Pitru Dosh Upay: पूर्वजों की नाराजगी के संकेत इन्हें अनदेखा न करें 

पूर्वजों की नाराजगी के संकेत: इन्हें अनदेखा करें, बड़ी परेशानी का कारण बन सकते हैं

हिंदू धर्म समेत विभिन्न संस्कृतियों में पितरों से संबंधित पूजा-पाठ, ध्यान और दान का विशेष महत्व है। मरणोपरांत भी पितृ अपनी कृपादृष्टि परिवार पर बनाए रखते हैं। यदि पितृ प्रसन्न होते हैं तो परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन अगर वे नाराज हो जाएं तो जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जाने-अनजाने में किए गए गलत कार्यों से पूर्वज कुपित हो सकते हैं। इसलिए ऐसा कोई काम न करें, जिससे पितृ नाराज हों।

पूर्वजों की नाराजगी के संकेत

अगर पितृ नाराज हैं तो वे कुछ संकेत देते हैं। यदि आपको भी ये संकेत मिल रहे हैं, तो समझ लें कि आपके पूर्वज आपसे नाराज हैं।

  1. अज्ञात भय और चिंता: यदि आपको या परिवार के किसी सदस्य को अज्ञात भय सताता है या हमेशा चिंता महसूस होती है, तो यह पितृ दोष (Pitra Dosh) का संकेत हो सकता है। इसका कारण यह है कि आपके पितृ आपसे प्रसन्न नहीं हैं।
  2. खाने में बाल निकलना: खाने के दौरान कभी-कभार बाल निकलना सामान्य हो सकता है। लेकिन अगर अक्सर ऐसा होता है या पहले कोर में ही बाल निकल आता है, तो यह पितृ दोष का संकेत है।
  3. दुर्गंध या बदबू आना: साफ-सफाई के बाद भी यदि घर से बदबू आती है और इसका स्रोत पता नहीं चलता, तो यह नाराज पितरों के संकेत हो सकते हैं।
  4. पूर्वजों के सपने आना: यदि परिवार के किसी सदस्य को बार-बार पूर्वजों के सपने आते हैं या सपने में पूर्वज दुखी या रोते हुए दिखते हैं, तो इसे अच्छा नहीं माना जाता।
  5. शुभमांगलिक कार्यों में अड़चन आना: तीज-त्योहार या शुभ कार्यों के दौरान किसी न किसी तरह से खलल पड़ना या अशुभ घटनाएं होना भी पितरों की नाराजगी का संकेत है। यह दर्शाता है कि आपके पितृ असंतुष्ट हैं।
  6. घर के किसी सदस्य का कुंवारा और निसंतान रहना: पितृ दोष होने से घर के किसी सदस्य का विवाह नहीं हो पाता है, खासकर तब जब किसी कुंवारे सदस्य की मृत्यु हो गई हो। किसी दंपती का संतानहीन रहना भी पितरों की नाराजगी का संकेत है।

पितरों की नाराजगी कैसे दूर करें (Pitru Dosh Upay)

पितरों की नाराजगी दूर करने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों से आपके पूर्वज प्रसन्न होंगे और आप सुखी-संपन्न जीवन व्यतीत करेंगे।

  1. पिंड दान करें: पितरों के निमित्त पिंड दान अवश्य करें।
  2. कुआं, तालाब या प्याऊ का निर्माण: पूर्वजों के निमित्त कुआं, तालाब या प्याऊ आदि का निर्माण कराएं।
  3. पेड़ लगाएं: किसी मंदिर के प्रांगण में बरगद या पीपल का पेड़ लगाएं और उसकी पूजा करें।
  4. दान करें: अमावस्या के दिन पितरों के नाम से दूध, चीनी, कपड़ा या दक्षिणा किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान करें।
  5. पीपल वृक्ष की परिक्रमा: पीपल वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करने से भी पितृ दोष कम होता है।

इन उपायों को करने से आपके पितृ प्रसन्न होंगे और जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। यह ध्यान रखें कि पितरों की नाराजगी को अनदेखा न करें, क्योंकि इससे बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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