामना करें।

Download the KUNDALI EXPERT App

341 Views
Exit mobile version