14 सितम्बर हिन्दी दिवस की कुछ खास बातें

भारत देश में प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस देश के हर क्षेत्र में हिन्दी को प्रसारित करने के लिए वर्ष 1953 से प्रति वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाने लगा। हिन्दी दिवस को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए केवल एक बार ही नही बल्कि हिन्दी दिवस प्रतिवर्ष 2 बार मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी भाषा को देवनागरी लिपि में एक अधिकारिक भाषा के रूप में घोषित किया गया था इसके अलावा पूरे विश्व में 10 जनवरी को भी हिन्दी दिवस के रूप से मनाया जाता है।

10 जनवरी और 14 जनवरी के हिन्दी दिवस का इतिहास

10 जनवरी को मनाये जाने वाले हिन्दी दिवस की इतिहास के बारें में बात करे तो सबसे पहला हिन्दी दिवस सम्मेलन 10 जनवरी 1974 ई0 को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित किया गया था। इस दिन का हिन्दी दिवस सम्मेलन पूरे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का था। जिसमें पूरे 30 देशों के लगभग 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थें। वास्तव में इस दिन मनाये जाने वाले हिन्दी दिवस का उद्देश्य भी पूरे विश्व मे हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार ही करना था। अतः उसी दिन से प्रति वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है।

14 सितम्बर हिन्दी दिवस के इतिहास की बात करें तो केवल भारत देश में हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को मनाया जाता है। हिन्दी दिवस मनाने की परम्परा आजादी के तुरंत बाद से ही हो गई। इसके अलावा 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा के द्वारा देवनागरी लिपि में हिन्दी को भारत की एक अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया, उसके बाद ही हमारे तत्काली प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के द्वारा पूर्ण रूप से 14 सितंबर को ही हिन्दी दिवस के तौर पर मनाने का एलान कर दिया गया। उसी समय से प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाने लगा।

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क्यों मनाया जाता है हिन्दी दिवस

14 सितंबर हिन्दी दिवस के दिन ही एक बहुत ही महान साहित्यकार राजेन्द्र सिंह का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। उन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत संघर्ष किया था इसलिए इस दिन को भी हिन्दी दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाने लगा। आपको बता दें हिन्दी भाषा को एक विशेष दर्जा दिलवाने में हिन्दी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण लोगों का अत्यधिक योगदान रहा है जिसमें गोविंद दस, हजारीप्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर और मैथिलीशरण गुप्त का भी अहम योगदान था। वर्ष 1918 में महात्मा गाँधी जी ने हिन्दी भाषा को ध्यान में रखते हुए हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दौरान हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने का आदेश दिया।

हिन्दी दिवस का महत्व

हिन्दी दिवस हिन्दी भाषा के महत्वों को पहचानने तथा आधुनिक युग में युवा पीढ़ी को इस भाषा का अत्यधिक उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस पूरी दुनियाभर में लगभग 120 मिलियन लोग दूसरी भाषा के रूप में हिन्दी का प्रयोग करते है इसके अलावा 420 मिलियन से भी अधिक लोग हिन्दी भाषा को एक मातृभाषा के रूप में बोलते हैं।

हिन्दी भाषा तथा साहित्य का सम्मान करने और हिन्दी भाषा के प्रति सम्मान दिखाने के लिए इस दिन देश भर में कई सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया जाता है साथ ही सभी विभागों, मंत्रालयों, सार्वजनिक उपक्रमों तथा राष्ट्रीयकृत बैंकों में हिन्दी भाषा के प्रति योगदान के लिए राजभाषा कीर्ति और राजभाषा गौरव जैसे पुरस्कार भी दिये जाते हैं।

हिन्दी भाषा देश की पहली और विश्व की तीसरी ऐसी भाषा है जिसे सबसे ज्यादा बोला जाता है भारत में 70 फीसदी से भी अधिक लोग वर्तमान समय में हिन्दी भाषा का प्रयोग करते हैं।

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हिन्दी भाषा तथा हिन्दी दिवस के कुछ विशेष तथ्य

☸ वर्ष 1947 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे गर्व के साथ हमारे देश की हिन्दी भाषा के प्रति सम्मान दिखाते हुए अमेरिका में हिन्दी भाषा में ही बहुत ही अच्छे विचार और भाषण प्रस्तुत किया था।

☸ 26 जनवरी 1950 को संसद के अनुच्छेद 343 के तहत हिन्दी भाषा को एक प्राथमिक भाषा तथा राजभाषा का दर्जा दिया गया था।

☸ इसके अलावा वर्ष 2009 में गूगल ने अपने सर्च इंजन मे राष्ट्रभाषा हिन्दी की शुरुआत की थी।

☸ हिंदी भाषा की सबसे पहली कविता एक महान कवि अमीर खुसरो ने लिखी थी इनके बारे में सबसे विशेष बात यह है कि हिंदी भाषा में पुस्तक पर इतिहास लिखने वाला सबसे पहला लेखक कोई हिन्दू भारतीय नही बल्कि एक फ्रांसीसी लेखक Grasim the Taisi था ।

☸ हिन्दी भाषा में सबसे पहली फिल्म हरिशचंद्र थी।

☸ ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हिन्दी भाषा में सर्वप्रथम अच्छा और सूर्य नमस्कार जैसे कई हिन्दी भाषा के शब्दों को शामिल किया गया।

☸ भारत देश में हिन्दी भाषा को समझे जाने के अलावा माॅरीशस, नेपाल, सूरीनाम, त्रिनिनाद, तिब्बत, फिजी, फिलीपींस तथा पाकिस्तान जैसे देशो मैं भी हिन्दी भाषा पूर्ण रूप से बोली और समझी जाती है।

☸ 11 वीं शताब्दी की शुरुआत में सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा की ही हिन्दी नाम दिया गया। हिन्दी का नाम फारसी शब्द हिंद से लिया गया है।