ज्योतिषाचार्य के. एम. सिन्हा जी के अनुसार स्वतंत्र भारत की कुण्डली का विश्लेषणः
भारत नें 14-15 अगस्त 1947 को मध्यरात्रि में स्वतंत्रता प्राप्त की थी और इस समय की कुण्डली के अनुसार, चन्द्रमा कर्क राशि में पुष्य नक्षत्र के पहले चरण में स्थित था। यह समय देश के लिए ऐतिहासिक था और अब हम इस कुण्डली के आधार पर भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करेंगे।
वर्तमान समय में, 16 अक्टूबर 2024 से 16 अक्टूबर 2031 तक मंगल की महादशा चलेगी। इस अवधि में 13 मार्च 2025 तक मंगल में मंगल की अन्तरदशा रहेगी और उसके बाद 1 अप्रैल 2026 तक मंगल में राहु की अन्तरदशा शुरू होगी। इन दोनों दशाओं में भारत के लिए उतनी शुभता नहीं दिखती। राजनीतिक दृृष्टि से यह समय गठबंधन और सत्ता के बदलावों से भरा रहेगा। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच गठबन्धन बनते-बिगड़ते रहेंगे।
वहीं, वैश्विक स्तर पर भारत अपनी स्थिति मजबूत करता नजर आएगा, लेकिन आंतरिक परिस्थितियाँ संतोषजनक नहीं रहेंगी। सत्ता पक्ष मजबूत रहेगा, परन्तु सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता बनी रह सकती है। शिक्षा क्षेत्र में प्रगति देखने को मिलेगी, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर देश को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिससे आर्थिक हानि की संभावना भी है।
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प्राकृृतिक आपदाओं और कृृषि संकट के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड में राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है और इन राज्यों में सरकारों को कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ सकता है। वर्ष के अंत में किसी बड़ी दुर्घटना या सीमा पर छोटे संघर्षों का भी अंदेशा रहेगा।
मनोरंजन क्षेत्र, शिक्षा और शेयर बाजार में कुछ सुधार होने की संभावना है, लेकिन महंगाई में वृद्धि, विशेष रूप से 1980 के दशक के आसपास, भारत को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, असम और पंजाब में अपराधों में बढ़ोत्त्तरी की आशंका है।
कुल मिलाकर, भारत के भविष्य में मिश्रित घटनाएँ और चुनौतियाँ बनी रहेंगी, जिनसे राष्ट्रीय स्थिति प्रभावित हो सकती है।