ग्रहों के गोचर 2025 की प्रत्येक माह की सम्पूर्ण स्थितियाँ

ग्रहों के गोचर 2025 की प्रत्येक माह की सम्पूर्ण स्थितियाँ

ग्रहों के गोचर 2025 की सम्पूर्ण जानकारी:

ग्रहों के गोचर 2025 का ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। जब कोई ग्रह अपनी वर्तमान राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो इसे गोचर कहते हैं। ज्योतिष में इसे ग्रहों का राशि परिवर्तन भी कहा जाता है। यह व्यक्ति के जीवन के हर पहलू पर, जैसे करियर, स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन और वित्तीय स्थिति, गहरा प्रभाव डालता है।

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ग्रहों का गोचर 2025 में सभी ग्रहों की स्थिति और उनके परिवर्तन पर विस्तृत चर्चा इस ब्लॉग में की गई है।

वर्ष 2025 में होने वाले ग्रहों के गोचर की सम्पूर्ण स्थितियाँ

ग्रहों के गोचर 2025 में सूर्य के गोचर की स्थितिः

वर्ष 2025 में होने वाले गोचर में, सूर्य के गोचर का मतलब है सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। जब सूर्य अपनी राशि बदलता है, तो इसे सूर्य संक्रांति कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य एक राशि में लगभग एक महीने तक रहते हैं और इस दौरान वह उस राशि के विभिन्न भावों को प्रभावित करते हैं। सूर्य का स्वामित्व सिंह राशि पर होता है, जो कि एक महत्वपूर्ण तथ्य है।

वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना गया है। व्यक्ति की आत्मशक्ति और आत्मबल का मूल्यांकन सूर्य की स्थिति से किया जाता है। सूर्य अग्नि तत्व, क्षत्रिय वर्ण, और लाल रंग का प्रतीक होता है और वह पूर्व दिशा के स्वामी माने जाते हैं। सूर्य मेष राशि में उच्च स्थिति में होते हैं, जबकि तुला राशि में उनकी स्थिति नीच मानी जाती है। सूर्य के मित्र ग्रह हैं चंद्रमा, मंगल और गुरु, जबकि उनके शत्रु ग्रहों में शुक्र, शनि और राहु-केतु आते हैं। बुध के साथ सूर्य का संबंध समभाव का होता है।

हिंदू धर्म में सूर्य देव को जगत पिता कहा जाता है और उन्हें अत्यधिक शक्ति और ऊर्जा से परिपूर्ण ग्रह माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, सूर्य देव व्यक्ति को कार्यों में सफलता और उच्च स्थान प्राप्त करने में मदद करते हैं। जब सूर्य राशि परिवर्तन करते हैं, तो इसका प्रभाव सभी राशियों पर गहरा पड़ता है और यह व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। सूर्य का गोचर वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण होता है। यह ग्रह जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डालता है।

सूर्य के राशि परिवर्तन की अवधि और उसके प्रभावः

सूर्य का राशि परिवर्तन लगभग एक महीने की अवधि में होता है। आपको बता दें, सूर्य किसी एक राशि में 30 दिनों तक रहता है। इस दौरान सूर्य हर राशि के भावों को प्रभावित करता है, जिससे जीवन के विभिन्न पहलुओं में परिवर्तन आता है। सूर्य का राशि परिवर्तन व्यक्ति के आत्मबल, सफलता और उन्नति पर बहुत गहरा प्रभाव डालता है।

ग्रहों का गोचर 2025 में सूर्य के गोचर करने की तिथियाँ

वर्ष 2025 में सूर्यदेव 12 बार राशि परिवर्तन करेगा। इन दी गई तिथियों में सूर्य विभिन्न राशियों में गोचर करेगा।

