वर्तमान समय में किसी भी मनुष्य ने भगवान को नहीं देखा है। इसके वावजूद आज भी लोग उनकी पूजा आराधना करते हैं और उन्हें और उनकी महान शक्तियों को आज भी पूर्ण रूप से महत्व देते हैं। यही विचारधारा प्रेत या आत्मा के बारे में कही जाये तो लोग दो विचारों में बट जाते हैं जिन्होने भूत प्रेत को महसूस किया है तथा जिनको इनसे संबंधित कोई परेशानी हुई है वह भूत-प्रेत पर विश्वास करते हैं और जिन्होने इससे संबंधित कोई परेशानी न झेली हो वह इसे अंधविश्वास या भ्रम की स्थिति मानते हैं। आज हम ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी द्वारा जानेंगे कि क्या होता प्रेत-दोष बाधा तथा इससे मुक्ति पाने के उपाय –
इस आधुनिक युग में मानव ने कई आधुनिक तरीके से यह साबित किया है कि कुछ अदृश्य आत्माएं होती है जिन्हें पैरानाॅर्मल क्रियाओं के रूप में जानते हैं। ये आत्माएं मनुष्यों के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति कमजोर हो जाती है। स्वास्थ्य को लेकर समस्याएं इतनी बढ़ जाती है कि कई बार मृत्यु का सामना करना पड़ता है।
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क्या है प्रेत दोष
जब किसी मनुष्य के शरीर में किसी भूत या प्रेत के साये पड़ जाते है तो इस परिस्थिति को प्रेत दोष कहते हैं। इस प्रभाव से व्यक्ति कई बार अपना मानसिक संतुलन खो देता है। प्रेत दोष की परेशानियाँ केवल जातक को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को परेशान करती हैं। ये आत्माएं जातक के अन्दर इतना भय उत्पन्न कर देती हैं कि जातक उनके द्वारा बताया गया सभी काम करने लगता है और किसी पर विश्वास नही करता है तथा स्वयं की जान भी ले लेता है। उसके जीवन में चारों ओर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है। इस योग के प्रभाव से जातक असहनीय दर्द का सामना करता है। यदि सही समय पर इसका उपचार नहीं किया जाता है तो इसका परिणाम बहुत भयावाह होता है।
प्रेत दोष का प्रभाव कैसे जाने
☸ मानसिक तौर पर संतुलन खो देना ।
☸ नकारात्मक ऊर्जा की तरफ अधिक आकर्षित होना।
☸ अपने परिवार के सदस्यों को चोट पहुंचाना।
☸सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा अजीब व्यवहार करना।
☸ अधिक प्रभावशाली एवं हिसंक हो जाना।
☸ अपने नियन्त्रण से बाहर हो जाना तथा लोगों के प्रयासों के बावजूद नियंत्रण में न आना ।
☸ कठोर एवं असभ्य स्वभाव
☸अधिक तेजी से लम्बी-लम्बी साँस लेना।
☸भूख एवं प्यास न लगना।
☸स्वयं को हानि पहुंचाने की कोशिश करते रहना।
वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुण्डली में प्रेत बाधा है कैसे जाने
☸यदि किसी जातक की कुण्डली में शनि, राहु एवं केतु या मंगल में से कोई भी ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे लोग भूत-प्रेत बाधा अथवा पिशाच या ऊपरी हवा के शिकार हो जाते है।
☸ जब कुण्डली के लग्न भाव में चन्द्रमा के साथ राहु विराजमान हो एवं पंचम और नवम में कोई क्रूर ग्रह विराजमान हो तो जातक पिशाच, भूत-प्रेत के वश में हो जाता है इसके अलावा गोचर के दौरान प्रेत दोष से अधिक पीड़ित होने की सम्भावना रहती है।
☸यदि जब किसी जातक की कुण्डली में मंगल-शनि राहु की युति हो तो उसे भी ऊपरी बाधा, भूत, प्रेत का सामना करना पड़ता है।
☸ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब राहु की महादशा में चन्द्रमा की अंतर्दशा हो और चन्द्रमा दशापति राहु से 6, 8, 12 वें भाव कमजोर हो तो प्रेत दोष की समस्या बन सकती है।
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प्रेत दोष के उपाय अवश्य करें
☸ यदि आप प्रेत दोष की परेशानी से पीड़ित है तो अपने कमरे में हनुमान जी, दुर्गा माता या काली माता की तस्वीर लगाएं।
☸ गंगाजल का छिड़काव करे एवं अगरबत्ती या धूप जलाएं
☸प्रेमात्मा से कभी भी बुरा बर्ताव न करें तथा उन्हे अपशब्द न कहें।
☸घर के बड़े बुजुर्गों को अनजाने में किये गये अपराधों के लिए भूत-प्रेत से क्षमा मांगनी चाहिए
☸ अपने गले में रूद्राक्ष की माला धारण करें।
☸प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें
☸ अपने घर के मुख्य द्वार (Main Gate) पर सफेद रंग का पौधा लगाएं जो जातक प्रेत दोष से परेशान हो उनको बिना बताये उनके सिराहने चाकू, छूरा या हनुमान चालीसा रख दें।
☸ भगवान शिव की आराधना करें तथा घर में तुलसी, केला या धतुरा व शमी का वृक्ष लगाएं।
☸ प्रत्येक दिन पूजा घर में देशी घी का दीपक जलाएं और एक कलश में जल भरकर रखें।
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