Surya Grahan 2024: ऋग्वेद में सूर्यग्रहण का वर्णन और महर्षि अत्रि का योगदान (Description of solar eclipse in Rigveda and contribution of Maharishi Atri)
साल का अंतिम सूर्यग्रहण 2 अक्टूबर, बुधवार को होगा। सूर्यग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जिसका आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से गहरा महत्व है। शास्त्रों और पुराणों में सूर्यग्रहण से संबंधित कई घटनाओं और धार्मिक मान्यताओं का उल्लेख किया गया है, जो इस घटना के महत्व को स्पष्ट करते हैं।
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Surya Grahan 2024: ऋग्वेद में सूर्यग्रहण का वर्णन और महर्षि अत्रि का योगदान
ऋग्वेद में सूर्यग्रहण (solar eclipse in rigveda)
ऋग्वेद में सूर्यग्रहण का वर्णन मिलता है, जहां महर्षि अत्रि को ग्रहण के ज्ञान देने वाले पहले आचार्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। ऋग्वेद के एक मन्त्र में सूर्यग्रहण की चमत्कारी घटना का वर्णन किया गया है:
“हे सूर्य! असुर राहु ने आप पर आक्रमण कर अंधकार से आपको ढक दिया, जिससे मनुष्य आपके रूप को पूरी तरह से देख नहीं पाए और हतप्रभ हो गए। तब महर्षि अत्रि ने अपनी विद्या की सामर्थ्य से छाया को दूर कर सूर्य का उद्धार किया।”
पुराणों में सूर्यग्रहण (Solar eclipse in Puranas)
मत्स्य पुराण के अनुसार, सूर्यग्रहण का संबंध राहु और केतु की कथा से है। स्वरभानु नामक राक्षस ने अमृत पीने की लालसा में सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर रूप बदल लिया। भगवान विष्णु ने उसे पहचान लिया, लेकिन तब तक स्वरभानु अमृत पी चुका था। भगवान विष्णु ने अपनी सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन अमृत पीने के कारण वह मरकर भी जीवित रहा। उसके सिर को राहु और धड़ को केतु कहा गया। इस कथा के अनुसार जब भी सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे के करीब आते हैं, राहु और केतु के प्रभाव से ग्रहण लगता है।
Surya Grahan 2024: ऋग्वेद में सूर्यग्रहण का वर्णन और महर्षि अत्रि का योगदान
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Surya Grahan 2024: ऋग्वेद में सूर्यग्रहण का वर्णन और महर्षि अत्रि का योगदान
महाभारत में सूर्यग्रहण (solar eclipse in mahabharata)
महाभारत युद्ध की शुरुआत और अंत दोनों ही सूर्यग्रहण के समय हुए थे। युद्ध के बीच में भी एक सूर्यग्रहण हुआ था। अर्जुन ने प्रतिज्ञा की थी कि वह सूर्यास्त से पहले जयद्रथ को मार देंगे, वरना अग्निसमाधि ले लेंगे। कौरवों ने जयद्रथ को बचाने के लिए सुरक्षा घेरा बना लिया था, लेकिन सूर्यग्रहण के कारण अंधेरा हो गया। इसी अंधेरे में जयद्रथ अर्जुन के सामने आया और सूर्यास्त होने की बात कहने लगा। जैसे ही ग्रहण समाप्त हुआ और सूर्य चमकने लगा, अर्जुन ने जयद्रथ का वध कर दिया।
सूर्यग्रहण का ज्योतिषीय महत्व (Astrological importance of solar eclipse)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक साल में तीन या उससे अधिक ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता। ऐसा होने पर प्राकृतिक आपदाओं और सत्ता परिवर्तन की आशंका होती है। ग्रहण के समय देश के लोगों को नुकसान होता है, बीमारियां बढ़ती हैं और देश की आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव आते हैं।
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सूर्यग्रहण का वैज्ञानिक पहलू (Scientific aspect of solar eclipse)
विज्ञान के अनुसार, सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा अपनी कक्षा में घूमते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो सूर्य की चमकती रोशनी चंद्रमा के कारण ढक जाती है। इस प्रकार सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से ढक जाता है, जिसे सूर्यग्रहण कहा जाता है।
Surya Grahan 2024: ऋग्वेद में सूर्यग्रहण का वर्णन और महर्षि अत्रि का योगदान
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