  • 14 जनवरी 2025: मकर राशि में गोचर (सुबह 09:03 बजे)।
  • 12 फरवरी 2025: कुंभ राशि में गोचर (रात्रि 10:03 बजे)।
  • 14 मार्च 2025: मीन राशि में गोचर (शाम 06:58 बजे)।
  • 14 अप्रैल 2025: मेष राशि में गोचर (मध्यरात्रि 03:30 बजे)।
  • 15 मई 2025: वृषभ राशि में गोचर (रात्रि 12:20 बजे)।
  • 15 जून 2025: मिथुन राशि में गोचर (सुबह 06:52 बजे)।
  • 16 जुलाई 2025: कर्क राशि में गोचर (शाम 05:40 बजे)।
  • 17 अगस्त 2025: सिंह राशि में गोचर (मध्यरात्रि 02:00 बजे)।
  • 17 सितंबर 2025: कन्या राशि में गोचर (रात्रि 01:54 बजे)।
  • 17 अक्टूबर 2025: तुला राशि में गोचर (दोपहर 01:53 बजे)।
  • 16 नवंबर 2025: वृश्चिक राशि में गोचर (दोपहर 01:44 बजे)।
  • 16 दिसंबर 2025: धनु राशि में गोचर (सुबह 04:26 बजे)।

ग्रहों के गोचर 2025 में मंगल के गोचर की स्थिति

ग्रहों के गोचर 2025 में, मंगल को ज्योतिषशास्त्र में लाल ग्रह के रूप में जाना जाता है और इसे ऊर्जा, साहस और युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है। सौरमंडल के ग्रहों में भी मंगल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, लेकिन ज्योतिष में इसका एक विशेष स्थान है। कुछ पुराणों के अनुसार, मंगल भगवान शिव के पसीने से उत्पन्न हुए थे। ज्योतिष में, मंगल मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी होता है और इसे ऊर्जा और तेज का प्रतीक माना जाता है। मंगल जातक को जूझारू और संघर्षशील बनाता है। यह सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति का मित्र होता है, जबकि बुध और केतु के साथ इसका शत्रुत्व है। शुक्र और शनि के साथ इसका संबंध तटस्थ रहता है। जब मंगल मकर राशि में उच्च का होता है, तो यह शुभ प्रभाव डालता है, लेकिन कर्क राशि में इसे नीच का माना जाता है, जो नकारात्मक परिणाम दे सकता है।

मंगल दोष से प्रभावित जातकों को वैवाहिक जीवन में कष्ट, दरिद्रता और अन्य दुखों का सामना करना पड़ सकता है। मंगल का राशि परिवर्तन जातक की कुंडली में सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालता है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है। मंगल का गोचर आपके जीवन के करियर, स्वास्थ्य और व्यक्तिगत रिश्तों पर प्रभाव डाल सकता है।

मंगल के राशि परिवर्तन की अवधि और उसके प्रभावः

मंगल ग्रह लगभग डेढ़ साल में एक राशि चक्र की पूरी यात्रा करता है, अर्थात वह प्रत्येक राशि में लगभग 45 दिनों तक स्थित रहता है। इसका गोचर हर 1.5 साल में एक राशि से दूसरी राशि में होता है, जिससे जातकों के जीवन पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं। मंगल के राशि परिवर्तन का समय और उसकी स्थिति व्यक्ति की कुंडली में अलग-अलग प्रभाव डालती है, जो जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करती है।

ग्रहों के गोचर 2025 में, मंगल के गोचर करने की तिथि,समय और दिन।

ग्रहों के गोचर 2025 में, मंगल 7 बार राशि परिवर्तन करेगा। इन दी गई तिथियों में मंगल विभिन्न राशियों में गोचर करेगा।

21 जनवरी 2025 – मंगलदेव का मिथुन राशि में गोचर मंगलवार के दिन, सुबह 09 बजकर 37 मिनट पर।

3 अप्रैल 2025 – मंगलदेव का कर्क राशि में गोचर बृहस्पतिवार के दिन, रात्रि 01 बजकर 56 मिनट पर।

7 जून 2025 – मंगलदेव का सिंह राशि में गोचर शनिवार के दिन, रात्रि 02 बजकर 28 मिनट पर।

28 जुलाई 2025 – मंगलदेव का कन्या राशि में गोचर सोमवार के दिन, रात्रि 08 बजकर 11 मिनट पर।

13 सितंबर 2025 – मंगलदेव का तुला राशि में गोचर शनिवार के दिन, रात्रि 09 बजकर 34 मिनट पर।

7 अक्टूबर 2025 – मंगलदेव का धनु राशि में गोचर मंगलवार के दिन, रात्रि 08 बजकर 27 मिनट पर।

27 अक्टूबर 2025 – मंगलदेव का वृश्चिक राशि में गोचर सोमवार के दिन, दोपहर 03 बजकर 53 मिनट पर।

