Shardiya Navratri 2024: मां दुर्गा मुर्गे की सवारी पर करेंगी प्रस्थान- जानिए शुभ है या अशुभ?
हिंदू धर्म में नवरात्रि का त्योहार बहुत ही विशेष और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस समय में देवी दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, क्योंकि उन्हें धरती पर भक्तों के बीच लाने और उनके कष्टों का निवारण करने के लिए बुलाया जाता है। हर साल देवी दुर्गा नवरात्रि के दौरान विशेष सवारी पर आकर भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और फिर उसी प्रकार विशेष सवारी से वापस चली जाती हैं। यह केवल एक धार्मिक परंपरा ही नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे ज्योतिषीय संकेत भी छिपे होते हैं, जो भविष्य में होने वाली घटनाओं की ओर इशारा करते हैं।
आगमन सवारी का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि में मां दुर्गा की सवारी बदलती रहती है और हर वर्ष उनके आगमन की सवारी से आने वाले समय के शुभ या अशुभ परिणामों का पता चलता है। इस साल शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 3 अक्टूबर 2024 से हुआ और देवी दुर्गा पालकी (डोली) पर सवार होकर धरती पर आईं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पालकी में देवी दुर्गा का आना अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब देवी पालकी पर आती हैं, तो यह संकेत होता है कि आने वाले समय में राष्ट्र को आर्थिक कठिनाइयों, व्यापार में गिरावट, हिंसा, महामारी और अप्राकृतिक घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। यह जनता के लिए सतर्कता का समय होता है और भक्तों को विशेष रूप से इस समय अधिक ध्यान और सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
पालकी का अशुभ संकेत
पालकी को विशेष रूप से अशुभ इसलिए माना जाता है क्योंकि यह एक ढोने वाला वाहन है, जिसका सीधा अर्थ जीवन में भार और विपत्तियों का आगमन होता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे मंदी और कष्टकारी समय का प्रतीक माना जाता है। जब देवी दुर्गा पालकी में आती हैं, तो यह इस बात का सूचक होता है कि देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, व्यापार में गिरावट आएगी और समाज में अशांति फैलने की संभावना रहेगी। महामारी जैसे आपदाओं का भी खतरा बना रहता है, जो समाज के लिए बहुत बड़े कष्टों का संकेत होता है।
प्रस्थान सवारी का महत्व
जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के आगमन की सवारी का महत्व होता है, उसी प्रकार देवी दुर्गा के प्रस्थान की सवारी भी विशेष महत्व रखती है। नवरात्रि का समापन इस साल 12 अक्टूबर 2024 को होगा और उस दिन देवी दुर्गा किस वाहन से प्रस्थान करेंगी, इसके भी विशेष ज्योतिषीय संकेत होते हैं। हर साल देवी दुर्गा का प्रस्थान भी उनके आगमन की तरह ही विशेष संदेश और संकेत लेकर आता है, जो आने वाले समय के लिए हमें तैयार करता है।
मां दुर्गा का मुर्गे पर प्रस्थान: क्या है संकेत?
इस साल, शारदीय नवरात्रि के समापन पर, देवी दुर्गा मुर्गे (चरणायुद्ध) की सवारी से प्रस्थान करेंगी। ज्योतिष शास्त्र में मुर्गे की सवारी को अशुभ माना जाता है। मुर्गा युद्ध और झगड़े का प्रतीक होता है और यह सवारी इस बात का संकेत देती है कि आने वाले समय में देश-दुनिया में लड़ाई-झगड़े और विवाद बढ़ सकते हैं। राजनीति में भी अस्थिरता का संकेत मिलता है, जिससे राजनीतिक माहौल में उथल-पुथल और तनाव देखने को मिल सकता है।
मुर्गे की सवारी का अर्थ यह भी है कि समाज में शोक और कष्टों की वृद्धि हो सकती है। महामारी जैसी समस्याओं का भी खतरा बढ़ जाता है, जो समाज के स्वास्थ्य और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। साथ ही, यह संकेत देता है कि समाज में अस्थिरता और अशांति बढ़ सकती है।
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क्या है मुर्गे की सवारी का अशुभ प्रभाव?
