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षटतिला एकादशी जनवरी 2023

Varuthini Ekadashi 2023

एकादशी कई प्रकार की होती है उसमें से एक महत्वपूर्ण षटतिला एकादशी है, षटतिला एकादशी के दिन श्रद्धालु विष्णु जी की आराधना और स्तुति करते हैं, इस एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य को भगवान विष्णु की परम कृपा की प्राप्ति होती है। इस व्रत में तिल का बहुत अधिक महत्व है इसलिए इसे ‘षटतिला एकादशी’ का नाम दिया गया है। माघ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी का व्रत किया जाता है। पद्य पुराण में बताया गया है कि जो लोग षटतिला एकादशी का व्रत करते है, दान-तर्पण और विधि-विधान से पूजा करते है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा उनके सभी पापों का अंत हो जाता है।

षटतिला एकादशी व्रत कथाः-

पद्य पुराण में बताया गया है कि एक स्त्री भगवान विष्णु की परम भक्त थी तथा वह भगवान विष्णु की व्रत पूजा पूरे मन और श्रद्धा से करती थी लेकिन उसने कभी भी अन्न का दान नही किया था और जब वह स्त्री मोक्ष के बाद बैकुण्ठ गई तब उसे एक खाली कुटिया मिली, उस स्त्री ने बैकुण्ठ में भगवान से पूछा कि मुझे केवल खाली कुटिया ही मिला है क्यों तब भगवान विष्णु ने बताया कि तुमने कभी कुछ दान नही किया है इसलिए तुम्हें खाली कुटिया प्राप्त हुआ है, भगवान ने उस स्त्री को यह भी बताया कि उन्होंने उसके उद्धार के लिए एक बार उस स्त्री के पास भिक्षा मांगने गये थे तब उसने भगवान हरि को मिट्टी का एक ढेला पकड़ा दिया जिसका उसको यह परिणाम मिला था। भगवान विष्णु ने उस स्त्री को षटतिला व्रत करने का सलाह दिया भगवान हरि के सलाहनुसार उस स्त्री ने षटतिला एकादशी का व्रत आदि किया जिससे उसकी कुटिया अन्न-धन से भर गई और वह अपना जीवन बैकुण्ठ में सुखी पूर्वक बिताने लगी।

षटतिला एकादशी का महत्वः-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जितना पुण्य कन्यादान, हजारो वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से प्राप्त होता है उससे अधिक पुण्य केवल एक षटतिला एकादशी करने से मिल जाता है, षटतिला एकादशी का व्रत करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है, मृत्य के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। षटतिला एकादशी के दिन तिल का प्रयोग 6 प्रकार से किया जाता है। पहले तिल मिश्रित जल से स्नान, दुसरा तिल के तेल से मालिश, तीसरा तिल से हवन, चौथा तिल वाले पानी का सेवन, पांचवा तिल का दान और छठवां तिल से बने खाद्य-पदार्थों का सेवन।

षटतिला एकादशी व्रत के नियमः-

☸ एकादशी व्रत करने वाले भक्तों को एकादशी के दिन बैंगन और चावल का सेवन नही करना चाहिए।
☸ षटतिला एकादशी का व्रत रखने से एक दिन पूर्व ही व्रती को मांसाहार भोजन नही करना चाहिए तथा लहसुन और प्याज से बनें भोजन का सेवन भी नही करना चाहिए।
☸ षटतिला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा में पीली वस्तुओं का भोग लगाएं और पीली वस्तुओं से बनी खाद्य पदार्थों को अर्पित करें।
☸ षटतिला एकादशी को गंगा स्नान करने के पश्चात गरीबों को कम्बल दान करें।
☸ षटतिला एकादशी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को तिल का उबटन नही लगाना चाहिए।
☸ इस दिन भगवान विष्णु जी को तिल से बनी वस्तुओं से ही भोग लगाएं।
☸ षटतिला एकादशी के दिन तिल का हवन और तिल का दान करने का विधान है।
☸ एकादशी के दिन पूजा के समय षटतिला एकादशी व्रत कथा अवश्य सुनें।
☸ एकादशी के दिन तुलसी जी को जल अर्पित नही करना चाहिए और ना ही उन्हें स्पर्श करना चाहिए।
☸ एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए।
☸ इस दिन लकड़ी का दातुन नही करना चाहिए। आप नीम्बू, आम या जामुन के पत्तें चबाकर कुल्ला कर सकते है।
☸ एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करें।

षटतिला एकादशी पूजा विधिः-

☸ सर्वप्रथम प्रातःकाल स्वच्छ होने के बाद जल में गंगाजल और तिल डालकर स्नान करें और भगवान नारायण का ध्यान करें।
☸ रोली, चंदन, अक्षत, पीले फूल और मिठाई भगवान को अर्पित करें।
☸ धूप-दीप आदि से भगवान हरि की आरती करें।
☸ तत्पश्चात दीपदान करें।
☸ इस दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
☸तत्पश्चात श्री कृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए भगवान को विधिपूर्वक पूजकर अर्घ प्रदान करें।

अर्घ का मंत्रः-

कृष्ण कृष्ण कृपालुस्त्वमगतीनां गतिर्भव।
संसाशर्णवमग्नानां प्रसीद पुरुषोत्तम ।।
नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते विश्वभावन ।
सुब्रहाण्य नमोऽस्तुते महापुरुष पूर्वज ।।
गृहाणाध्र्य मया दतं लक्ष्म्या सह जगत्पते ।।

षटतिला एकादशी 2023 शुभ तिथि एवं मुहूर्तः-

एकादशी तिथि प्रारम्भः- 17 जनवरी 2023 को सायं 06 बजकर 05 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्तः- 18 जनवरी 2023 को सायं 04 बजकर 03 मिनट पर
2023 में षटतिला एकादशी 18 जनवरी, बुधवार को मनाया जायेगा।

 

 

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