बुध की महादशाः–
यदि बुध कारक ग्रह होकर अपनी उच्च राशि मूल त्रिकोण राशि स्वराशि या मित्र राशि का होकर केन्द्र अथवा त्रिकोण में हो तो बुध की दशा जातक के लिए आनन्ददायक रहती है। उसे अनेक प्रकार की भोग सामग्री की प्राप्ति होती है। वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है बुध की महादशा जातक के जीवन की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसके साथ ही यह वाणी का कारक है जैसा की आप सब जानते है कि जीवन में जातकों को वाणी व बुद्धि से ही सफलता मिलती है और दोनो ही एक दूसरे के पूरक है। इस लेख मे हम बुध महादशा क्या है ? यह कितने वर्ष का होता है ? आइये हम जानते है बुध की महादशा के बारे में।
वैदिक ज्योतिष में बुध की महादशाः-
बुध की महादशा 17 साल तक की होती है। इस अवधि के दौरान देशी रचनात्मकता, बुद्धिमत्ता, प्रबंधन, कौशल, संचार, भाषण इत्यादि के स्तर में बदलाव देखने को मिलता है। यह अवधि आमतौर पर करियर, मुनाफे, प्रगतिशील विचारों और बेहतर लेखन क्षमता मे प्रगति लाती है। ऐसे जातक ट्रेडिग, एंकारिंग, अकाउंटेंसी, पाॅलीटिक्स, बैंकिग और टीचिंग के लोग इस दौरान बहुत अच्छा करते है और छात्रों के लिए यह राजनीति विज्ञान, कूटनीति और वाणिज्य का अध्ययन करने के लिए एक अनुकूल समय रहता है। पारिवारिक मामलों में जातक शांति महसूस करता है।
बुध के कुप्रभाव से बचने के उपायः-
यदि किसी जातक के महादशा में बुध खराब हो जाता है तो जातक को निम्न उपाय करने चाहिए जिसकी उचित फल की प्राप्ति हो सकें।
☸ गणेश जी और माँ दुर्गा की उपासना करें।
☸ स्त्रियाँ नाक छिदवाएँ।
☸ महिलाओं से सौम्य व्यवहार रखें।
☸ बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाएँ
☸ हरी वस्तु या हरी दाल का बुधवार के दिन दान अवश्य करें।
☸ गाय का प्रतिदिन हरी घास अथवा रोटी अवश्य खिलाएँ
बुध की महादशा के शुभ फलः–
☸बुध की महादशा के जातक को अनेक प्रकार के शुभ फल की प्राप्ति होती है।
☸बुध की महादशा में जातक सेना अथवा पुलिस मे कर्मचारी हो तो इन दिनों पदोन्नति पा लेता है। ☸यदि बुध सूर्य से प्रभावित हो तो जातक को राज्य की आर से सम्मान प्राप्त होता है। जातक देश-विदेश में अपना व्यवसाय फैला देता है। मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
☸ राजकीय सम्मान पाकर कीर्ति अर्जित कर लेता है।
☸ बन्धु-बान्धवों से भी उसे सहयोग एवं सुख मिलता है।
☸ आय स्थान मे हो तो जातक को मानसिक शान्ति प्राप्त होती है।
☸आय के एक से अधिक साधन बनते है।
☸ उच्च वाहन एवं उत्तम वस्त्राभूषण प्राप्त होते है।
बुध की महादशा के अशुभ फलः-
यदि बुध अकारक होकर नीच राशि शत्रु राशि अथवा पाप मध्यत्व में हो और वक्री हो या उच्च का होकर नीच नवांश मे हो तो अतीव अशुभ फल देता है। जातक के धन-धान्य का नाश होता है तथा उसे दरिद्रता में समय व्यतीत करना पड़ता है।
☸ मानसिक चिन्ताएं जातक को पीड़ा देती है।
☸ अपने उच्चाधिकारियों से मतभेद बढ़ते है।
☸ राज्य कर्मचारियों से द्वेष रखने के कारण उसे हानि उठानी पड़ती है।
☸ यदि बुध पापी ग्रह से युक्त अथवा दृष्ट होकर निर्बल हो तो कृषि कार्य में हानि तथा विद्या के क्षेत्र मे उन्नति होती है।
☸ मन में अस्थिरता बढ़ती है तथा मस्तिष्क विकार होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
नोट- यहाँ पर हमने केवल बुध की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ-अशुभ फलों की संभावना मात्रा व्यक्त की है। किसी भी उपाय को अपनाने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से अपनी कुण्डली का विश्लेषण अवश्य करा लें।