रत्न धारण ज्योतिषीय आधार मीन लग्न के लिए

माणिकः- मीन लग्न के जातकों की कुण्डली मे सूर्य छठवे भाव का स्वामी होता है तथा लग्नेश का मित्र भी है। यदि छठवें भाव मे सूर्य स्वगृही हो तो सूर्य की महादशा मे माणिक धारण कर सकते है।

मोतीः- मीन लग्न के जातकों की कुण्डली में चन्द्रमा पंचम भाव का मालिक होता है। साथ ही पंचम त्रिकोण का स्वामी भी है। मोती धारण करने से संतान का सुख मिलेगा, ज्ञान मे वृद्धि होगी समाज मे आपका मान सम्मान बढ़ेगा। मोती धारण करने से आपके भाग्य मे वृद्धि होगी। चन्द्रमा की महादशा में मोती धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होगा।

मूंगाः- मीन लग्न के जातकों की कुण्डली में मूंगा द्वितीय एवं नवम भाव का मालिक होता है। मीन लग्न के लिए मंगल ग्रह को अत्यन्त शुभ ग्रह माना जाता है। मूंगा धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस लग्न के जातकों को मूंगा के साथ मोती या पीला पुखराज धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होगा।

पन्नाः- मीन लग्न के जातकों की कुण्डली में बुध चतुर्थ एवं सप्तम भाव का मालिक होता है। तथा केन्द्राधिपति दोष से दूषित भी है। पन्ना धारण करने से विशेष लाभ नही प्राप्त होगा।

पुखराजः- मीन लग्न के जातकों की कुण्डली मे बृहस्पति लग्न एवं दशम भाव का मालिक होता है। इस लग्न के जातक को पीला पुखराज धारण करने से लाभ प्राप्त होगा। बृहस्पति की महादशा में पुखराज धारण करने से विशेष रुप से लाभ मिलेगा।

हीराः- मीन लग्न के लिए शुक्र तृतीय एवं अष्टम भाव का स्वामी होता है। इस लग्न के लिए शुक्र शुभ नही माना जाता है। इसलिए मीन लग्न के जातकों को हीरा नही धारण करना चाहिए।

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नीलमः- मीन लग्न के जातकों की कुण्डली मे शनि एकादश एवं द्वादश भाव का मालिक होगा। शनि को इस लग्न के लिए अशुभ ग्रह माना जाता है। तथा लग्नेश बृहस्पति का शत्रु भी है। लेकिन शनि एकादश भाव का मालिक होकर द्वितीय, चतुर्थ एवं पंचम भाव मे उपस्थित हो तो शनि की महादशा में नीलम धारण करने से लाभ प्राप्त कर सकते है अन्यथा नीलम धारण न करें।

नोटः- यह रत्नों को पहनने का एक सामान्य परिचय दिया गया है इसलिए कोई भी रत्न कुण्डली के विश्लेषण के पश्चात ही पहने ।

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