ग्रहों के गोचर 2025 में, बुध के गोचर की स्थितिः

बुध के गोचर के बारे में बात करें तो, मिथुन और कन्या राशियों के स्वामी बुध को ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व दिया गया है। बुध के आशीर्वाद से जातक की बुद्धिमत्ता, तर्कशक्ति और संचार कौशल में सुधार होता है। जब बुध कन्या राशि में होते हैं, तो उन्हें उच्च माना जाता है, जबकि मीन राशि में यह नीच के माने जाते हैं। वे सूर्य, शुक्र और राहू के साथ मित्रवत होते हैं, लेकिन चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। शनि, मंगल, बृहस्पति और केतु के साथ उनका संबंध तटस्थ रहता है।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, बुध चंद्रमा और बृहस्पति की पत्नी तारा के पुत्र माने जाते हैं, इसलिए इनमें इन ग्रहों की कुछ विशेषताएं भी पाई जाती हैं। बुध शिक्षा, तर्क, गणित, लेखन, यांत्रिकी, ज्योतिष, प्रकाशन, रंगमंच, आयुर्वेद, निजी व्यवसाय और लेखाकार जैसे क्षेत्रों के कारक माने जाते हैं। इसके अलावा, बुध मातृपक्ष के रिश्तेदारों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं और शरीर के कुछ अंगों जैसे मस्तिष्क, जिव्हा, कंठ-ग्रंथी, त्वचा, गर्दन और स्नायु तंत्र के भी प्रतीक हैं।

हालांकि बुध के नकारात्मक प्रभावों से स्मरण शक्ति में कमी, सिरदर्द, त्वचा संबंधी रोग और अन्य शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बुध को एक पुरुष ग्रह माना जाता है, लेकिन इसे नपुंसक ग्रह भी कहा जाता है। बुध उत्तर दिशा के स्वामी हैं और यह 27 नक्षत्रों में से अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती के नक्षत्रों के भी स्वामी माने जाते हैं। बुध का गोचर व्यक्ति की मानसिक स्थिति, संवाद क्षमता, व्यवहार और करियर में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।

बुध के राशि परिवर्तन की अवधि और उसके प्रभावः

ज्योतिष में बुध ग्रह लगभग 12 महीनों में अपना राशि चक्र पूरा करता है, जिसका मतलब है कि यह हर राशि में लगभग एक महीने तक रहता है।ग्रहों का गोचर 2025 में, बुध का गोचर विभिन्न राशियों में अपनी उपस्थिति से अलग-अलग प्रभाव उत्पन्न करता है, जैसे कि मानसिक क्षमता में वृद्धि, विचारों में स्पष्टता और विवेक में सुधार।

ग्रहों के गोचर 2025 में, बुध के गोचर करने की तिथि,समय और दिन।

ग्रहों के गोचर 2025 में, बुध ग्रह, सूर्य की तरह ही 15 बार गोचर करेंगे। ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के अनुसार, बुध ग्रह का यह गोचर विभिन्न राशियों में प्रभाव डालेगा। यह गोचर-

4 जनवरी 2025- बुध का धनु राशि में गोचर, शनिवार के दिन दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर।

24 जनवरी 2025- बुध का मकर राशि में गोचर, शुक्रवार के दिन शाम 05 बजकर 45 मिनट पर।

11 फरवरी 2025- बुध का कुंभ राशि में गोचर, मंगलवार के दिन दोपहर 12 बजकर 58 मिनट पर।

27 फरवरी 2025- बुध का मीन राशि में गोचर, बृहस्पतिवार के दिन रात्रि 11 बजकर 46 मिनट पर।

7 मई 2025- बुध का मेष राशि में गोचर, बुधवार के दिन सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर।

23 मई 2025- बुध का वृषभ राशि में गोचर, शुक्रवार के दिन दोपहर 01 बजकर 05 मिनट पर।

6 जून 2025- बुध का मिथुन राशि में गोचर, शुक्रवार के दिन सुबह 09 बजकर 29 मिनट पर।

22 जून 2025- बुध का कर्क राशि में गोचर, रविवार के दिन रात्रि 09 बजकर 33 मिनट पर।

30 अगस्त 2025- बुध का सिंह राशि में गोचर, शनिवार के दिन शाम 04 बजकर 48 मिनट पर।

15 सितम्बर 2025- बुध का कन्या राशि में गोचर, सोमवार के दिन सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर।

