पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि मानी जाती है, जिसमें पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और उनका तर्पण किया जाता है। इस अवधि के दौरान पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पितृ पक्ष सोलह दिन (16 दिन) का क्यों होता है, यह जानना भी महत्वपूर्ण है। आइए इस विषय पर Astrologer K. M. Sinha द्वारा विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
पितृ पक्ष के 16 दिन: क्यों और कैसे
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शास्त्रों के अनुसार तिथियाँ
हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष का आयोजन भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर अमावस्या तक चलता है। इस अवधि में पितरों के प्रति श्रद्धा और तर्पण के विशेष कर्म किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की मृत्यु का समय इन सोलह तिथियों के अलावा अन्य किसी भी तिथि पर नहीं माना जाता है। इसका मतलब है कि मरने वाले व्यक्ति की तिथि हमेशा इन्हीं सोलह तिथियों के भीतर आती है, चाहे यह तिथियाँ किसी भी माह में क्यों न पड़ें।
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तिथि क्षय और वृद्धि
पितृ पक्ष की अवधि 16 दिन की होती है, लेकिन यदि किसी वर्ष में तिथियों का क्षय हो जाता है, तो यह अवधि कम हो सकती है। हालांकि, पितृ पक्ष की तिथियों की संख्या कभी भी 16 से अधिक नहीं होती। यह संख्या पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्थिर रहती है, जिससे कि पितरों के लिए समय की निरंतरता और धार्मिक विधियों की नियमितता बनी रहे।
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शुभता और अशुभता की मान्यता
पितृ पक्ष के दौरान यदि 16 से कम तिथियाँ होती हैं, तो यह शुभ माना जाता है। इसके विपरीत, यदि तिथियाँ 16 से अधिक हो जाती हैं, तो इसे अशुभ माना जाता है। यह मान्यता पितरों की आत्मा की तृप्ति और तर्पण के प्रभाव से जुड़ी हुई है, जिससे कि श्रद्धालुओं को पितरों के प्रति पूर्ण श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया जा सके।
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सूर्य का कन्या राशि में होना
ज्योतिष गणना के अनुसार, पितृ पक्ष की अवधि के दौरान सूर्य कन्या राशि में स्थित होता है। यह स्थिति पितरों के लिए विशेष लाभकारी मानी जाती है। कन्या राशि में सूर्य की उपस्थिति पितरों के लिए श्रेष्ठ समय होती है, जब उन्हें तर्पण और पिंडदान से अधिक लाभ प्राप्त होता है। इस समय पितरों को समर्पित कर्मों को पूरा करने से उनके आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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पितृ पक्ष की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्वता
पितृ पक्ष के दौरान विशेष ध्यान और धार्मिक विधियाँ पितरों की आत्मा को शांति और तृप्ति प्रदान करने के लिए की जाती हैं। पौराणिक ग्रंथों और ज्योतिष के अनुसार, इस अवधि में किए गए कर्मों का प्रभाव बहुत गहरा होता है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। पितृ पक्ष के 16 दिन की अवधि इस धार्मिक महत्वता को संपूर्ण रूप से परिलक्षित करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी पितरों को उचित श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके।
पितृ पक्ष का 16 दिन का होना शास्त्रों और ज्योतिष के अनुसार एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्यवस्था है। यह अवधि पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनके तर्पण के लिए विशेष समय मानी जाती है। पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए यह समय अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है और इसे श्रद्धा और धर्म के साथ मनाने की आवश्यकता होती है। पितृ पक्ष के दौरान इन नियमों और मान्यताओं का पालन करके आप पितरों को तृप्त कर सकते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि ला सकते हैं।