माणिकः- कुंभ लग्न के जातकों की कुण्डली मे सूर्य सप्तम भाव का मालिक होकर मारकेश भी है तथा लग्नेश शनि का शत्रु भी है। इसलिए कुंभ लग्न के जातकों माणिक नही धारण करना चाहिए नही तो आपको हानि का सामना करना पड़ सकता है।
मोतीः- कुंभ लग्न मे चन्द्रमा अष्टम भाव का मालिक होता है। साथ ही लग्नेश शनि का शत्रु भी है। अतः इस लग्न के जातकों को कभी भी मोती नही धारण करना चाहिए।
मूंगाः- कुंभ लग्न के जातकों की कुण्डली मे मंगल तृतीय एवं दशम भाव का स्वामी होता है। यदि मंगल दसवे भाव मे ही उपस्थित हो अर्थात दसवे भाव मे स्वराशि मे हो तो मंगल की महादशा में मूंगा धारण कर सकते है। इससे आपको प्रशासन द्वारा लाभ प्राप्त होगा एवं कार्य-व्यवसाय मे भी सफलता मिलेगी। अन्यथा आपको मूंगा धारण नही करना चाहिए।
पन्नाः- कुंभ लग्न के जातकों की कुण्डली मे बुध पंचम त्रिकोण औैर अष्टम भाव का स्वामी होता है। त्रिकोण का स्वामी होने के कारण यह ग्रह इस लग्न के लिए शुभ माना जाता है। यदि पन्ने को हीरा के साथ धारण किया जाए तो अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होगा।
पुखराजः- कुंभ लग्न के जातकों की कुण्डली मे बृहस्पति द्वितीय भाव और एकादश भाव का मालिक होता है। लग्नेश शनि का शत्रु भी है। इसके बावजूद भी बृहस्पति की दशा मे पुखराज धारण करने से लाभ की प्राप्ति होगी। द्वितीय भाव का होने के कारण मारकेश भी होता है।
हीराः- कुंभ लग्न के जातकों की कुण्डली में शुक्र चतुर्थ एवं नवम भाव का स्वामी होता है। शुक्र यहाँ योगकारक भी है। शुक्र की महादशा मे हीरा धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होगा। नीलम के साथ हीरा धारण करने से सर्वश्रेष्ठ फल की प्राप्ति होगी।
नीलमः- कुंभ लग्न के जातकों की कुण्डली मे शनि बारहवें एवं लग्न भाव का मालिक होता है। अतः कुंभ लग्न के जातकों के लिए नीलम शुभ है।
नोटः- यह रत्नों को पहनने का एक सामान्य परिचय दिया गया है इसलिए कोई भी रत्न कुण्डली के विश्लेषण के पश्चात ही पहने ।