3 अक्टूबर 2025- बुध का तुला राशि में गोचर, शुक्रवार के दिन सुबह 03 बजकर 47 मिनट पर।

24 अक्टूबर 2025- बुध का वृश्चिक राशि में गोचर, शुक्रवार के दिन दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर।

23 नवम्बर 2025- बुध का फिर से तुला राशि में गोचर, रविवार के दिन शाम 07 बजकर 58 मिनट पर।

06 दिसम्बर 2025-  बुध का वृश्चिक राशि में गोचर, शनिवार के दिन रात्रि 08 बजकर 52 मिनट पर।

29 दिसम्बर 2025- बुध का धनु राशि में गोचर, सोमवार के दिन सुबह 07 बजकर 27 मिनट पर। इस गोचर का प्रभाव व्यक्ति की बुद्धि, वाणी और संचार कौशल पर पड़ता है, साथ ही यह जीवन में परिवर्तन और निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।

ग्रहों के गोचर 2025 में, बृहस्पति के गोचर की स्थितिः

बृहस्पति के गोचर के बारे में बात करें तो, ज्योतिष शास्त्र में गुरु या बृहस्पति ग्रह को अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इन्हें समस्त देवताओं का गुरु माना जाता है और यह ज्ञान, सलाह और मार्गदर्शन देने वाले ग्रह के रूप में पहचाने जाते हैं। बड़े-बुजुर्गों, वरिष्ठ अधिकारियों और शासकों की कृृपा भी बृहस्पति की कृपा से ही संभव होती है। यदि आपकी कुंडली में गुरु शुभ स्थिति में हैं, तो आपको कठिन समय में भी सहयोग और सहायता प्राप्त होती है।

कर्क राशि में बृहस्पति उच्च के होते हैं, जबकि मकर राशि में इन्हें निकृष्ट माना जाता है। बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। इनकी मित्रता सूर्य, चंद्रमा और मंगल ग्रहों के साथ है, जबकि शुक्र और बुध के साथ इनके शत्रुवत संबंध होते हैं। राहु, केतु और शनि के साथ बृहस्पति का तटस्थ संबंध रहता है। एक दिलचस्प बात यह है कि बृहस्पति का किसी ग्रह से शत्रुता हो सकती है, लेकिन जो ग्रह इनके साथ मित्र नहीं हैं, वे इनके शत्रु भी नहीं होते हैं, यानी अधिकांश ग्रहों के साथ बृहस्पति का तटस्थ संबंध होता है।

बृहस्पति को विवेकशील ग्रह माना जाता है, जो चीजों को व्यापक दृष्टिकोण से समझने और सद्बुद्धि प्राप्त करने में मदद करते हैं। इसी कारण उन्हें संपत्ति और ज्ञान का कारक भी माना गया है। बृहस्पति का राशि परिवर्तन ज्योतिष के नजरिये से एक महत्वपूर्ण घटना होती है, जो व्यक्तिगत जीवन पर गहरे असर डाल सकती है। बृहस्पति का गोचर किसी व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव उत्पन्न कर सकता है।

बृहस्पति के राशि परिवर्तन की अवधि और उसके प्रभावः

बृहस्पति ग्रह राशि चक्र में लगभग 12 साल में एक बार पूरी परिक्रमा करता है, अर्थात वह प्रत्येक राशि में करीब एक साल का समय बिताता है। यह एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना होती है, क्योंकि बृहस्पति का गोचर (गुरु गोचर) हर साल किसी न किसी राशि में होता है, जो व्यक्तित्व, जीवन की दिशा और भविष्यवाणियों पर गहरा असर डालता है। बृहस्पति के गोचर के दौरान उस राशि के प्रभाव में बदलाव आते हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे करियर, शिक्षा, परिवार, और व्यक्तिगत विकास पर इसका प्रभाव देखा जाता है।

ग्रहों के गोचर 2025 में, बृहस्पति के गोचर करने की तिथि,समय और दिन।

साल 2025 में बृहस्पति 3 बार गोचर करेगा। ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के अनुसार, बृहस्पति ग्रह का यह गोचर विभिन्न राशियों में प्रभाव डालेगा। यह गोचर-