मुर्गे की सवारी को शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि मुर्गा स्वभाव से ही एक लड़ाकू पक्षी है। इसका स्वभाव विवाद, झगड़ा और अशांति से जुड़ा होता है। जब देवी दुर्गा मुर्गे पर सवार होकर प्रस्थान करती हैं, तो यह इस बात का प्रतीक है कि समाज में अशांति और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। राजनीतिक अस्थिरता, समाज में हिंसा और महामारी जैसी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं का खतरा बना रहता है। यह समय समाज के लिए कठिनाइयों से भरा हो सकता है और इस दौरान सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
भविष्य की चुनौतियों का संकेत
मुर्गे की सवारी से प्रस्थान करना इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में न केवल समाज, बल्कि पूरी दुनिया को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यह समय राजनीति, स्वास्थ्य और सामाजिक स्तर पर संघर्ष का हो सकता है। इसलिए इस नवरात्रि के समापन पर देवी दुर्गा के प्रस्थान को ध्यान में रखते हुए, समाज को अधिक सतर्क और एकजुट रहने की आवश्यकता होगी।
नवरात्रि में देवी दुर्गा के आगमन और प्रस्थान
हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा विशेष स्थान रखती है, खासकर नवरात्रि के दौरान। मान्यता है कि देवी दुर्गा अपने भक्तों के बीच विभिन्न वाहनों पर सवार होकर आती हैं और प्रस्थान करती हैं। इन वाहनों का चुनाव देवी की कृपा और पृथ्वी पर होने वाली घटनाओं के संकेतों से जुड़ा होता है। देवी का आगमन और गमन, दोनों ही राष्ट्र के सुख-दुख और समृद्धि के सूचक माने जाते हैं। विभिन्न शास्त्रों में खासतौर पर देवी पुराण में, इन संकेतों का उल्लेख विस्तृत रूप से किया गया है।
आगमन
देवी पुराण में वर्णित है:
“शशि सूर्य गजरुढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता।।”
इस श्लोक के अनुसार, भगवती दुर्गा के आगमन के दिन और उनकी सवारी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
रविवार और सोमवार को देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं, जिससे वर्षा और समृद्धि का संकेत मिलता है।
शनिवार और मंगलवार को वह घोड़े पर आती हैं, जो युद्ध और संघर्ष की संभावनाओं का संकेत होता है।
शुक्रवार को देवी डोला (पालकी) पर आती हैं, जो इस बात का सूचक है कि उस वर्ष में कई लोगों की मृत्यु हो सकती है।
बुधवार को देवी नाव पर सवार होकर आती हैं, जो कार्यों में सफलता का प्रतीक है।
गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे।
नौकायां कार्यसिद्धिस्यात् दोलयो मरणध्रुवम।।
अर्थात, देवी का हाथी पर आगमन होने पर अच्छी वर्षा और खुशहाली होती है। यदि वह घोड़े पर आती हैं, तो राजाओं के बीच युद्ध और हिंसा की स्थिति बनती है। नाव पर आगमन से सारे कार्य सफल होते हैं, जबकि डोले पर आगमन का मतलब होता है कि उस वर्ष में कई लोगों की मृत्यु होगी।
गमन
देवी दुर्गा का प्रस्थान भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना उनका आगमन। विभिन्न शास्त्रों में यह बताया गया है कि किस दिन कौन सी सवारी से देवी का प्रस्थान क्या संकेत देता है:
“शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा,
शनिभौम दिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।
बुध शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा,
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा।।“
यदि देवी रविवार और सोमवार को भैंसे (महिष) की सवारी से प्रस्थान करती हैं, तो यह देश में रोग और शोक की वृद्धि का सूचक होता है।
शनिवार और मंगलवार को देवी पैदल प्रस्थान करती हैं, जिससे विकलता और कष्ट की वृद्धि होती है।
बुध और शुक्र को देवी हाथी पर सवार होकर जाती हैं, जो अच्छी वर्षा और समृद्धि का संकेत होता है।
गुरुवार को मनुष्य की सवारी से देवी का प्रस्थान, सुख और सौख्य की वृद्धि का प्रतीक है।
निष्कर्ष
नवरात्रि का समय देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद का होता है, लेकिन इस बार देवी का पालकी में आगमन और मुर्गे पर प्रस्थान भविष्य के लिए कुछ चुनौतियों का संकेत दे रहा है। भक्तों को इस समय में विशेष पूजा-अर्चना, दान और समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने के प्रयासों पर जोर देना चाहिए। देवी दुर्गा की सवारी का यह संकेत हमें बताता है कि आने वाला समय हमारे लिए परीक्षा का हो सकता है और हमें अपने कर्मों और व्यवहार में शांति, संयम और धैर्य को अपनाना चाहिए।