14 मई 2025 – बृहस्पति का मिथुन राशि में गोचर, बुधवार के दिन रात्रि 11 बजकर 20 मिनट पर।

18 जून 2025 – बृहस्पति का कर्क राशि में गोचर, शनिवार के दिन रात्रि 09 बजकर 39 मिनट पर।

5 दिसंबर 2025 – बृहस्पति का मिथुन राशि में गोचर, शुक्रवार के दिन दोपहर 03 बजकर 38 मिनट पर।

यह तीन महत्वपूर्ण गोचर बृहस्पति के प्रभाव को लेकर विभिन्न बदलाव और घटनाएँ उत्पन्न कर सकते हैं।

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ग्रहों के गोचर 2025 में, शुक्र के गोचर की स्थितिः

ग्रहों के गोचर 2025 में, शुक्र के गोचर के बारे में बात करें तो, शुक्र ग्रह जिसे अंग्रेजी में वीनस और सुंदरता की देवी के रूप में जाना जाता है, ज्योतिष में स्त्री ग्रह माना जाता है। शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशियों के स्वामी हैं और दैत्यगुरु के रूप में भी इसका विशेष महत्व है। यह ग्रह जातक के जीवन में विवाह, संतान और सुख-समृद्धि के योग स्थापित करने का कार्य करता है। शुक्र का शुभ प्रभाव जातक को कला और सौंदर्य के प्रति आकर्षित करता है, जिससे उनमें कलात्मक क्षमताओं का विकास होता है। इसके अलावा, शुक्र को लाभ का कारक भी माना जाता है, जो जीवन में भौतिक सुख-संपत्ति और समृद्धि लाता है।

शुक्र की स्थिति जातक की कुंडली में बहुत मायने रखती है। अगर शुक्र मीन राशि में स्थित हो, तो इसे उच्च का माना जाता है, जबकि यदि यह कन्या राशि में हो, तो यह नीच का होता है। शुक्र सूर्याेदय से पहले और सूर्यास्त के बाद आकाश में अपनी चमक से एक विशेष पहचान रखते हैं और उन्हें भोर का तारा भी कहा जाता है। शुक्र का शनि, बुध और केतु के साथ मित्रता है, जबकि सूर्य, चंद्रमा और राहू के साथ इनका शत्रुवत संबंध होता है। मंगल और बृहस्पति के साथ शुक्र का संबंध सामान्य होता है। शुक्र का राशि परिवर्तन ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है, क्योंकि यह जातक के जीवन में कई बदलाव और घटनाओं का कारण बन सकता है। शुक्र का गोचर व्यक्ति के जीवन में प्रेम संबंधों, वित्तीय स्थिति, कला और सौंदर्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है।

शुक्र के राशि परिवर्तन की अवधि और उसके प्रभावः

शुक्र ग्रह का राशि परिवर्तन लगभग हर साल 23 दिन 20 घंटे में एक राशि से दूसरी राशि में होता है। इस दौरान, शुक्र अपना प्रभाव उस राशि के गुणों के अनुरूप ही व्यक्तियों पर डालते हैं। शुक्र के गोचर के दौरान व्यक्ति को कार्यों में सफलता, संतोष और मानसिक शांति प्राप्त हो सकती है। यह समय सुख और समृद्धि लाने वाला हो सकता है, क्योंकि शुक्र व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव और खुशियों का संचार करता है।

ग्रहों के गोचर 2025 में, शुक्र के गोचर करने की तिथि,समय और दिन:

साल 2025 में शुक्र ग्रह कुल 10 बार गोचर करेगा। ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के अनुसार, शुक्र ग्रह का यह गोचर विभिन्न राशियों में प्रभाव डालेगा। यह गोचर-

28 जनवरी 2025- शुक्र का मीन राशि में गोचर, मंगलवार के दिन सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर।

31 मई 2025- शुक्र का मेष राशि में गोचर, शनिवार के दिन सुबह 11 बजकर 42 मिनट पर।

29 जून 2025- शुक्र का वृषभ राशि में गोचर, रविवार के दिन दोपहर 02 बजकर 17 मिनट पर।

26 जुलाई 2025- शुक्र का मिथुन राशि में गोचर, शनिवार के दिन सुबह 09 बजकर 02 मिनट पर।

21 अगस्त 2025- शुक्र का कर्क राशि में गोचर, बृहस्पतिवार के दिन रात्रि 01 बजकर 25 मिनट पर।

15 सितम्बर 2025- शुक्र का सिंह राशि में गोचर, सोमवार के दिन रात्रि 12 बजकर 23 मिनट पर।

9 अक्टूबर 2025- शुक्र का कन्या राशि में गोचर, बृहस्पतिवार के दिन सुबह 10 बजकर 55 मिनट पर।

2 नवम्बर 2025- शुक्र का तुला राशि में गोचर, रविवार के दिन दोपहर 01 बजकर 21 मिनट पर।

26 नवम्बर 2025- शुक्र का वृश्चिक राशि में गोचर, बुधवार के दिन सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर।

20 दिसम्बर 2025- शुक्र का धनु राशि में गोचर, शनिवार के दिन सुबह 07 बजकर 50 मिनट पर।

ग्रहों के गोचर 2025 में, शनि के गोचर की स्थितिः

ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। शनि का प्रभाव बहुत गहरा होता है, चाहे वह ढ़ैय्या हो या साढ़ेसाती, जो जातक के भविष्य को प्रभावित करते हैं। शनि स्वभाव से न्यायप्रिय ग्रह हैं, जो कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं, लेकिन उनकी शापित दृष्टि के कारण इन्हें एक क्रूर ग्रह के रूप में देखा जाता है। शनि बुध, शुक्र और राहू के साथ मित्रता रखते हैं, जबकि सूर्य, चंद्रमा और मंगल से इनका शत्रुता का संबंध है। मकर और कुंभ राशियों के स्वामी शनि का गोचर काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह कुछ राशियों में ढ़ैय्या और साढ़ेसाती को समाप्त करता है, जबकि अन्य पर शुरू करता है। शनि का गोचर आपके जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, जो आपके कर्मों पर आधारित होते हैं।

शनि के राशि परिवर्तन की अवधि और उसके प्रभावः

शनि ग्रह लगभग 29.5 वर्षों में एक बार राशि चक्र की पूरी परिक्रमा करते हैं, यानी वह हर राशि में लगभग ढ़ाई साल बिताता है। शनि का गोचर किसी एक राशि में ढाई साल तक रहता है, और इस दौरान उस राशि के अनुसार शनि के प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ते हैं। शनि के गोचर के समय उस राशि के गुण और प्रभाव प्रमुख होते हैं, जो जीवन में बदलाव और घटनाओं को आकार देते हैं।

वर्ष 2025 में शनि के गोचर करने की तिथि,समय और दिन।

साल 2025 में शनि ग्रह केवल 1 बार गोचर करेंगे। ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के अनुसार, शनि ग्रह का यह गोचर सिर्फ 1 राशि में प्रभाव डालेगा। यह गोचर-

29 मार्च 2025- शनि का मीन राशि में गोचर, शनिवार के दिन रात्रि 11 बजकर 01 मिनट पर।

ग्रहों के गोचर 2025 में, राहु के गोचर की स्थितिः

राहु एक छाया ग्रह है जो ज्योतिष में भौतिक सुख, अप्रत्याशित घटनाओं, धोखाधड़ी और मानसिक भ्रम का प्रतीक माना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति की मानसिक स्थिति, करियर और व्यक्तिगत रिश्तों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। राहु का गोचर जातक के जीवन में उथल-पुथल और बदलाव का कारण बन सकता है, जो कभी-कभी नकारात्मक भी हो सकता है, लेकिन साथ ही यह महत्वपूर्ण अवसरों और नई दिशा की ओर भी मार्गदर्शन कर सकता है। यह ग्रह निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, जिससे व्यक्ति को अपनी बुद्धिमत्ता और विवेक से काम लेने की आवश्यकता होती है। राहु का गोचर व्यक्ति की आत्म-छवि, मानसिक संघर्षों, और अज्ञात भय को उजागर कर सकता है, लेकिन अगर सही दिशा में इसका सामना किया जाए, तो यह व्यक्ति के जीवन में गहरे बदलाव और सकारात्मक विकास के अवसर भी ला सकता है।

राहु के राशि परिवर्तन की अवधि और उसके प्रभावः

राहु ग्रह लगभग 18.5 वर्षों में एक बार राशि चक्र की पूरी परिक्रमा करता है, यानी वह हर राशि में लगभग 18 महीने तक रहता है। राहु का गोचर हर डेढ़ साल में एक राशि से दूसरी राशि में होता है, इस दौरान वह राशि के प्रभाव को जातक के जीवन पर डालता है। राहु का गोचर महत्वपूर्ण बदलाव, अप्रत्याशित घटनाएँ और मानसिक स्थिति में उतार-चढ़ाव ला सकता है।

ग्रहों के गोचर 2025 में, राहु के गोचर करने की तिथि,समय और दिन।

साल 2025 में राहु ग्रह केवल 1 बार गोचर करेंगे। ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के अनुसार, राहु ग्रह का यह गोचर सिर्फ 1 राशि में प्रभाव डालेगा। यह गोचर-

18 मई 2025- राहु का कुम्भ राशि में गोचर, रविवार के दिन शाम 04 बजकर 30 मिनट पर।

ग्रहों के गोचर 2025 में, केतु के गोचर की स्थितिः

केतु, राहु का विपरीत छाया ग्रह है और यह आध्यात्मिकता, त्याग, मुक्ति और अनजाने डर का प्रतीक माना जाता है। केतु का गोचर जातक के जीवन में गहरे आध्यात्मिक बदलाव, आत्म-ज्ञान की प्राप्ति और मानसिक शांति लाने का अवसर प्रदान कर सकता है। यह ग्रह व्यक्ति को अपने अंदर की सच्चाई को जानने के लिए प्रेरित करता है और बाहरी संसार से दूरी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है। केतु के गोचर के दौरान, व्यक्ति अपने करियर में अचानक बदलाव महसूस कर सकता है और पुराने रास्तों को छोड़कर नए, अधिक समर्पित और संतुलित मार्ग की ओर अग्रसर हो सकता है। मानसिक स्थिति में भी उतार-चढ़ाव हो सकता है और कभी-कभी अनजाने भय या आत्म-संशय का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह समय आत्म-निरीक्षण और आंतरिक शांति की प्राप्ति के लिए भी उपयुक्त होता है। ठमेज ।ेजतवसवहमत पद क्मसीप

केतु के राशि परिवर्तन की अवधि और उसके प्रभावः

केतु भी राहु की तरह लगभग 18.5 वर्षों में एक बार राशि चक्र की पूरी परिक्रमा करता है, अर्थात वह प्रत्येक राशि में लगभग 18 महीने तक रहता है। केतु का गोचर हर डेढ़ साल में एक राशि से दूसरी राशि में होता है, इस दौरान वह उस राशि के प्रभाव को जातक के जीवन पर डालता है। केतु के गोचर का असर आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक स्थिति और जीवन के दृष्टिकोण पर विशेष रूप से पड़ता है, जो व्यक्ति को आत्म-निरीक्षण और परिवर्तन की ओर प्रेरित करता है।

वर्ष 2025 में केतु के गोचर करने की तिथि,समय और दिन।

साल 2025 में केतु ग्रह केवल 1 बार गोचर करेंगे। ज्योतिषाचार्य के.एम. सिन्हा जी के अनुसार, केतु ग्रह का यह गोचर सिर्फ 1 राशि में प्रभाव डालेगा। यह गोचर-

18 मई 2025- केतु का सिंह राशि में गोचर, रविवार के दिन शाम 04 बजकर 30 मिनट पर।

गोचर के दौरान ग्रहों के बुरे प्रभाव को संतुलित करने और उन्हें अनुकूल बनाने के लिए विभिन्न ग्रहों के उपाय दिए गए हैं साथ ही आवश्यकतानुसार मंत्र भी शामिल हैं जिन्हें करना अत्यधिक लाभदायक होगाः

सूर्य गोचर के उपायः

सूर्योदय के समय जल में कुमकुम, हल्दी और गुलाल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।

तांबे की वस्तु का दान करें।

रोटी में घी लगाकर पक्षियों को दान करें।

स्वर्ण, तांबा, या पीतल के बर्तन का इस्तेमाल करें।

आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए प्रातः सूर्य को अर्घ्य दें।

मंत्रः ॐ सूर्याय नमः

मंगल गोचर के उपायः

लाल रंग के कपड़े पहनें और तांबे का बर्तन दान करें।

हनुमान जी की पूजा करें और रोज़ हनुमान चालीसा का पाठ करें।

अपने घर में लोहे का सामान रखें।

रक्त या लाल रंग से संबंधित वस्तुओं का दान करें।

शांति के लिए बुधवार और मंगलवार को व्रत रखें।

मंत्रः ॐ अंगारकाय नमः

बुध गोचर के उपायः

हरे रंग के कपड़े पहनें और हरे रत्न का पूजन करें।

बुध के लिए बुद्धि वर्धक वस्तुएं दान करें, जैसे कि मूंग दाल और हरी वस्तुएं।

व्यापार में सफलता के लिए व्यापारिक स्थलों पर बुध देव की पूजा करें।

बुध के प्रभाव को सशक्त बनाने के लिए बुद्धि वर्धन के लिए ओम ब्रह्मा नमः का जाप करें।

शिक्षा व ज्ञान में वृद्धि के लिए बच्चों को पढ़ाई में मदद करें।

मंत्रः ॐ बुद्धाय नमः

गुरु गोचर के उपायः

पीले रंग के वस्त्र पहनें और पीले रंग की वस्तुएं दान करें।

गुरुवार को व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें।

केले के पौधों की पूजा करें और उन्हें जल दें।

धार्मिक कार्यों में भाग लें और गुरु के आदेशों का पालन करें।

गुरु के आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि लाने के लिए ओम बृहस्पतये नमः का जाप करें।

मंत्रः ॐ बृहस्पतये नमः

शुक्र गोचर के उपायः

सफेद वस्त्र पहनें और सुंदरता से संबंधित वस्तुओं का ध्यान रखें।

सफेद फूलों का पूजा में उपयोग करें और सुख-साधन की प्राप्ति के लिए दान करें।

प्रेम और सौंदर्य के मामलों में सफलता पाने के लिए शृंगार संबंधित चीजें पहनें।

महिलाओं का सम्मान करें और उनके साथ अच्छा व्यवहार करें।

शुक्र के उपायों के लिए ओम शुक्राय नमः का जाप करें।

मंत्रः ॐ शुक्राय नमः

शनि गोचर के उपायः

शनि के प्रभाव को संतुलित करने के लिए काले वस्त्र पहनें।

पीपल के वृक्ष की पूजा करें और 7 शनिवार तक व्रत रखें।

लोहे का सामान दान करें और शनि की पीड़ा से मुक्ति के लिए शनि देव का ध्यान करें।

शनि मंत्र का जाप करें और संयमित जीवन बिताएं।

गरीबों और जरूरतमंदों को काले रंग के कपड़े दान करें।

मंत्रः ॐ शनैश्वराय नमः

राहु गोचर के उपायः

राहु के प्रभाव को शांत करने के लिए नीले रंग के कपड़े पहनें।

काले तिल, उड़द दाल और शहद का दान करें।

राहु के लिए ताम्बे या कांसे के बर्तन का दान करें।

नियमित रूप से तंत्र-मंत्र का जाप करें और मानसिक शांति के लिए ध्यान करें।

राहु के  बुरे प्रभाव से बचने के लिए ओम राहवे नमः का जाप करें।

मंत्रः ॐ राहवे नमः

केतु गोचर के उपायः

केतु के प्रभाव से बचने के लिए सफेद, काले और ग्रे रंग के वस्त्र पहनें।

केतु के लिए गेहूं, मूँग दाल और बर्तन का दान करें।

हनुमान जी की पूजा करें और शनि और राहु से जुड़े उपाय करें।

अपने जीवन में मानसिक शांति के लिए प्रायश्चित करें।

केतु के मंत्र का जाप करके राहत पाएं।

मंत्रः ॐ केतवे नमः

निष्कर्ष

ग्रहों के गोचर 2025 आपके जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक बदलाव ला सकता है। ज्योतिषीय सलाह के लिए कुंडली का विश्लेषण आवश्यक है।
अगर आप अपनी कुंडली के आधार पर 2025 में ग्रहों का प्रभाव जानना चाहते हैं, तो कुंडली विशेषज्ञ से संपर्क करें

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